Bihar News: ठंड की छुट्टी पर 2 आईएएस में ठनी: कलेक्टर ने जारी किया स्कूलों में अवकाश का आदेश, एसीएस बोले-यह कैसी सर्दी जो...
Bihar News: बिहार में राजनितिक और आधिकारिक मामला हमेशा ही गर्म रहता है. इन दिनों बिहार में दो आईएएस अधिकारी आमने-सामने एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं. दरअसल बिहार में बढ़ते शीतलहर और कड़ाके की ठण्ड को देखते हुए प्रदेश में स्कूलों को बंद करवाया गया था.
Bihar News: बिहार में राजनितिक और आधिकारिक मामला हमेशा ही गर्म रहता है. इन दिनों बिहार में दो आईएएस अधिकारी आमने-सामने एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं. दरअसल बिहार में बढ़ते शीतलहर और कड़ाके की ठण्ड को देखते हुए प्रदेश में स्कूलों को बंद करवाया गया था. सर्द मौसम के कारण पटना के जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने 23 जनवरी तक सभी स्कूलों को बंद रखने का निर्देश जारी किया गया है. जबकि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) केके पाठक ने बिना अनुमति के स्कूल को बंद न करने का आदेश दिया था.
जानकारी के मुताबिक अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सभी जिलाधिकारियों को 20 जनवरी को आदेश जारी कर कहा था कि किसी भी स्कूल को बंद करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य है. लेकिन पटना के जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने बिना शिक्षा विभाग के अनुमति के 23 जनवरी तक स्कूलों को बंद रखने का निर्देश जारी किया है. जो बिना अनुमति के हुआ है. अब ऐसे में शिक्षा विभाग ने जिलाधिकारी से नाराजगी जताई है. जिसके बाद के.के. पाठक ने सवाल उठाए हैं कि बिहार में कैसी सर्दी या शीतलहर चल रही है जो सिर्फ स्कूलों पर ही गिर रही है, कोचिंग संस्थानों पर नहीं? पत्र में कहा गया है कि पिछले दिनों सर्दी और शीतलहर के चलते विभिन्न जिलों में भांति-भांति के आदेश जिला प्रशासन द्वारा निर्गत किये गए. इन आदेशों को देखने से यह प्रतीत होता है कि ये आदेश धारा-144 के तहत किए गए हैं
आपको बता दें इस मामले में शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने डीईओ को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा " 23 जनवरी से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने का आदेश मान्य नहीं होगा" . वहीँ इस विवाद पर जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने कहना है प्रदेश में शीतलहर और ठंड अपने चरम पर है ऐसे में बच्चों के स्वास्थ को देखते हुए ये फैसला लिया गया है . इसमें टकराव जैसी कोई बात नहीं है. ठंड को लेकर आठवीं तक स्कूलों, कोचिंग को बंद करने का आदेश न्यायिक है. शिक्षा विभाग के अधिकारी को पत्र निर्गत करने के पहले विधि विभाग से परामर्श लेना चाहिए था.