MLA Amar Agarwal Biography in Hindi: विधायक अमर अग्रवाल का जीवन परिचय ( जीवनी), जानिए कौन है पांचवी बार विधायक निर्वाचित हुए अमर अग्रवाल?
MLA Amar Agarwal Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– अमर अग्रवाल बिलासपुर विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक निर्वाचित हुए हैं। उन्होंने कांग्रेस के शैलेश पांडे को 28959 वोटों से चुनाव हराया है। छात्र राजनीति से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अमर अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य रहें है। रमन सरकार में तीन बार मंत्री रहने के दौरान उनका कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा है।

MLA Amar Agarwal, Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth: बिलासपुर विधानसभा सीट से पांचवीं बार विधायक निर्वाचित होने वाले अमर अग्रवाल के पिता भाजपा के पितृ पुरुष और छत्तीसगढ़ की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाते हैं। भाजपा की छात्र राजनीति करते हुए अमर अग्रवाल ने मंत्री पद तक का सफर तय किया है। मंत्री रहने के दौरान कई सफल और जनकल्याण कारी योजनाओं को मूर्त रूप देने में अमर अग्रवाल का हाथ रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिटिंग विधायक शैलेश पांडे को हराकर पांचवीं बार विधायक निर्वाचित अमर अग्रवाल हुए हैं। वित्त, आबकारी,नगरीय प्रशासन,स्वास्थ्य, वाणिज्य कर,चिकित्सा शिक्षा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री अमर अग्रवाल रह चुके हैं। आईए जानते हैं उनके बारे में...
जन्म और शिक्षा:
अमर अग्रवाल का जन्म छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के खरसिया में 22 सितंबर सन 1963 को हुआ। पांच भाइयों में अमर अग्रवाल दूसरे नंबर के हैं। उनकी एक बड़ी बहन भी है। स्कूली शिक्षा खरसिया के स्थानीय स्कूल से पूरी करने के बाद उन्होंने रायपुर के दुर्गा कॉलेज से वाणिज्य संकाय में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद पैतृक व्यवसाय को सम्हालते हुए अमर अग्रवाल ने राजनीति में भी पदार्पण किया। वह भाजपा के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा के बिलासपुर जिला अध्यक्ष रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता और भाजपा राष्ट्रीय परिषद के भी सदस्य रहें हैं। उन्हें सन 1998 में भाजपा ने अविभाजित मध्य
प्रदेश के दौरान पहली बार उन्हें बिलासपुर विधानसभा से टिकट दी गई। इस चुनाव में जीत हासिल कर अमर अग्रवाल पहली बार विधायक निर्वाचित हुए। सन 2000 में सदस्य गैर सरकारी सदस्यों के विधेयको तथा संकल्पों संबंधी समिति,प्राक्कलन समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य रहें। 2001 में सदस्य नियम समिति रहें।
जिसके बाद 2003 के चुनाव में भी अमर अग्रवाल दूसरी बार बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की प्रत्याशी अनिल टाह को हराकर विधायक निर्वाचित हुए। 2003 में भाजपा सत्ता में आई और रमन सिंह मुख्यमंत्री बने। रमन सरकार में अमर अग्रवाल मंत्री वित्त तथा योजना, वाणिज्य कर,आर्थिकी एवं सांख्यिकी,बीस सूत्रीय कार्यक्रम, नगरीय प्रशासन,उद्योग,वाणिज्य विभाग रहें। पहली पारी में ही एक अल्प विराम लेते हुए अमर अग्रवाल ने 2007 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। फिर एक माह बाद मंत्रिमंडल के पुर्नगठन में वे नगरीय प्रशासन,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण,चिकित्सा शिक्षा,वाणिज्य कर विभाग के मंत्री बनें।
2008 में अमर अग्रवाल तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीत कर विधायक निर्वाचित हुए। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल टाह को हराया। मंत्रिमंडल गठन में उन्हें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा,वाणिज्य कर, श्रम विभाग, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास मंत्री रहें। 2009 से 2011 तक विशेष आमंत्रित सदस्य, कार्यमंत्रणा समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा भी रहे हैं।
