Mahadev Satta App: जानिए.. जूस बेचने वाले लड़के की महादेव ऑनलाइन सट्टा एप ने कैसे कमाए 6 हजार करोड़ रुपए,

Mahadev Satta App: महादेव सट्टा एप की जांच अब ईओडब्ल्यू से लेकर सीबीआई को दे दी गई है। इसके प्रमोटरों ने एप के जरिए ऑनलाइन सट्टा खिला 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई की है। ईओडब्ल्यू से पहले ईडी ने भी इस मामले में जांच कर 1300 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की थी।

Update: 2024-08-26 14:40 GMT

 Mahadev Satta App: महादेव सट्टा एप की जांच राज्य सरकार ने सीबीआई के हवाले कर दिया है। 21 अगस्त को ही गृहमंत्री विजय शर्मा ने सीबीआई को महादेव सट्टा एप की जांच सौंपने का बयान दिया था। आज राज्य सरकार ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। भिलाई के एक जूस बेचने वाले लड़के के द्वारा इस ऐप को बनाने और इससे ऑनलाइन सट्टा खिलवाने पर राज्यभर में 70 एफआईआर दर्ज हुए है। प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय इसकी जांच शुरू की थी। ईडी ने अरबो रुपए की संपत्ति भी अटैच की है। राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को इसकी जांच सौंपी गई थी। अब सीबीआई इसकी जांच करेगी। बता दे ईडी के मुताबिक 6 हजार करोड़ रूपए से अधिक की कमाई इस एप के प्रमोटरों ने 2 सालों के अंदर ही कर ली थी।

जानिए महादेव सट्टा एप के बारे में सबकुछ

प्रमोटर और शुरुआत

महादेव सट्टा एप को छत्तीसगढ़ के भिलाई में रहने वाले सौरभ चंद्राकर ने अपने दोस्त रवि उप्पल के साथ मिलकर बनाया है। सौरभ चंद्राकर के पिता नगर निगम के पेट्रोल पंप में पेट्रोल भरने का काम करते थे। जबकि सौरभ चंद्राकर जूस की दुकान लगाता था। जूस की दुकान लगाते लगाते वह सट्टा खिलाने लग गया था। इसके बाद अपने दोस्त रवि उप्पल के साथ मिलकर महादेव ऑनलाइन सट्टा बुक ऐप बना लिया। रवि उप्पल के पास इंजीनियरिंग की डिग्री है।

क्या है सट्टा एप और कैसे करता है काम

महादेव बेटिंग एप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बनाया गया है। इस एप के जरिए ऑनलाइन सट्टा लगाया जाता है। इस पर लॉगइन करने वाले यूजर्स कार्ड गेम्स, पोकर, चांस गेम्स, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेल ऑनलाइन पैसे लगाकर खेले जाते थे। इस ऐप को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि इसमें पैसे लगाकर गेम खेलने वाले यूजर्स जीतते थे। लत लगने के बाद जब यूजर्स मोटी रकम लगाने लगते थे तब उन्हें हार का सामना करना पड़ता था। इस ऐप को इस तरह डिजाइन कर दिया गया था कि लगातार खेलने वाले सिर्फ 30 फीसदी यूजर जीतते बाकी हार जाते थे। रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर इसके लिए फ्रेंचाईजी बांटते थे। जिसमे 80% खुद रखते थे। 20 प्रतिशत फ्रेंचाईजी को देते थे। बाद में रवि उप्पल और सौरभ चंद्राकर दुबई शिफ्ट हो गए और वही से इसका संचालन करने लगे। उसके साथ ही भिलाई का पिंटू उर्फ शुभम सोनी जुड़कर दुबई चला गया।

इस एप के लिए सिंडिकेट को चलाने के लिए टेक्निकल टीम, एकांउट ग्रुप, हेड ऑफिस ग्रुप, कस्टमर केयर,स्टोर डिपार्टमेंट, हेड ऑफिस डिपार्टमेंट नामक अलग– अलग विभाग बनाए गए थे। सभी ग्रुप के अलग– अलग एडमिन होते थे और सट्टा पैनल एप का संचालन करते थे।

अवैध सट्टे के एप का नेटवर्क तेजी से फैला। सबसे ज्यादा खाते छत्तीसगढ़ में खुले। महादेव बुक के प्रमोटर्स ने नेताओं,अफसरों तक संरक्षण देने की एवज में प्रोटेक्शन मनी हर महीने पहुंचाए। जांच में पता चल कि छत्तीसगढ़ के सर्राफा कारोबारी सुनील दम्मानी के जरिए हवाला के माध्यम से प्रोटेक्शन मनी पहुंचाया जाता था। आरक्षक चंद्रभूषण वर्मा के माध्यम से इसे कलेक्ट किया जाता था। इस काम में रितेश कुमार यादव, किशन लाल वर्मा, राहुल वकते भी मदद करते थे।

