Fire Audit: हेल्थ विभाग ने अस्पतालों के फायर ऑडिट का काम नगर सेना की जगह NGO को दे डाला, CGMC ने ऐसे बनाया रास्ता
Fire Audit: छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों के फायर ऑडिट का काम पहली बार एनजीओ को दे दिया गया। अभी तक फायर सिस्टम का ऑडिट नगर सेना विभाग करता था। मगर सीजीएमसी ने पहली बार रेट तय कर एनजीओ के लिए न केवल रास्ता खोला बल्कि रायपुर के एनजीओ से अनुबंध भी कर लिया। वो भी फुट के रेट से। याने रायपुर के आंबेडकर जैसे बड़े अस्पतालों की बिल्डिंग के फायर ऑडिट का बिल लाखों में बनेगा। पूरे प्रदेश के अस्पतालों की बिलिंग कितनी होगी, आप अंदाजा लगा सकते हैं। करोड़ों की कमीशनबाजी का यह मामला है।
Fire Audit: रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी और प्रायवेट अस्पतालों में फायर सिक्यूरिटी और उसके ऑडिट का मामला आज छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रश्नकाल में उठा। सत्ताधारी पार्टी के विधायक धर्मजीत सिंह ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार को लोगों की जानमाल की सुरक्षा के लिए अस्पतालों में फायर सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए। वरना छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में कभी भी आग लगने की घटना हो सकती है।
उन्होंने तीखे शब्दों में सरकार का ध्यान खींचा कि अस्पतालों में आग लगने के बाद उस पर काबू पाने की कोई व्यवस्था होती नहीं...डीएनए टेस्ट करके फिर पता लगाना पड़ेगा कि कौन किसका परिजन था।
इस पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अपने जवाब में कहा कि अस्पतालों का फायर सिस्टम और उसका ऑडिट उनके विभाग का मामला नहीं है। यह गृह विभाग के तहत आता है। गृह विभाग ही इसका ऑडिट कराता है।
इस पर धर्मजीत सिंह ने गृह मंत्री विजय शर्मा से मांग कर डाली कि आप यहां बैठे हैं, बताइये क्या इंतजाम है। गृह मंत्री बोले...मामला गंभीर है, इसे नोटिस में लेकर काम किया जाएगा। इसके बाद बात आई-गई हो गई...जैसा कि आमतौर पर विधानसभा के सत्रों में होता है।
उधर फायर सिक्यूरिटी और उसके ऑडिट का दूसरा पहलू यह है कि छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों याने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का हर साल होम गार्ड याने नगर सेना विभाग फायर ऑडिट करता है। इसका पेमेंट सीजीएमसी याने छत्तीसगढ़ मेडिकल कारपोरेशन करता था।
चूकि दुखी बीमार मरीजों के जानमान का सवाल था, इसलिए सरकार प्रायवेट पार्टियों की बजाए सरकारी एजेंसी नगर सेना से कराती फायर ऑडिट कराती थी। सरकारी एजेंसियों की अपनी एक जिम्मेदारी होती है। वे स्टैंडर्ड मापदंड से ऑडिट करती है। इसमें ईमानदारी की अधिक गुंजाइश होती है क्योंकि भुगतान नगर सेना के एकाउंट में होता है।
रायपुर का एनजीओ
राज्य बनने के बाद यह पहला मौका होगा कि सीजीएमसी ने फायर ऑडिट का रेट तय कर फर्म और एनजीओ से आवेदन मंगा लिया। इसके बाद रायपुर के एनजीओ छत्तीसगढ़ फायर सेफ्टी एंड डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी को टेंडर फायनल कर दिया।
सीजीएमसी के एमडी का पत्र
एनजीओ को फायर ऑडिट का काम देने के बाद सीजीएमसी के एमडी ने डायरेक्टर हेल्थ और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को पत्र लिखकर सूचित कर दिया कि छत्तीसगढ़ फायर सेफ्टी एंड डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी से फायर ऑडिट के लिए रेट तय किया गया है, आप इस दर से सभी अस्पतालों, र्मेडकल कॉलेज और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से मांग पत्र मंगाकर फायर ऑडिट संबंधी दिशा-निर्देश जारी करें।
करोड़ों का खेला
सीजीएमसी ने रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर और सरगुजा के लिए अलग-अलग कलस्टर बनाकर फुट में रेट तय किया है। 700 बेड का रायपुर का आंबेडकर अस्पताल कई एकड़ में पसरा है। उसका फायर ऑडिट का बिल 50 लाख से उपर जाएगा। इससे आप समझ सकते हैं कि पूरे प्रदेश में कितने की बिलिंग होगी। छत्तीसगढ़ में 33 जिला अस्पताल हैं। 10 मेडिकल कॉलेज और अस्तपाल। इसके अलावा 147 ब्लॉकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र। याने करोड़ों का खेला होगा।
डबल ऑडिट
चूकि सरकारी अस्पतालों का फायर ऑडिट प्रायवेट से नहीं कराया जा सकता। इसलिए सुनने में यह भी आ रहा कि एनजीओ से ऑडिट कराने के बाद सीजीएमसी फिर नगर सेना से भी ऑडिट कराएगा। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है। मगर सुनने में आ रहा कि सीजीएमसी ने प्रायवेट पार्टी को उपकृत करने ये रास्ता निकाल लिया।
क्या होता है फायर ऑडिट
फायर ऑडिट में जहां-जहां फायर सिस्टम लगे होते हैं, उसे साल में एक बार चेक किया जाता है कि उसका कनेक्शन कहीं से ढिला तो नहीं हुआ है। फिर पाईप पर एक नजर मार लिया जाता है। याने दो-तीन आदमी जाए तो दिन भर का भी ये काम नहीं है। अब तो जिओ मैपिंग का जमाना है। और समय कम लग रहा है। उसके लिए सीजीएमसी ने फुट में भारी-भरकम रेट तय कर दिया है।