Bilaspur High Court: विवाह में मिले धन पर सिर्फ महिला का अधिकार, स्त्रीधन संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकता...

Update: 2023-07-15 08:33 GMT

Bilaspur High Court : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाह से पहले विवाह,विदाई या फिर उसके बाद महिला को उपहार में दी गई संपत्ति स्त्रीधन है। वह अपनी खुशी के लिए उसे खर्च करने का पूर्णतः अधिकार रखती है। पति अपने संकट के समय इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन फिर भी उसका नैतिक दायित्व है कि वह अपनी पत्नी को उसका मूल्य या संपत्ति लौटाए। स्त्रीधन संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकता।

कुटुंब न्यायालय के एक मामले में लिए गए निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के तीन सदस्यीय पीठ (लार्जर बेंच) ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया हैं। वहीं अब यह न्याय दृष्टांत बन गया हैं।

23 दिसंबर 2021 को सरगुजा जिले के लुंड्रा थाना निवासी बाबूलाल यादव ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता ने धारा 27 का हवाला देते हुए बताया था कि स्त्री धन वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन जमा करने की अब तक व्यवस्था नहीं है। याचिकाकर्ता ने स्वतंत्र आवेदन के जरिए दिए गए फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। परिवार न्यायालय अंबिकापुर में याचिकाकर्ता की पत्नी ने दहेज के अलावा परिचितों व स्वजनों द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस दिलाने की मांग की थी। इस पर परिवार न्यायालय ने संपत्ति वापस करने के निर्देश दिए थे। स्त्री धन वापसी के संबंध में पूर्व में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसला सुनाया था। एक बेंच ने स्त्री धन वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन को सही ठहराया था और दूसरी डिवीजन बेंच ने स्वतंत्र आवेदन के प्रावधानों को गलत ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी थी। एक ही मामले में दो डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसले को ध्यान में रखते हुए चीफ जस्टिस सिन्हा ने लार्जर बेंच का गठन करने के निर्देश रजिस्टार जनरल को जारी किए थे। लिहाजा याचिका की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के निर्देश पर तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की लार्जर बेंच में मामले की सुनवाई हुई। इस फैसले के बाद ऐसे मामले जो विभिन्न न्यायालयों में लंबित है ऐसे प्रकरण को अब परिवार न्यायालय में स्थानांतरित किए जाएंगे इस मामले की सुनवाई परिवार न्यायालयों में ही होगी।

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