एप के प्रमोटर की शादी में अरबों का खर्चा, बॉलीवुड से दुबई पहुंचे थे स्टार

एप के मेन प्रमोटर सौरभ चंद्राकर दुबई में अपनी गर्लफ्रेंड से शादी की थी। फरवरी 2023 में दुबई में हुई शादी में शादी में कई बॉलीवुड स्टार्स भारती सिंह, टाइगर, रणबीर कपूर, नेहा कक्कड़, श्रॉफ,आतिफ असलम, राहत फ़तेह अली खान, अली असगर, विशाल ददलानी, एली एवराम, भाग्यश्री,पुलकित, कीर्ति खलबंदा सहित 14 फिल्मी सितारों ने शामिल होकर अपनी परफॉर्मेंस दी थी। उनके परफॉर्मेंस का वीडियो भी सामने आया था। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के हवाले से बॉलीवुड स्टार्स को शामिल किया गया था। जिसके लिए इवेंट मैनेजमेंट कंपनी मेसर्स आर-1 इवेंट्स प्राइवेट लिमिटेड

को 112 करोड रुपए का भुगतान किया गया था। वही होटल की बुकिंग के लिए 42 करोड रुपए के रकम कैश के जरिए भुगतान किया गया था। सौरभ चंद्राकर के रिश्तेदारों को दुबई ले जाने के लिए नागपुर से एक प्राइवेट जेट भी बुक किया गया था। इस हाई प्रोफाइल शादी की चर्चा पूरे देश में हुई थी और ईडी ने सारे बॉलीवुड स्टार्स को भी पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था।

छत्तीसगढ़ में दर्ज है कई एफआईआर

छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा एप के खिलाफ अलग-अलग थानों में कुल 70 अपराध दर्ज है। विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान वर्तमान में राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने इसका मुद्दा बनाया था। भाजपा ने अपनी चुनावी सभाओं में घोषणा की थी कि महादेव के नाम को बदनाम करने वालों को बक्शा नहीं जायेगा।

ईडी ने मामले में 16 महीने तक लंबी– चौड़ी जांच कर 1300 करोड़ की संपत्ति को अटैच किया था। इसमें छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में स्थित संपत्तियों को भी अटैच किया गया था था। इसके अलावा प्रमोटरो के द्वारा फर्जी सेल कंपनियां बनाकर शेयर मार्केट के माध्यम से एक हजार करोड़ रूपये का निवेश भी किया गया था। जिसकी जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमिय बोर्ड कर रही है।

ईओडब्ल्यू को सौंपी जांच

राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद राज्य सरकार ने इसे आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को जांच हेतु सौंप दी। सरकार ने इसके लिए एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू को जुआ एक्ट की सभी धाराओं में जांच और कार्रवाई करने का अधिकार दे दिया। महादेव सट्टा एप की जांच में खुलासा हुआ कि हर महीने इससे साढ़े चार सौ करोड़ रुपए कमाई किए जाते थे। महादेव सट्टा एप का सिंडिकेट बना यह कमाई की जाती थी। यह कमाई लॉकडाउन के बाद की है। देशभर में इसके 4000 ब्रांच संचालित है और 4 000 से ज्यादा लोग इससे जुड़े हुए हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की जांच में पता चला कि महादेव सट्टा एप का सिंडिकेट कर लेयर में काम करता था।

पूर्व मुख्यमंत्री के नाम दर्ज हुआ एफआईआर

ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जांच के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया था। इसके अलावा सौरभ चंद्राकर,रवि उप्पल, असीम दास, शुभम सोनी, चंद्रभूषण वर्मा,नीतीश दीवान, अनिल कुमार उर्फ अतुल दीवान, विकास छाबरिया, रोहित गुलाटी,विशाल आहुजा, धीरज आहुजा,अनिल कुमार दम्मानी, सुनील कुमार दम्मानी,भीम सिंह यादव, हरिशंकर तिरबतवाल, सुरेंद्र बागड़ी, सूरज चोखानी, संबंधित ब्यूरोक्रेट/ पुलिस अफसर/ओएसडी, निजी व्यक्ति के खिलाफ चालान पेश किया था।

अफसरों का नाम चालान में नही

ईओडब्ल्यू ने जो अदालत में चालान पेश की उसमें छत्तीसगढ़ के अधिकारियों का नाम नहीं दिया गया था। नाम की जगह उनके पद नाम का प्रयोग किया गया है। किसी भी पुलिस अधिकारी को अब तक ईओडब्ल्यू ने नामजद आरोपी नहीं बनाया है। हालांकि पुलिस का आरक्षक चंद्र भूषण वर्मा नाम जद आरोपी है। पुलिस, ईओडब्ल्यू तथा ईडी ने इस मामले में एक हजार से ज्यादा बैंक खाते सीज किए है। इस मामले में अब तक तीनों एजेंसियों ने कुल मिलाकर 325 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली,गोवा,महाराष्ट्र, ओडिसा, कटनी, अनुपपुर, विशाखपट्टनम, अनूपपुर से आरोपियों की गिरफ्तारी की थी। गिरफ्तारी के दौरान बरामद रखा और सामान की कीमत 200 करोड़ से ज्यादा थी। ईओडब्ल्यू ने फर्जी शैल कंपनिया बना इन्वेस्टमेंट के भी सबूत जुटाए थे। 15 दिनों पहले ही ईओडब्ल्यू ने भिलाई और बिहार में छापा मार कर 1500 सिम और 50 किपेड मोबाइल जब्त किए थे। अब सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंप रहा है।

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