अपने मंत्री के रूप में दूसरे कार्यकाल में उन्होंने प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। टीकाकरण के मामले में नक्सल प्रभावित और आदिवासी बाहुल्य अविकसित जिला कांकेर पूरे देश में प्रथम स्थान पर आया। लिंग परीक्षण के खिलाफ कठोर प्रतिबंध लगाकर लिंगानुपात सही रखा। जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए महतारी एक्सप्रेस, संजीवनी एक्सप्रेस जैसी योजनाएं लांच की जो अब भी सफलतापूर्वक संचालित है।
2013 में उनकी टक्कर कांग्रेस प्रत्याशी और सिटिंग महापौर वाणी राव से हुई। वाणी राव को शिकस्त दे अमर अग्रवाल चौथी बार विधायक निर्वाचित हुए। 2013 में अमर अग्रवाल लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री,चिकित्सा शिक्षा,वाणिज्य कर एवं श्रम, नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री बने। 2015 में उन्होंने वाणिज्य कर, नगरीय प्रशासन,वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग के मंत्री बने।
2018 में अमर अग्रवाल को कांग्रेस के प्रत्याशी शैलेश पांडे से हार का सामना करना पड़ा। पर 2023 में अपनी हार का बदला लेते हुए सीटिंग विधायक शैलेश पांडेय को 28959 वोटों से हराया। यह बिलासपुर विधानसभा की सबसे बड़ी लीड थी और अमर अग्रवाल के पिछले चार जीतों से बड़ी जीत थी।
जानिए सभी चुनावों में अमर की कैसी रही जीत और हार:
1998 से 2023 तक अमर अग्रवाल ने भाजपा की टिकट पर 6 बार चुनाव लड़ा। जिसमें से उन्हें पांच बार जीत तो केवल एक बार हार मिली। सन 1998 में पहली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अनिल टाह को 10955 मतों से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण कुमार यादव तीसरे नंबर पर रहे थे। 2003 में कांग्रेस प्रत्याशी अनिल टाह को 5843 वोटों से हराया। 2008 में फिर से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल टाह को 9376 वोटों से हराया। 2013 में कांग्रेस प्रत्याशी तत्कालीन महापौर वाणी राव को 15559 वोटों से चुनाव हराया। 2018 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के प्रत्याशी शैलेश पांडेय ने 11221 वोटो से शिकस्त दी। 2023 में उन्होंने 28959 वोटो से जीत हासिल की।
हार के बाद भी रहे जनता के बीच, उठाते रहे जनहित के मुद्दे:
2018 में मिली हार और प्रदेश के कांग्रेस की सरकार आने के बाद भी अमर अग्रवाल जनता से जुड़े रहे। लोगों के सुख– दुख में शामिल होने के साथ साथ सामाजिक कार्यक्रमों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। अलग–अलग आपराधिक घटनाओं पर अलग अलग प्रेस कांफ्रेंस लेकर सरकार को घेरते रहे। अरपा पार पृथक नगर निगम की घोषणा के साथ 23 बिंदुओं में बिलासपुर विधानसभा में अलग से घोषणा पत्र भी अमर अग्रवाल ने जारी किया। इसका फायदा उन्हें मिला और मात्र 56 प्रतिशत वोटिंग के बाद भी उन्हें रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल हुई। अमर अग्रवाल को 83022 वोट प्राप्त हुए वहीं शैलेश पांडे को 54063 वोट प्राप्त हुए।
शराब ठेकेदारों की गुंडागर्दी बंद करवाने करवा दिया ठेका बंद:
अमर अग्रवाल की उपलब्धियों में एक बड़ी उपलब्धि यह भी रही कि बिलासपुर से उन्होंने गुंडागर्दी समाप्त कर दी। शराब ठेकेदारों की आपसी प्रतिस्पर्धा में एक समय बिलासपुर में उनके पंडे भिड़ते थे और गोलियां चलती थी। अमर अग्रवाल ने शराब की ठेका पद्धति समाप्त कर इसे सरकार के नियंत्रण में ला दिया। और शराब दुकानों का संचालन सरकार करने लगी। ठेकेदारों की मनमानी और गुंडागर्दी तो समाप्त हुई ही साथ ही राजस्व को भी बड़ा फायदा हुआ। सरकार के द्वारा शराब ठेका की पद्धति अपने हाथ में लेने के साथ ही पहले ही साल सरकार के खजाने में एक हजार करोड़ रुपए के राजस्व में वृद्धि हुई।
पारिवारिक जीवन:
अमर अग्रवाल का विवाह 16 फरवरी 1985 को शशि अग्रवाल के साथ संपन्न हुआ। अमर अग्रवाल की दो पुत्रियां और एक पुत्र आदित्य अग्रवाल ( कान्हा) है।