संबित पात्रा का जीवन परिचय (जीवनी) : Sambit Patra Biography in Hindi

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Update: 2024-04-26 16:40 GMT

Sambit Patra Biography in Hindi, Age, Wiki, Wife, Family, Election, Date of Birth, Wife, Family, Height, Career, Net Worth, Daughter, Children, Politics, Party, Quotes: संबित पात्रा का जन्म 13 दिसंबर, 1974 को बोकारो, बिहार के एक उड़िया परिवार में हुआ था. बोकारो उस समय धनबाद जिले का हिस्सा था, जो अब झारखण्ड के एक जिले के नाम से जाना जाता है. संबित पात्रा का परिवार मूल रूप से उड़ीसा का रहनेवाला था, जो रोजगार की तलाश में बोकारो (तात्कालिक धनबाद, बिहार) में बस गया था. उनके पिता का नाम रबिन्द्र नाथ पात्रा है. उनके पिता बोकारो स्टील प्लांट में काम करते थे. 49 वर्षीय संबित पात्रा अविवाहित है. संबित पात्रा ने विवाह नहीं किया है. संबित पात्रा हिन्दू है. वह ब्राह्मण जाति से आते है.

  • पूरा नाम संबित पात्रा
  • उम्र 49 साल
  • जन्म तारीख 13 दिसंबर, 1974
  • जन्म स्थान बोकारो, धनबाद, झारखण्ड
  • शिक्षा एमबीबीएस
  • कॉलेज वीर सुरेंद्र साई इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, संबलपुर, उड़ीसा
  • वर्तमान पद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता
  • व्यवसाय सर्जन और राजनेता
  • राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी
  • वैवाहिक स्थिति अविवाहित
  • पिता का नाम रबिन्द्र नाथ पात्रा
  • संबित पात्रा की शिक्षा

संबित पात्रा ने चिन्मय विद्यालय, बोकारो से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी. 1997 में उन्होंने वीर सुरेंद्र साई इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, संबलपुर, उड़ीसा से एमबीबीएस की. बाद में 2002 में संबित पात्रा ने जनरल सर्जरी में मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) श्री रामचंद्र भंज मेडिकल कॉलेज, उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर (Mater of Surgery, Utakal University Bhubneshwar, 2002) से किया. बाद में 2003 में संबित पात्रा ने यूपीएससी संयुक्त चिकित्सा सेवा भी उत्तीर्ण की और उन्हें अपनी पहली पोस्टिंग दिल्ली के हिन्दू राव अस्पताल में एक चिकित्सा अधिकारी के तौर पर हुई.

संबित पात्रा का शुरूआती जीवन

राजनीति में आने से पहले संबित पात्रा चिकित्सा अधिकारी के तौर पर दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल हिंदूराव में पोस्टिंग थे और उस समय तक वे राजनीति से कोसो दूर थे. उन दिनों उन्होंने एक एनजीओ बनाया था. वह एनजीओ सामाजिक कार्यो के लिए बनाया गया था और उसका राजनीति से कोई लेना देना नहीं था. उस एनजीओ का नाम उन्होंने ‘स्वराज’ दिया था. उसका उद्देश्य समाज के छोटी जातियों के लोगो को भी मंदिरो में सामान्य जातियों की भांति प्रवेश दिलाना व उनके विभिन्न समस्याओ का अपने स्तर पर निदान करना था.

बचपन से ही धार्मिक प्रवृति वाले संबित पात्रा अब पूरी तरह से सामाजिक कार्यो में लग गए थे. इसके लिए उन्होंने साथी डॉक्टर्स व अन्य जान पहचान के लोगो का एक समूह बनाया और सभी को स्वराज नामक एनजीओ से जोड़ा. वे लोग दिल्ली के पिछड़ी बस्तियों में जाते, वहां मेडिकल कैम्प लगाकर उनकी निःशुल्क चिकित्सा करते, इतना ही नहीं उन्होंने अनेक दलितों, आदिवासियों को मंदिरो में प्रवेश दिलवाया और उन्हें अन्य सामाजिक सहयोग प्रदान किया. अब इसके लिए उन्हें कुछ कानूनों की आवश्यकता महसूस हुई तो उन्होंने केंद्र सरकार के पास इसके लिए सुझाव दिया मगर तात्कालिक कांग्रेस वाली यूपीए सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. उसके बाद संबित पात्रा भाजपा की ओर मुड़ गए और यही से संबित पात्रा का एक डॉक्टर (सर्जन/चिकित्सा अधिकारी) से नेता बनने की यात्रा शुरू होती है.

