Chhattisgarh Liquor Scam: ED से आगे निकल गई छत्तीसगढ़ की ACB: जेसीबी से खोद निकाला नकली होलोग्राम, शराब घोटाले में 9000 पेज का चार्जशीट किया तैयार

Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में 2 हजार करोड़ के शराब घोटाले में जो काम साधन संपन्न ईडी नहीं कर पाई, वह छत्तीसगढ़ियां जांच एजेंसी ने कर डाला। छत्तीसगढ़ की एसीबी अनवर ढेबर के खेत से जेसीबी से नकली होलोग्राम खोद निकाल केस को और मजबूत कर दिया। खबर है, सप्लीमेंट्री चार्जशीट में होगा धमाका होगा।

Update: 2024-07-07 07:34 GMT

Chhattisgarh Liquor Scam: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में हुए शराब घोटाला की जांच केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुरू की। ईडी एक के बाद एक छापे मारती रही, लेकिन ईडी वजह सबूत हासिल नहीं कर पाई जिससे कोर्ट में आरोप साबित किया जा सके। वह सबूत था नकली होलोग्राम जिसे एसीबी ने दो दिन पहले अनवर ढ़ेबर के खेत की खोदाई करके निकाला है। कानून के जानकार होलोग्राम को आरोप साबित करने के लिए अहम साक्ष्‍य मान रहे हैं।अब तक की जांच के आधार पर एसीबी ने 9 हजार पन्‍नों का पहला चार्जशीट दाखिल कर दिया है। सूत्र बता रहे हैं कि एजेंसी अभी 2 से 3 पूरक चार्जशीट और दाखिल कर सकती है। अंतिम चार्जशीट में बड़ा धमका होने का दावा किया जा रह है।


6 हिस्‍सों में बंटती थी शराब की काली कमाई: ऐसे काम करता था पूरा रैकेड

शराब घोटाला में सरकारी खजाने को 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में इसकी कुछ पर्तें खुली थीं, अब ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की जांच में पूरा पिक्‍चर साफ हो गया है। ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी ने इस मामले में रायपुर की विशेष कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इसमें जांच एजेंसी ने इस घोटाला की पूरी कहानी बताई है। चार्जशीट के जरिये ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी ने कोर्ट को बताया है कि शराब घोटाला की साजिश कब रची गई। शराब से होने वाली काली कमाई कहां एकत्र होती थी और किन लोगों के बीच बंटती थी।

ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की चार्जशीट के अनुसार शराब से काली कमाई की तलाश में सबसे पहले 2019 में बैठक हुई। इस बैठक को अनवर ढेबर ने जेल रोड स्थित अपने होटल वेनिंगटन में आयोजित किया। बता दें कि इस होटल को ईडी ने अटैच कर रखा है। बहरहाल 2019 में हुई बैठक में शराब निर्माताओं के साथ राज्‍य के आबकारी विभाग के अफसर शामिल हुए थे।

ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की चार्जशीट के अनुसार इस बैठक में छत्तीसगढ़ डिस्टलरी की ओर से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया तथा प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरीज की ओर से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू तथा हीरालाल जायसवाल के साथ ही नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया उपस्थित हुए थे। इनके साथ अरुणपत्ति त्रिपाठी और उनके करीबी शराब कारोबारी अरविंद सिंह भी मौजूद थे। इस बैठक के बाद शराब का खेल शुरू हुआ। ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की चार्जशीट के अनुसार शराब की पूरी काली कमाई होटल वेनिंगटन में इकट्ठा होता था और वहीं से सभी हिस्‍सा पहुंचाया जाता था।

नकली होलोग्राम से शुरू हुआ बड़ा खेल

शराब घोटाला का असली खेल नकली होलोग्राम के साथ शुरू हुआ। जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार शराब में कमाई कम हो रही थी हल्‍ली ज्‍यादा हो रहा था। ऐसे में नकली होलोग्राम के साथ शराब बेचने का फैसला किया गया। नकली होलोग्राम का इस्‍तेमाल शुरू होने के बाद शराब की एक पेटी पर कमाई बढ़कर सीधे 2880 रुपये हो गई। नकीली होलोग्राम का प्‍लान तैयार करने के बाद फिर एक बैठक हुई। इसमें डिस्टलरियों से देशी शराब सीधे दुकान तक पहुंचाने की व्यवस्था बनाई गई। यानी सरकारी शराब दुकानों से अवैध रुप से अन अकाउंटेड शराब बेचने की व्‍यवस्‍था बना दी गई। डिस्‍टलरी से निकलने वाली शराब की बोतलों पर सिंडिकेट की तरफ से उपलब्‍ध कराया गया नकली होलोग्राम लगा दिया जाता था। यह नकली होलोग्राम एपी त्रिपाठी के के माध्यम से नेएडा के विधु गुप्‍ता ने तैयार किया। अतिरिक्त शराब के लिए बाटलिंग की व्यवस्था करने अरविंद सिंह का भतीजा अमित सिंह और उसके सहयोगियों को ठेका दिया गया।

कमीशन की राशि 75 से बढ़कर सौ रुपए तक पहुंची

चार्जशीट के अनुसार 2019-20 में शराब में प्रति पेटी 75 रुपए कमीशन देना तय हुआ। बाद रकम 100 रुपए कर दिया गया। शराब निर्माता कंपनियों कमीशन देने में नुकसान न हो इस बात का भी ध्यान रखा गया, इसके लिए हर बार नए टेंडर में शराब की कीमतों में उतने ही अनुपात (लोडिंग प्राइज) में वृद्धि की गई, जिसका भुगतान शराब निर्माता कंपनी, सिंडेकेट को नगद या अनवर ढ़ेबर और त्रिलोक सिंह दिल्लन के बनाए गए फर्म में जमा किया जाता था। इसके एवज में शराब निर्माण करने के लिए उपयोग में आने वाले रॉ मटेरियल, कनकी चावल की आपूर्ति में ओवर बिलिंग के माध्यम से करते थे।

ज्‍यादा खपत वालो जिलों में बेचे गए शराब

अन अकाउंटेड शराब खपाने के लिए 15 जिलों का चयन किया गया। अन अकाउंटेड शराब को खाने के लिए एपी त्रिपाठी ने जिला आबकारी अधिकारियों की बैठक बुलाई। बैठक में आबकारी अफसरों को अन अकाउंटेड शराब खजने सुफ्वाइजर के साथ को अर्डिनेटर को प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा अब अकाउंटेड शराब की रकम कलेक्शन करने को जिम्मेदारी अरविंद सिंह और विकास अग्रवाल को दिया गया।

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