दसवीं में फेल होने पर पढ़ाई छोड़ने का बनाया मन, पिता ने दी प्रेरणा, कहा- एक बार फेल होने से कोई असफल नहीं होता, मेहनत कर UPSC सलेक्ट

Update: 2023-05-25 15:03 GMT

भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण अंचल में रहने वाले युवक ने सफलता अर्जित की है। जिले के करेड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत ज्ञानगढ़ अंतर्गत आने वाले भांबरा के बाड़िया निवासी ईश्वर लाल गुर्जर ने यह सफलता बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी से हासिल की। उन्हें हाल ही में जारी हुए नतीजों में 644 वीं रैंक मिली। ईश्वर किसान परिवार में जन्मे हैं। उनकी सफलता पर पूरा गांव खुश है।

भीलवाड़ा जिले के करेड़ा ब्लॉक के ज्ञानगढ़ पंचायत अंतर्गत आने वाले भांबरा का बाड़िया निवासी ईश्वर लाल गुर्जर का जन्म 15 नवंबर 1993 को हुआ था । उनके पिता सुवालाल गुर्जर कृषक है व माता सुखीदेवी गृहणी है। ईश्वर 2011 में दसवीं कक्षा में फेल हो गए थे, जिससे वह काफी निराश हो गए और पढ़ाई छोड़ने का मन बना लिया। पर उनके पिता सुवालाल गुर्जर ने उनका हौसला अफजाई करते हुए कहा कि फेल होना कोई बड़ी बात नहीं है। इतनी जल्दी पढ़ाई से घबराने की जरूरत नहीं है, एक बार फेल होने से कोई जीवन भर के लिए असफल नहीं हो जाता इसलिए फिर से प्रयास करो। इसके बाद उसने दोबारा तैयारी कर दूसरी बार दसवीं की परीक्षा दिलाई। 2012 में 54 प्रतिशत अंकों से दसवीं पास हुए। फिर उन्होंने मेहनत बढ़ा दी। और अपने ज्ञानगढ़ गांव की सरकारी स्कूल से 12वीं में 68 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए। पढ़ाई में फर्स्ट डिवीजन में पास होने से उनका उत्साह पढ़ाई के प्रति बढ़ा। पर उन्होंने आगे की पढ़ाई रेगुलर करना छोड़ अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी से स्वाध्याय अभ्यर्थी के रूप में प्राइवेट बीए पास किया।

2019 में वे तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए। उनकी पदस्थापना अपने ग्राम पंचायत ज्ञानगढ़ के रूपपुरा में हुई। 2020 में उनकी शादी सुगना देवी के साथ हुई। उनकी पत्नी उसी गांव के रहने वाली है और उनके साले महेंद्र पाल गुर्जर हिमाचल कैडर के आईएएस अफसर है। उनके ससुर नाथूराम गुर्जर कलेक्टर कार्यालय में ड़ीआरए के पद पर पदस्थ है। ईश्वर लाल गुर्जर स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के बाद खुद भी अध्ययन में जुटे रहते थे। ईश्वर लाल गुर्जर के अनुसार स्कूल में उनके खेल शिक्षक रामनारायण सर के अलावा पूरे स्टाफ ने उन्हें सहयोग किया व तैयारी करने हेतु लगातार प्रेरित करते रहे। ईश्वर ने बताया कि उनकी डेढ़ साल की एक बेटी है। और उनकी पत्नी बेटी को सम्हालने के अलावा परिवारिक जिम्मेदारियां भी निभाती थी, जिसके चलते उन्हें पढ़ने का काफी वक्त मिल जाता था। स्कूल की छुट्टियां में वे पढ़ते थे। अपनी सफलता में उन्होंने अपनी पत्नी का भी सहयोग होना बताया। उनके परिवार में उनकी माता सुखीदेवी गुर्जर गृहणी है। तथा उनकी दो बहने हैं। इसमें एक बहन भावना की शादी हो गई है, तथा छोटी बहन पूजा 12वीं कक्षा में पढ़ रही है।

दो बार प्री में हुए फेल, चौथे प्रयास में मिली सफलता

ईश्वर लाल गुर्जर का यह चौथा प्रयास था। 2019 में वह पहली बार प्रारंभिक परीक्षा में बैठे और असफल हो गए। दूसरी बार में 2020 में इंटरव्यू तक पहुंचे पर उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। 2021 में तीसरी बार में फिर से प्री में फेल हो गए। बावजूद उसके हार नहीं मानी और बिना हताश हुए जारी कर अपना चौथा अटेंप्ट दिया। जिसमें उन्हें 644 वी रैंक मिली।

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