Vijay Rupani Biography Hindi: बर्मा से गुजरात की सत्ता तक! कैसे एक व्यापारी का बेटा बना मुख्यमंत्री? जानिए विजय रूपाणी की बायोग्राफी/जीवनी

Vijay Rupani Biography Hindi: विजय रूपाणी एक ऐसा नाम जिसे भारतीय जनता पार्टी केवल एक नेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक विचारधारा के सच्चे सिपाही के रूप में देखती है। पार्टी के प्रति निष्ठा, सादगी और संगठन के लिए समर्पण—विजय रूपाणी की पहचान यहीं से शुरू होती है।

Update: 2025-06-12 10:32 GMT

Vijay Rupani Biography Hindi: विजय रूपाणी एक ऐसा नाम जिसे भारतीय जनता पार्टी केवल एक नेता के तौर पर नहीं, बल्कि एक विचारधारा के सच्चे सिपाही के रूप में देखती है। पार्टी के प्रति निष्ठा, सादगी और संगठन के लिए समर्पण—विजय रूपाणी की पहचान यहीं से शुरू होती है। और यही वजह रही कि छात्र राजनीति से शुरू हुआ उनका सफर सीधे मुख्यमंत्री पद तक पहुंचा था।

रंगून की गलियों से गुजरात की राजनीति तक

2 अगस्त 1956 को म्यांमार (तब का बर्मा) की राजधानी रंगून में जन्मे विजय रूपाणी उस समय के भारतीय परिवारों की तरह विदेश में व्यापारिक कारणों से बसे हुए थे। उनके पिता रमणिकलाल रूपाणी का कारोबार वहीं था। लेकिन बर्मा में बिगड़ती राजनीतिक स्थितियों के चलते 1960 में पूरा परिवार वापस भारत लौटा और राजकोट को अपना स्थायी ठिकाना बना लिया।

विजयकुमार रमणिकलाल रूपाणी निजी जीवन

  • पूरा नाम: विजयकुमार रमणिकलाल रूपाणी
  • जन्म तिथि: 02 Aug 1956
  • जन्म स्थान: रंगून, बर्मा
  • पार्टी का नाम: Bharatiya Janta Party
  • शिक्षा: Graduate Professional
  • व्यवसाय: राजनेता और व्यापारी
  • पिता का नाम: रमणिकलाल रूपाणी
  • माता का नाम: मायाबेन रूपाणी
  • जीवनसाथी का नाम: अंजलि रूपाणी
  • जीवनसाथी का व्यवसाय: व्यवसायी
  • संतान: 2 पुत्र 1 पुत्री
  • धर्म: जैन
  • शुद्ध संपत्ति: ₹8.26 CRORE
  • सम्पत्ति : ₹9.09 CRORE
  • उत्तरदायित्व : ₹83.01 LAKHS

संघ से जुड़ाव

विजय रूपाणी ने राजकोट में पढ़ाई के दौरान ही राजनीति की ओर रुख कर लिया। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए और फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। यही वह पड़ाव था, जहां से उनका जीवन पूरी तरह से विचारधारा-आधारित राजनीति की ओर मुड़ गया।

जेल और जनसंघ

आपातकाल के दौरान 11 महीने जेल की सजा ने उन्हें न केवल राजनीतिक परिपक्वता दी, बल्कि संघ और जनसंघ की विचारधारा में और गहराई से जोड़ दिया। इसके बाद बीजेपी की स्थापना हुई और विजय रूपाणी उसके साथ शुरू से जुड़े रहे। न उन्होंने पार्टी बदली, न विचारधारा।

राजकोट की गलियों से शुरू हुआ राजनीतिक कद

1987 में वह राजकोट नगर निगम के पार्षद बने, फिर जल निकासी समिति के अध्यक्ष और बाद में स्थायी समिति के अध्यक्ष। 1996 में वो राजकोट के महापौर बने। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और कुशल प्रबंधन ने उन्हें राज्य की राजनीति में बड़ी जगह दिलाई।

राज्यसभा से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर

2006 में वो राज्यसभा पहुंचे और छह साल तक गुजरात का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन असली पहचान तब मिली जब 2014 में वजुभाई वाला के इस्तीफे के बाद उन्हें राजकोट पश्चिम से विधायक बनाया गया। फिर 2016 में आनंदीबेन पटेल के बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई।

दो कार्यकाल, कोई विवाद नहीं?

7 अगस्त 2016 से 11 सितंबर 2021 तक वो गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने कई योजनाएं शुरू कीं, लेकिन उनका कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रहा। SEBI द्वारा लगाए गए ₹1.5 लाख के जुर्माने ने उन्हें एक बार आलोचना के घेरे में भी खड़ा किया। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में उनकी व्यक्तिगत भूमिका सीमित रही और वो इससे बेदाग निकले।

संगठन में वापसी

2021 में उन्होंने स्वेच्छा से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, और एक बार फिर संगठन को प्राथमिकता दी। यह फैसला न केवल राजनीतिक परिपक्वता दिखाता है, बल्कि पार्टी के प्रति उनकी सच्ची निष्ठा भी उजागर करता है।

निजी जीवन

विजय रूपाणी की पत्नी अंजलि रूपाणी भी बीजेपी की महिला विंग से जुड़ी हुई हैं। उनके बेटे रुषभ और बेटी राधिका हैं। उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे पुजित को एक सड़क हादसे में खो दिया था। इसके बाद उन्होंने 'पुजित रूपाणी मेमोरियल ट्रस्ट' की स्थापना की, जो अब सामाजिक कार्यों में सक्रिय है।

विजय रूपाणी विचारधारा का योद्धा

विजय रूपाणी की कहानी किसी राजनीतिक स्टंट या अवसरवादी चढ़ाई की नहीं है। यह उस संघर्षशील कार्यकर्ता की कहानी है जो विचारधारा से चला, और उसी के सहारे मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचा। उनके जीवन से यह साबित होता है कि राजनीति सिर्फ कुर्सी की नहीं, सोच और सेवा की भी होती है।

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