Chhattisgarh News: भू माफियाओं ने तो गजब कर दिया, भगवान के नाम की जमीन भी नहीं छोड़ी

Chhattisgarh News: भू माफियाओं ने तो गजब ही कर दिया है। भगवान के नाम पर दान की जमीन को भी नहीं छोड़ी। फर्जी पावर आफ अटार्नी बनाया और करोड़ों का वारा-न्यारा कर दिया है। फर्जीवाड़ा का एक और नमूना सामने आया है। श्मशान घाट की जमीन में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है। जांच अधिकारियों की टीम ने यह बड़ा खुलासा किया है।

Update: 2024-11-17 07:35 GMT

Chhattisgarh News: बिलासपुर। कलयुग तो है, पर इस कदर भर्राशाही की कल्पना किसी ने नहीं की थी। भगवान के नाम पर दान दी गई जमीन से लेकर श्मशान घाट की जमीन को भी भू माफियाओं ने नहीं छोड़ा है। जिला प्रशासन और नगर निगम की ओर से सरकारी जमीनों की जांच कर रही जांच टीम को यह सब गड़बड़ी मिली है। दस्तावेजों के आधार पर की गई जांच और मौका मुआयना के बाद टीम ने कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

यह पूरी गड़बड़ी मंगला ग्राम पंचायत और अब निगम में शामिल होने के बाद वार्ड में तब्दील मंगला में हुई है। शहर से लगे मंगला की जमीन अब बेहद कीमती हो गई है। जाहिर है भू माफियाओं की नजर भी इस ओर लगी हुई है। श्मशान घाट और कब्रिस्तान की जमीन की खरीदी-बिक्री में हुई गड़बड़ी से ही साफ हो रहा है कि मंगला में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। जांच दल द्वारा सौंंपी रिपोर्ट पर नजर डालें तो मंगला में खसरा नंबर 1160 की 0.02 एकड़ जमीन अलग-अलग भगवान के नाम पर दर्ज है। शंकर, देवी जी, सीता जी,श्रीराम चंद्र सहित अन्य भगवान के नाम पर राजस्व दस्तावेजों दर्ज है। जाहिर सी बात है कि भगवान के नाम पर दर्ज जमीन दान की ही होगी। यह पूरी जमीन तिलक नगर श्रीराम मंदिर के पास रहने वाले दत्तात्रय त्रयंबक के नाम से दर्ज है।

 राजस्व दस्तावेजों में छेड़छाड़ और सरवराकार का नाम ही बदल गया

लंबे अरसे से जिस दत्तात्रय त्रयंबक को राजस्व दस्तावेजों में उक्त जमीन का भूमि स्वामी व सरवराकर बताया जा रहा था, वर्ष 2009-10 पंकज भोजवानी का हो गया। राजस्व दस्तावेजों कें बिना खरीदी-बिक्री किए यह नाम कैसे और कहां से आया यह जांच का विषय है। अचरज की बात ये कि राजस्व दस्तावेजों में यही नाम अब भी चढ़ा हुआ है।

 रजिस्ट्री हो गई और नामांतरण भी

करोड़ों की बेशकीमती जमीन को राजस्व अफसरों से मिलीभगत कर हड़प लिया। पहले नियमों को ताक पर रखकर पंजीयक कार्यालय के अधिकारी से लेकर कर्मचारियों से सांठगांठ कर रजिस्ट्री करा ली। रजिस्ट्री के बाद नामांतरण भी कर दिया गया है। नामांतरण की प्रक्रिया तहसीलदार के कोर्ट में होता है। लिहाजा इस पूरे मामले में नामांतरण करने वाले तहसीलदार की भूमिका भी संदेहास्पद है।

 मुआवजा की मांग से खुला मामला

मंगला चौक से आगे की सड़क के किनारे अतिक्रमण को हटाने के लिए निगम ने कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान बड़े पैमाने पर यहां तोड़फोड़ की गई। इसी बीच पंकज भोजवानी ने मुआवजा के लिए निगम में आवेदन पेश किया। निगम के इंकार करने पर पंकज ने कोर्ट में मामला दर्ज कर दिया। कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को मामले का निराकरण का आदेश दिया था। निगम ने अपने निर्णय में साफ किया कि जिस जमीन का मुआवजा मांगा जा रहा है, पीडब्ल्यूडी ने पहले ही अधिग्रहण कर लिया था,लिहाजा मुआवजा ना देने का फैसला निगम ने लिया।

 दान की जमीन पर बना था मकान

सीताजी, लक्ष्मण,शंकर, श्रीराम चंद्र जी के नाम पर दान में दी गई जमीन पर मकान बना था। इसी मकान का मुआवजा के लिए पंकज ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

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