Bihar Caste Survey Report: बिहार सरकार ने जारी की जातीय गणना रिपोर्ट, पढ़िए राज्‍य में किसकी कितनी आबादी

Bihar Caste Survey Report: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने बहुप्रतीक्षित जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इस सर्वेक्षण से पता चला है कि राज्य की 13 करोड़ से अधिक आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी 63 प्रतिशत है।

Update: 2023-10-03 04:56 GMT

Bihar Caste Survey Report: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार ने बहुप्रतीक्षित जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इस सर्वेक्षण से पता चला है कि राज्य की 13 करोड़ से अधिक आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की आबादी 63 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में इस साल की शुरुआत में राज्य में जातिगत सर्वेक्षण का कार्य शुरू किया गया था। आइए जानते हैं कि बिहार और देश की राजनीति के लिए इस जातिगत सर्वे के क्या मायने हैं।

जातिगत सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है। इनमें से अत्यन्त पिछड़ा वर्ग की आबादी 36.01 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12 प्रतिशत, अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण की आबादी 15.52 प्रतिशत हैं। इसके अलावा राज्य की कुल आबादी में 81.9 प्रतिशत हिंदू धर्म, 17.7 प्रतिशत मुस्लिम धर्म, 0.05 प्रतिशत ईसाई धर्म, 0.08 प्रतिशत बौद्ध धर्म और 0.009 प्रतिशत जैन धर्म को मानते हैं।

बिहार सरकार का मानना था कि सरकार के पास अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अन्य जातियों की आबादी का सटीक आंकड़ा नहीं है, जिससे योजनाएं अच्छी तरह से बनाई जा सकें। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा नगर निकाय और पंचायत चुनाव में OBC को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों को 16 फीसदी और अनुसूचित जनजातियों को एक फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार वह 13 प्रतिशत अधिक आरक्षण दे सकती है।

बिहार की राजनीति में जाति की अहम भूमिका है। इसमें भी OBC समुदाय की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी निर्णायक भूमिका अदा कर सकती है। यही कारण है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इन्हें अपनी तरफ करनी की कोशिश करती रही है। अब जातिगत जनगणना और इसके आधार पर आरक्षण सुनिश्चित करने की बात कहकर जनता दल यूनाइटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) गठबंधन की सरकार ने इन्हें अपनी तरफ करने का बड़ा दांव खेला है।

जातिगत सर्वे के आंकड़े लोकसभा चुनाव में संभावित रूप से बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे सकते हैं। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और इनमें से अधिक से अधिक सीटें जीतने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA को OBC वोटबैंक से समर्थन की जरूरत है। जातिगत सर्वे कराकर गठबंधन ने उन्हें अपनी तरफ करने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठा दिया है और ये एक सर्वे चुनाव में निर्णायक भूमिका भी अदा कर सकता है।

विपक्ष देशभर में जातिगत जनगणना की मांग कर रहा है। दरअसल, पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत दिलाने में OBC वोटबैंक ने अहम भूमिका निभाई थी। 2019 चुनाव में 40 प्रतिशत OBC मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था। इससे पहले 2014 के चुनाव में भी भाजपा को 34 प्रतिशत OBC वोट मिले थे। विपक्षी भाजपा के इसी OBC वोटबैंक पर सेंध लगाना चाहता है और बिहार के सर्वे के बाद ये मांग और तेज हो सकती है।

भारतीय राजनीति में कई बार देखा गया है कि हिंदुत्व की राजनीति की काट जाति की राजनीति से होती है, जिसे 'मंडल बनाम कमंडल' का नाम भी दिया जाता है। विपक्ष 2024 के लिए यही बहस पैदा करने की कोशिश में है। जातिगत जनगणना कराकर OBC को आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। विशेष संसद सत्र में विपक्ष ने महिला आरक्षण विधेयक में भी OBC को आरक्षण की मांग की थी।

देश में पहली बार 1881 में और आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी। 1941 में जाति के आधार पर डाटा जुटाए गए, लेकिन उन्हें जारी नहीं किया गया। 1931 के आंकड़ों के अनुसार, देश में OBC की जनसंख्या 52 प्रतिशत होनी चाहिए। हालांकि, कुछ सर्वे में ये 40-41 प्रतिशत भी बताई गई है। इस अनिश्चितता के कारण ही जातिगत जनगणना कर भारत की आबादी में OBC की वास्तविक संख्या का पता लगाने की मांग की जाती है।

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