संबित पात्रा का राजनीतिक करियर

अन्य कई प्रसिद्द नेताओ की भांति संबित पात्रा का शुरूआती जीवन छात्र राजनीति में नहीं बीता. संबित पात्रा राजनीति में आने से पहले एक सर्जन थे. इतना ही नहीं उनके परिवार में भी कोई राजनीति में नहीं है. उन्होंने अपना करियर मेडिकल के क्षेत्र में बनाया मगर बाद में वे स्वराज्य नामक एनजीओ के माध्यम से सामाजिक कार्यो में लग गए.

बताया जाता है उन दिनों बीजेपी की दिल्ली इकाई के संगठन मंत्री विजय शर्मा की दृष्टि संबित पात्रा पर पड़ गई, फिर क्या था, संबित पात्रा का बीजेपी की दिल्ली इकाई में पकड़ मजबूत हो गई और 2010 में वे हरीश खुराना, नलिन कोहली, अमन सिन्हा जैसे प्रवक्ताओं की श्रेणी में शामिल हो गए. संबित पात्रा के जीवन की यह टर्निग पॉइंट थी क्योकि इसी के बाद वे मीडिया में आने लगे, लोग उन्हें पहचाने लगे, विशेषकर वे दिल्ली की समस्याओ को रखने थे. वर्ष 2011 में संबित पात्रा को बीजेपी ने ऑफिशियली अपना प्रवक्ता घोषित किया और इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल ऑफिसर की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.

वर्ष 2012 में संबित पात्रा ने दिल्ली के कश्मीरी गेट से बीजेपी के टिकट पर एमसीडी का चुनाव लड़ा मगर दुर्भाग्य से वे चुनाव हार गए. वे कांग्रेस के प्रत्याशी हर्ष शर्मा से 1391 वोटो से हार गए थे. उस चुनाव में उन्हें दूसरा स्थान मिला था. संबित पात्रा दिल्ली का एमसीडी चुनाव भले ही हार गए थे मगर इस हार के बाद भी पार्टी में उनकी छवि खराब नहीं हुई और वे पार्टी के लिए लगातार काम करते रहे. वर्ष 2014 संबित पात्रा के लिए विशेष महत्वपूर्ण था विशेषकर उनके राजनीतिक भविष्य के लिए क्योकि उसी वर्ष देश में लोकसभा का आम चुनाव था और पात्रा की भूमिका एक पार्टी प्रवक्ता के रूप में बहुत बढ़ गई थी.

संबित पात्रा ने इस अवसर पर पार्टी का जमकर साथ दिया और उन्ही दिनों वे देश के लगभग सभी टीवी चैनल्स के डिबेट्स ने दिखाई देने लगे. वे पार्टी की नीतियों को बड़े ही मजबूत और तार्कित तरीके से रखते थे, विरोधियों के कटु प्रश्नो के भी बड़े ही सहनशील व आदरपूर्वक उत्तर देते थे.

2014 में केंद्र में यूपीए शासन का अंत हुआ और देश में कमल खिला. देश में ख़ुशी का माहौल था और इसमें अनेक नेताओ व पार्टी कार्यकर्त्ता का योगदान था लेकिन एक योगदान संबित पात्रा का भी था. बीजेपी की 2014 की ऐतिहासिक जीत में संबित पात्रा की भी भूमिका रही थी. परिणाम यह हुआ कि केंद्र में मोदी सरकार के आते ही साबित पात्रा को भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया, जो वे आज तक है.

हालांकि संबित पात्रा 2019 का ‘पूरी’ से लोकसभा चुनाव भी लड़ा मगर दुर्भाग्य से श्री पात्रा की इस चुनाव में भी हार हुई मगर बावजूद इसके संबित पात्रा एक अनमोल हीरे की भांति चमकते रहे. पार्टी में उनकी छवि खराब नहीं हुई. आज भी संबित पात्रा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता है और साथी ही वे भाजपा के प्रसिद्द नेता भी है पार्टी में उनका कद बड़े स्तर के नेताओ वाला है.

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