IMA Raipur: IMA छत्तीसगढ़ की आपात बैठक: आयुष्मान योजना सहित इन विषयों पर हुई चर्चा..
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IMA Raipur: रायपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर की आज आपात बैठक हुई। इस बैठक में राज्य सरकार ने आयुष्मान योजना से संबंधित अस्पतालों और शासकीय सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों के संबंध में जारी विभिन्न परिपत्रों एवं निर्देशों पर विचार विमर्श किया गया।
उपस्थित आईएमए सदस्यों और आयुष्मान योजना के अंतर्गत प्राइवेट अस्पतालों में सेवाएं दे रहे शासकीय सेवा में कार्यरत डॉक्टरों के बीच वर्तमान स्थिति को लेकर विचार विमर्श हुआ।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर, स्वास्थ्य विभाग एवं संचालक स्वास्थ्य सेवाओं द्वारा आयुष्मान संचालित करने वाली राज्य नोडल एजेंसी के विभिन्न परिपत्रों पर कड़ा विरोध दर्ज कराती है। विचार विमर्श के बाद विभिन्न बिंदु उभर कर आए, जिन्हें पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, मुख्य सचिव अमिताभ जैन छत्तीसगढ़ शासन, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ एवं संचालक स्वास्थ्य सेवाओं को भेजा जा रहा है।
1. उपस्थित चिकित्सकों ने एक मत से विभिन्न परिपत्रों के विरोधाभासी होने के तथ्यात्मक कारण भी गिनाए और इसे आयुष्मान संबंधी योजना में बड़ा अड़ंगा लगाने का षड्यंत्र करार दिया है। आई एम ए रायपुर ने इस बात को इंगित किया है कि आयुष्मान योजना में लाभान्वित परिवार के नैतिक दायित्व का यह हनन है कि वह सहज उपलब्ध डॉक्टर से दूरस्थ अंचलों में अपना इलाज करा सके। मेडिकल कॉलेज सहित सभी शासकीय चिकित्सकों को प्रतिवर्ष अपनी वेतन वृद्धि के समय निजी प्रैक्टिस के संबंध में सूचना देने का अधिकार मिलना चाहिए। आइ एम ए रायपुर सुझाव देता है कि इस संबंध में छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग को मध्य प्रदेश शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश क्रमांक एस-2-30 / 2018 /1/ 55 दिनांक 28 5 2018 का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ में लागू करना चाहिए ।
2. वर्तमान जटिल नियमों के अंतर्गत कोई भी शासकीय या प्राइवेट डॉक्टर अपने निवास स्थान से प्रेक्टिस नहीं कर सकता है क्योंकि नर्सिंग होम एक्ट, नगर निगम, बायोमेडिकल वेस्ट और दूसरे जटिल नियम शासकीय अथवा अशासकीय निवास स्थान को क्लीनिक में परिवर्तन की अनुमति नहीं देते हैं । इस संबंध में पुराने नियमों को संशोधित करने की जरूरत है। जैसा कि अभी शासकीय डॉक्टर के प्राइवेट प्रैक्टिस संबंधी नियमों में उल्लेखित है।
3. वर्तमान परिस्थितियों में किसी भी शासकीय सेवा में कार्यरत डॉक्टर का किसी अस्पताल परिसर में प्रैक्टिस करना न केवल मरीज के लिए अत्यधिक सुविधाजनक है, बल्कि नियमों की प्रासंगिकता के अनुसार सहूलियत देने वाला है।
4. राज्य सरकार इस बात से भली भांति परिचित है कि विभिन्न मेडिकल कॉलेज में 60 से 70% शिक्षकों की कमी है , फिर भी भयादोहन की कार्यवाही समझ से परे है। यह आत्मघाती हो सकती है। इस प्रकार की कार्यवाही युवा डॉक्टर को चिकित्सा शिक्षा में रुचि होने के बावजूद शासकीय सेवा में आने से हमेशा के लिए रोक देगी।
5. वर्तमान में कई स्पेशलिटी सेवाएं आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं ,जो एकल क्लिनिक जैसे सेटअप में देना असंभव है।
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक परिवर्तन के लिए छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग को चिकित्सा संगठनों से लगातार परामर्श और सुझाव लेने की जरूरत है, जिससे छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों के मरीजों को सेवाएं दी जा सके। एक तरफा प्रताड़ना की कार्रवाई से आपसी अविश्वास की गहराई बढ़ेगी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर यह अपील करता है कि, छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के नर्सिंग होम संचालकों पर एक तरफा दबाव की नीति ना अपनाई जाए। इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री से समय लेकर उन्हें वस्तु स्थिति से परिचित कराया जाएगा।