IndiGo पर संकट के बादल : 458 करोड़ का GST जुर्माना और उड़ानों में भारी कटौती; क्या पटरी से उतर रही है देश की सबसे बड़ी एयरलाइन?
इंडिगो वर्तमान में अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। पिछले कुछ हफ्तों से परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रही कंपनी को अब सरकार ने एक और करारा झटका दिया है।
IndiGo पर संकट के बादल : 458 करोड़ का GST जुर्माना और उड़ानों में भारी कटौती; क्या पटरी से उतर रही है देश की सबसे बड़ी एयरलाइन?
IndiGo GST Penalty News : नई दिल्ली। भारतीय विमानन क्षेत्र की दिग्गज और बाजार हिस्सेदारी के मामले में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन, इंडिगो वर्तमान में अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। पिछले कुछ हफ्तों से परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना कर रही कंपनी को अब सरकार ने एक और करारा झटका दिया है। दिल्ली साउथ कमिश्नरेट के CGST विभाग ने इंडिगो पर 458 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब कंपनी पहले से ही फ्लाइट कैंसिलेशन और रेगुलेटरी सख्ती के कारण बैकफुट पर है।
IndiGo GST Penalty News : क्या हैं टैक्स विवाद और जुर्माने की वजह
इंडिगो की पैरेंट कंपनी, इंटरग्लोब एविएशन को जारी किए गए नोटिस के अनुसार, यह जुर्माना CGST अधिनियम, 2017 की धारा 74 के तहत लगाया गया है। मामला वित्त वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 के बीच के टैक्स असेसमेंट से संबंधित है।
विवाद की मुख्य जड़ विदेशी सप्लायरों से प्राप्त क्षतिपूर्ति है। जीएसटी विभाग का तर्क है कि कंपनी को जो मुआवजा मिला, उस पर टैक्स की देनदारी बनती है, जिसे कंपनी ने चुकाया नहीं। इसके अतिरिक्त, विभाग ने कंपनी द्वारा क्लेम किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) को भी नामंजूर कर दिया है। इंडिगो ने एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि कुल टैक्स मांग, ब्याज और जुर्माने की राशि 458,26,16,980 है। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वह इस आदेश को कानूनी चुनौती देगी और टैक्स सलाहकारों की राय के अनुसार यह आदेश पूरी तरह गलत और निराधार है।
क्रू की कमी और फ्लाइट्स का संकट
इंडिगो के लिए यह वित्तीय झटका केवल एकमात्र समस्या नहीं है। पिछले दो महीनों नवंबर और दिसंबर के दौरान एयरलाइन के ऑपरेशन्स पूरी तरह चरमरा गए। दरअसल, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने पायलटों और क्रू मेंबर्स की थकान मिटाने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट के नए और सख्त नियम लागू किए थे।
इंडिगो इन नियमों के अनुसार अपने क्रू रोस्टर और स्टाफिंग की सही प्लानिंग करने में विफल रही। इसका परिणाम यह हुआ कि नवंबर के अंत से लेकर दिसंबर के शुरुआती हफ्तों तक इंडिगो की करीब 5,000 फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं और उनमें घंटों की देरी हुई। इससे न केवल यात्रियों को भारी परेशानी हुई, बल्कि सोशल मीडिया पर कंपनी की ब्रांड इमेज को भी भारी नुकसान पहुँचा।
DGCA की सख्ती, विंटर शेड्यूल में 10% की कटौती
हजारों यात्रियों के फंसे होने और देशभर के हवाई अड्डों पर मचे हंगामे के बाद DGCA ने कड़ा रुख अपनाया। रेगुलेटर ने इंडिगो के विंटर शेड्यूल में 10% की कटौती करने का आदेश जारी कर दिया। इसका सीधा मतलब यह है कि कंपनी अब पहले की तुलना में कम उड़ानें भर पाएगी, जिससे उसके राजस्व पर सीधा असर पड़ेगा। इतना ही नहीं, नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा गठित एक उच्च-स्तरीय जांच समिति ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट में इंडिगो के मैनेजमेंट की लापरवाही और भविष्य की जरूरतों के आकलन में कमी को मुख्य कारण बताया गया है।
क्या यह सिलसिला पुराना है?
इंडिगो के लिए टैक्स और जुर्माने की कहानी नई नहीं है। इसी साल मार्च में आयकर विभाग ने कंपनी पर 944.20 करोड़ की भारी-भरकम पेनाल्टी लगाई थी। वह मामला असेसमेंट ईयर 2021-22 से जुड़ा था। इसके अलावा, चेन्नई में भी विसंगतियों के चलते 2.84 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। ये बार-बार होने वाली कानूनी और वित्तीय अड़चनें निवेशकों के बीच चिंता का विषय बनी हुई हैं।
इंडिगो का कहना है कि इन कानूनी लड़ाइयों और जुर्माने से उनके वित्तीय परिणामों या दैनिक संचालन पर कोई स्थायी प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से कंपनी के शेड्यूल में कटौती की गई है और टैक्स विभाग की सख्ती बढ़ी है, उससे कंपनी के मार्केट शेयर पर असर पड़ सकता है। अब सबकी नजरें कोर्ट के फैसले और आगामी महीनों में इंडिगो द्वारा किए जाने वाले सुधारात्मक कदमों पर टिकी हैं।