Bihar Election 2025: क्या यादव वोट ने बिगाड़ दिया तेजस्वी यादव का खेला? पढ़ें 5 बड़े कारण

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव 2025 में तेजस्वी यादव को बड़ा झटका लगा। एमवाई फैक्टर टूटा, सीट शेयरिंग विवाद, परिवार की दरार और नीतीश-मोदी फैक्टर ने राजद की उम्मीदें कमजोर कर दीं। पांच प्रमुख कारण यहां पढ़ें।

Update: 2025-11-14 11:14 GMT

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को तेजस्वी यादव अपने राजनीतिक करियर की सबसे बड़ी लड़ाई मानकर चल रहे थे। पूरे चुनाव में भीड़ जोश और आक्रामक कैंपेन ने हवा बना दी थी कि इस बार महागठबंधन की सत्ता में वापसी करीब है। खुद तेजस्वी ने शपथ की तारीख तक तय कर दी थी। लेकिन आज के नतीजों ने तस्वीर उलट दी है। NDA की आंधी ने इस बार तेजस्वी के करियर पर सवालिया निशान लगा दिया है।

1. MY फैक्टर नहीं चला, यादव-मुस्लिम वोट बिखर गया
राजद का पारंपरिक एमवाई समीकरण इस बार मजबूत असर नहीं दिखा पाया। मुस्लिम वोटों में बिखराव और यादव वोटरों का आंशिक शिफ्ट कई सीटों पर माहौल बदलता गया। जिन इलाकों को राजद अपना गढ़ मानता था वहां इस बार वोटिंग पैटर्न अलग दिखाई दिया और इसका सीधा असर परिणामों पर पड़ा है।
2. सीट शेयरिंग ने महागठबंधन का खेल बिगाड़ा
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक खींचतान चलती रही। कई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा में देरी हुई, जिससे जमीनी कार्यकर्ता दुविधा में पड़ गए। कुछ जगहों पर फ्रेंडली फाइट की नौबत आ गई। नतीजतन विपक्षी कैंप को सीधा फायदा मिला।
3. यादव परिवार की दरार ने असर दिखाया
तेज प्रताप यादव ने अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ना चुना। इससे परिवार में बिखराव का संदेश गया और जहां-जहां उनके प्रत्याशी उतरे वहां वोट शेयर टूट गया। यह वही स्थिति बनी जैसी यूपी में 2017 में अखिलेश और शिवपाल विवाद के दौरान देखने को मिली थी। जनता को मज़बूत गठबंधन की बजाय बंटी हुई तस्वीर नजर आई।
4. तेजस्वी के बड़े वादे, लेकिन जनता के भरोसे पर सवाल
तेजस्वी ने युवाओं को सरकारी नौकरियों वाला वादा चुनाव का मुख्य एजेंडा बनाया। लेकिन कई मतदाताओं को यह वादा ज़मीन से जुड़ा नहीं लगा। इसके मुकाबले नीतीश सरकार की नकद सहायता योजनाएं ज्यादा भरोसेमंद दिखीं। राजनीतिक रणनीति में यह फर्क निर्णायक साबित हुआ।
5. नीतीश-मोदी की जोड़ी ने दिया स्थिरता का संदेश
एनडीए ने इस बार अपने अभियान को बेहद अनुशासित ढंग से चलाया। सीट शेयरिंग तय समय पर हुई, प्रचार में किसी तरह की गुटबाज़ी नहीं दिखी और मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर भी आखिरी दिनों में स्पष्टता आ गई। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का एक मंच पर साथ दिखना मतदाताओं को स्थिर और भरोसेमंद विकल्प लगा। यही फैक्टर निर्णायक साबित हो रहा है।
तेजस्वी के लिए बड़ा सबक
यह चुनाव तेजस्वी यादव के लिए सिर्फ एक हार नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश है। लालू यादव के बाद बिहार की राजनीति में सबसे बड़ा चेहरा तेजस्वी ही हैं, लेकिन यह नतीजा बता रहा है कि आक्रामक कैंपेन के साथ संगठन, समन्वय और विश्वास की राजनीति भी उतनी ही ज़रूरी है। 
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