Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट से छत्‍तीसगढ़ के लिए आई बड़ी खबर: 35 साल बाद कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, भरेगा राज्‍य का खजाना..

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह मामला करीब 35 साल से चल रहा था। इस फैसले से छत्‍तीगसढ़ जैसे राज्‍यों का खजना भरेगा।

Update: 2024-07-25 09:28 GMT

Supreme Court एनपीजी न्‍यूज डेस्‍क

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसला का छत्‍तीसगढ़ सहित अन्‍य खनिज प्रधान राज्‍यों को फायदा होगा। इन राज्‍यों का सरकारी खजना भरेगा। कोर्ट ने खनिज वाली जमीनों पर रॉयल्टी लगाने के राज्य सरकारों के अधिकार को बरकरार रखा है। इस फैसले से न केवल छत्‍तीसगढ़ बल्कि खनिज प्रधान राज्‍य ओडिशा, झारखंड, बंगाल, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज समृद्ध राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है। ये राज्य सरकारें अपने- अपने राज्यों में काम करने वाली माइनिंग कंपनियों से खनिजों पर टैक्स वसूल सकेंगी।

करीब 35 साल पुराने इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने की। कोर्ट का यह फैसला 8:1 के बहुमत से आया है। बेंच में शामिल एक मात्र जस्टिस बीवी नागरत्ना ने फैसले पर अपनी असहमति जताई है। उन्‍होंने कहा कि राज्यों को खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की अनुमति देने से आय कमाने के लिए राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।

छत्‍तीसगढ़ को 300 से 400 करोड़ का होगा फायदा

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से राज्‍य के राजस्‍व में 300 से 400 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। खनिज विभाग के अफसरों के अनुसार रायल्‍टी हर 4 वर्ष में रिवाइज की जाती है। प्रदेश में 2015 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। ऐसे में यह दो बार रिवाइज होगा। इससे राजस्‍व बढ़कर 800 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

छत्‍तीसगढ़ सरकार के उपकर लगाने के फैसले को नुवोको विस्टास कॉर्पोरेशन ने दी थी चुनौती

उपकर लगाने के छत्‍तीसगढ़ सरकार के फैसले को नुवोको विस्टास कॉर्पोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में राज्‍य सरकार की तरफ से डॉ. संतोष कुमार देवांगन अपर आयुक्‍त, भू अभिलेख कार्यालय को सरकार की तरफ से जवाब प्रस्‍तुत करने की जिम्‍मेदारी दी गई थी।

अफसरों ने बताया कि छत्तीसगढ़ (अधो संरचना विकास एवं पर्यावरण) उपकर अधिनियम 2005, कोयला, लौह अयस्क, खनिजपट्टों के अंतर्गत आच्छादित लाईम स्टोन, बाक्साईट, डोलोमाईट भूमि (22/08/2013 को शामिल) पर निम्नलिखित दर से उपकर अधिरोपित किया गया जिसे नुवोको विस्टास कॉर्पोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

इसमें 20/12/2005 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार 5.00 प्रतिटन, प्रेषण (Dispatch) पर, 16/06/2015 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार 7.50 प्रतिटन, 15/10/2019 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार 11.25 प्रतिटन उपकर लगाया गया था।

17 दिसंबर 2012 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार नियम 10 (क) में संशोधन किया गया और एक शासी निकाय (Governing body) गठित किया गया। जो उक्त निधि के उपयोग के लिए मानक तय करेगी। इस निकाय में निम्नलिखित पदाधिकारी शामिल किये गये।

मुख्यमंत्री - अध्यक्ष, राजस्व मंत्री, वित्तमंत्री, खनिजमंत्री, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव राजस्व, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव वित्त, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव खनिज, मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव - ST/SC और मुख्य सचिव, प्रभारी सचिव आवास एवं पर्यावरण सदस्य बनाए गए।

इसके बाद 5 अप्रैल 2017 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार उक्त अधिनियम की धारा-9 (1) अनुसार नियम 10 क (3) का उपयोग बताया गया।

1. बिजली, सड़क, पुल पीने का पानी, आवास, कार्यालय, सिंचाई, भंडारगृह, सामुदायिक भवन, निमार्ण हेतु।

2. शैक्षणिक, कौशल विकास रोजगार, खेलकुद हेतु, पर्यावरण विकास हेतु 50 प्रतिशत राशि का व्यय ।

15 जनवरी 2020 को राजपत्र में प्रकाशित अनुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक अनुश्रवण समिति का गठन किया गया।

मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकरण में यह अभिनिर्धारित किया गया है, कि राज्य को उपरोक्त उपकर लगाने का एवं समय-समय पर वृद्धि करने का पूर्ण अधिकार है। भारत सरकार का खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम 1957 राज्य सरकार के उक्त अधिकार को सीमित नहीं कर सकता है।

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