Chhattisgarh News: कलेक्टर ने 41 करोड़ की गड़बड़ी में DMO के खिलाफ कार्रवाई करने लिखा तो अफसरों ने पहले प्रमोशन किया, फिर अगले दिन निलंबन

npg.news

Update: 2023-01-12 06:34 GMT

रायपुर। छतीसगढ़ में गजबे हो रहा है। जिस अफसर के खिलाफ जांच कर कलेक्टर ने कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन भेज सरकार से कार्रवाई का आग्रह किया, उसमें बड़ा खेला हो गया। उसे पहले प्रमोट किया गया फिर उसके दूसरे दिन सस्पेंड किया गया। अर्थात सस्पेंशन के पहले ही दागी अफसर को उपकृत कर दिया गया।

पूरा मामला जीपीएम जिले से जुड़ा हुआ है। यहां जिला विपणन कार्यालय में जिला विपणन अधिकारी अर्थात डीएमओ के पद पर लोकेश कुमार कार्यरत थे। उनका मूल पद सहायक प्रबंधक का था। और वे प्रभार में जिला विपणन अधिकारी का पद सम्हाल रहें थे। उनके कार्यालय में फर्जी बैंक गारंटी जमा कर धान के उठाव का मामला सामने आया था। शिकायत मिलने पर पूरे मामलें की कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी में जांच करवाई थी। और मामला सही पाए जाने पर सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग को कार्यवाही करने व दोषी राइस मिलरों को ब्लैक लिस्टेड करने के लिए प्रतिवेदन भेजा था। प्रतिवेदन के बाद दोषी राइस मिलरों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया। साथ ही प्रभारी डीएमओ लोकेश कुमार को सस्पेंड भी कर दिया गया। साथ ही रमेश कुमार लहरे को नया प्रभारी डीएमओ बना कर भेजा गया।


अब बताते हैं कैसे हुआ खेल:-

कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने 28 दिसंबर को खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग को अपना प्रतिवेदन सौपा था। जिसके बाद 29 दिसंबर को लोकेश कुमार को छतीसगढ़ राज्य विपणन संघ के द्वारा प्रमोशन देते हुए सहायक प्रबंधक से उपप्रबंधक के पद पर पदोन्नत कर दिया गया। हालांकि कलेक्टर ने खाद्य सचिव को अपना प्रतिवेदन भेजा था और प्रमोशन आदेश मार्कफेड के एमडी मनोज कुमार सोनी ने जारी किया। 29 दिसंबर को निलंबन के बाद तीस दिसंबर को गड़बड़ियों के चलते मार्कफेड के सचिव संदीप गुप्ता ने निलंबित कर दिया। मतलब एक दिन पहले या कलेक्टर के प्रतिवेदन के दिन ही यदि निलंबन की कार्यवाही की गई होती तो उसके बाद सहायक प्रबंधक लोकेश कुमार का प्रमोशन नही हो पाता। और जब तक जांच चलती तब तक के लिए लंबे समय तक वो निलंबित ही रहते। प्रमोशन के बाद उन्हें उपप्रबंधक बना दिया गया फिर उनका निलंबन उपप्रबंधक के पद से किया गया। जिससे अब जब भी उनकी बहाली होगी तो उप प्रबंधक के पद पर ही होगी। अन्यथा पहले की स्थिति में उन्हें सहायक प्रबंधक के पद पर बहाली के बाद फिर प्रमोशन के लिए इंतजार करना पड़ता। प्रमोशन के लिए जारी आदेश में उनका नाम 5 वें नम्बर पर हैं।


जानिए क्या था पूरा मामला:-

लोकेश कुमार के प्रभारी डीएमओ के पद पर पर रहते धान खरीदी के खरिफ वर्ष 2021-22 में चार फर्म श्याम इंडस्ट्रीज, श्याम फूड प्रोडक्ट, यश राइस मिल, और यश मॉर्डन फूड प्रोडक्ट के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक पेंड्रारोड़ से जारी कुल 61 नग बैंक गारंटी कुल राशि 44 करोड़ रुपये डीएमओ कार्यालय में जमा किया था। जिसकी पुष्टि स्टेट बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय से करवाने पर 38 नग बैंक गारंटी कुल 22 करोड़ 50 लाख की तो पुष्टि हो गई। तथा तीन फर्मों जिनमे श्याम इंडस्ट्रीज, श्याम फूड प्रोडक्ट, यश राइस मिल के द्वारा जमा 23 नग बैंक गारंटी जो कि 21 करोड़ 50 लाख की है,वो फर्जी पाई गई।

इसी तरह खरीफ वर्ष 2022-23 में धान खरीदी सत्र प्रारंभ होने पर उक्त चार फर्मों ने स्टेट बैंक पेंड्रारोड़ शाखा का 20 नग बैंक गारंटी राशि रुपये बीस करोड़ डीएमओ कार्यालय में जमा किया था। उसका भी क्षेत्रीय कार्यालय स्टेट बैंक से सत्यापन करवाने पर वह फर्जी पाया गया। जिस पर उक्त फर्मों को ब्लैकलिस्टेड करते हुए उनके संचालको गोपाल कृष्ण अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, फकीरचंद अग्रवाल व स्टेट बैंक पेंड्रारोड़ शाखा के मैनेजर सिप्रियन टोप्पो के खिलाफ गौरेला थाना में धोखाधड़ी की एफआईआर रजिस्टर्ड करवाई गई है। ज्ञातव्य है कि इस दौरान लोकेश कुमार डीएमओ रहे थे। अभी फिलहाल कोई कानूनी कार्यवाही नही की गई है।

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