Jagdeep Dhankhar Biography: गांव के लड़के से भारत के उपराष्ट्रपति तक का सफर! जानिए Jagdeep Dhankhar की पूरी कहानी, चल गया पता क्यों दिया इस्तीफा?

Jagdeep Dhankhar Biography (Jivani) Hindi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा।

Update: 2025-07-21 17:55 GMT

Jagdeep Dhankhar Biography (Jivani) Hindi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि वे चिकित्सकीय सलाह का पालन करते हुए पद से हट रहे हैं। धनखड़ ने अपने इस्तीफा पत्र में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के सहयोग के लिए आभार जताया और लिखा कि भारत के लोकतंत्र की सेवा करना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात रही।

उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत

धनखड़ ने 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह पद जीता था। इस चुनाव में उन्हें 528 वोट मिले थे जबकि अल्वा को सिर्फ 182 वोट। इस भारी अंतर से उनकी लोकप्रियता और सियासी पकड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है।

झुंझुनू से दिल्ली तक का सफर

18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के कैथाना गांव में जन्मे जगदीप धनखड़ एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता का नाम गोकल चंद और माता का नाम केसरी देवी था।सैनिक स्कूल से पढ़ाई के बाद उन्होंने महाराज कॉलेज, जयपुर से फिजिक्स में B.Sc की और फिर जयपुर यूनिवर्सिटी से LLB की पढ़ाई कर वकालत शुरू की।

जगदीप धनखड़ ने वकालत में बनाई पकड़

धनखड़ राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर वकील बने और देश के प्रमुख वकीलों में शुमार किए जाने लगे। वे राजस्थान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे। सुप्रीम कोर्ट सहित देश के कई हाई कोर्ट्स में उन्होंने वकालत की।

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर

धनखड़ ने 1989 में झुंझुनू से जनता दल के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता और सांसद बने। इसके बाद वे चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने। बाद में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा और अजमेर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2003 में बीजेपी में शामिल हुए और किशनगढ़ विधानसभा से विधायक बने।

बंगाल में राज्यपाल रहते बने चर्चा का विषय

2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस दौरान उनका ममता बनर्जी सरकार से लगातार टकराव की स्थिति बनी रही। निजी विश्वविद्यालयों को लेकर हुए विवाद में उन्हें 'विजिटर' पद से हटाने के लिए बंगाल सरकार ने कानून में संशोधन तक कर डाला।

बीजेपी ने क्यों चुना उपराष्ट्रपति उम्मीदवार?

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जाट समुदाय को साधने और किसान पृष्ठभूमि को उभारने के उद्देश्य से बीजेपी ने धनखड़ को एनडीए का उम्मीदवार बनाया। राजस्थान और हरियाणा में जाट वोट बैंक को लुभाने की रणनीति भी इसका कारण रही।

इस्तीफा और उसका संदेश

धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, भारत के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल मेरे लिए गौरव और सीख से भरा रहा। आज जब मैं यह पद छोड़ रहा हूं, तब भी भारत के उज्ज्वल भविष्य में मेरा पूर्ण विश्वास है।



जगदीप धनखड़ का जीवन साधारण किसान परिवार से निकलकर वकालत, राजनीति और फिर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने की एक प्रेरक कहानी है। उनका इस्तीफा भले ही स्वास्थ्य कारणों से हो, लेकिन उनकी यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मॉडल की तरह है।

Tags:    

Similar News