सैम पित्रोदा का जीवन परिचय (जीवनी) : Sam Pitroda Biography in Hindi

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Update: 2024-05-10 09:32 GMT

Sam Pitroda Biography in Hindi, Age, Wiki, Wife, Family, Election, Date of Birth, Wife, Family, Height, Career, Net Worth, Daughter, Children, Politics, Party, Quotes: सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिन्हें सैम पित्रोदा के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय दूरसंचार इंजीनियर और उद्यमी हैं। उनका जन्म 17 नवंबर 1942 को पूर्वी भारतीय राज्य ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती परिवार में हुआ था।

सैम पित्रोदा का निजी जीवन

  • पूरा नाम सैम पित्रोदा
  • जन्म स्थान Titlagarh, Odisha
  • दल का नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • शिक्षा स्नातकोत्तर
  • पेशा आविष्कारक, उद्यमी, विकास विचारक और नीति निर्माता

पित्रोदा का प्रारंभिक जीवन और कैरियर:

पित्रोदा के परिवार में सात भाई-बहन थे, और वह उनमें से तीसरे सबसे बड़े थे। उनका परिवार महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित था। परिणामस्वरूप, वे गांधीवादी दर्शन को आत्मसात करने के लिए गुजरात भेजे गए, जहां उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की। बाद में उन्होंने वल्लभ विद्यानगर से और फिर महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की।

1964 में उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के शिकागो जाकर इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जीटीई के लिए काम करना शुरू किया, जहां उन्होंने 1975 में इलेक्ट्रॉनिक डायरी का आविष्कार किया।

पित्रोदा ने 1974 में वेसकॉम स्विचिंग में शामिल होकर पहली डिजिटल स्विचिंग कंपनी में काम किया, जहां उन्होंने 580 डीएसएस स्विच विकसित किए। वेस्कॉम को 1980 में रॉकवेल इंटरनेशनल द्वारा अधिग्रहित किया गया था, जहां पित्रोदा उपाध्यक्ष बने।

भारत वापसी और बाद का करियर:

1981 में भारत लौटकर, पित्रोदा ने दूरसंचार प्रणाली को आधुनिक बनाने में मदद करने का निर्णय लिया। 1984 में, उन्हें प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने भारत लौटने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने एक स्वायत्त दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास संगठन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलीमैटिक्स सी-डॉट की शुरुआत की। उन्होंने फिर से भारतीय नागरिकता ली और नेतृत्व में कई प्रौद्योगिकी मिशनों का कार्य किया।

2004 में, पित्रोदा ने भारत लौटकर राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जो देश में ज्ञान से संबंधित संस्थानों और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सिफारिशें देता है। उन्होंने लिथियम मेटल क्लीन टेक्नोलॉजी कंपनी अल्फा-एन कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।

राजीव गांधी के करीबी

सैम पित्रोदा राजीव गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे. कांग्रेस में आज भी उनकी बहुत अहमियत है। उन्हें इंडियन ओवसीज कांग्रेस का चेयरमैन भी साल 2017 में बनाया गया था। ऐसे में पुलवामा हमले को लेकर सैम पित्रोदा के बहाने एक बार फिर कांग्रेस‌ घिर गई है। सैम पित्रोदा देश के जाने-माने इंजीनियर हैं। उन्होंने कई आविष्कार भी किए हैं। उन्हें विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। आइए जानते हैं. कौन हैं सैम पित्रोदा और किस तरह से वे इंजीनियरिंग के रास्ते राजनीति में आए।

सैम पित्रोदा नेशनल इनोवेशन काउंसिल के रह चुके हैं चेयरमैन

साल 2005-2009 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें नेशनल नॉलेज कमीशन का चेयरमैन बनाया गया। इस दौरान उन्होंने भारत में 27 क्षेत्र में 300 ऐसे विषयों के बारे में बताया था जिनपर फोकस किया जाना जा‌निए। इसके बाद साल 2010 में उन्हें नेशनल इनोवेशन काउंसिल का चेयरमैन बनाया गया। साल 2013 में उनको राजस्‍थान की सेंट्रल यूनिवर्स‌िटी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया।

तकनीकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र से भारतीय राजनीति में उनके आगमन का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को जाता है। राजीव के संपर्क में आने के बाद से ही सैम पित्रोदा राजनीति में सक्रिय हुए। लेकिन वे कांग्रेस पार्टी से सीधे पर नहीं जुड़े। वे हमेशा सरकारी पदों पर रहे। लेकिन साल 2017 में आखिरकार उन्हें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन पद पर बिठाया गया।

पांच से ज्यादा एनजीओ चलाते हैं सैम पित्रोदा

इस वक्त सैम पित्रोदा प्रमुख रूप से अपने पांच गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) चलाते हैं। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांस-डिस‌िप्लीनेटरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, द ग्लोबल नॉलेज इनिशिएटिव, इंडिया फूड बैंकिंग नेटवर्क, पीपूल फॉर ग्लोबल ट्रांसफॉरमेशन और एक्‍शन फॉर इंडिया हैं। इसके अलावा भी सैम कई अन्य एनजीओ के लिए प्रमुख भूमिकाएं निभाते रहे हैं। फिलवक्त व कांग्रेस से जुड़ाव के अलावा तकनीकी क्षेत्र में समाजसेवी के रूप में काम करते हैं।

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