CG PSC Scam: CG PSC मामले में इन 2 FIR की CBI कर रही है जांच: जानिये... अफसरों के साथ किन नेताओं पर कस सकता है शिकंजा

CG PSC Scam: छत्‍तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की भर्तियों में हुई कथित गड़बड़ी के मामलों की केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने एक दिन पहले पीएससी के तत्‍कालीन पदाधिकारियों के यहां जांच की है।

Update: 2024-07-16 08:26 GMT

CG PSC Scam: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजी पीएससी) की भर्तियों में गड़बड़ी की सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। राज्‍य में इस मामले में 2 एफआईआर दर्ज किए गए थे। सरकार ने इन्‍हीं दोनों एफआईआर को सीबीआई को ट्रांसफर किया है। इसमें एक एफआईआर शासन के निर्देश पर ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी ने दर्ज किया है जिसका एफआईआर नंबर 05/2024 है। वहीं, दूसरा एफआईआर बलोद जिला के अर्जुंदा थाने में का है। इस एफआईआर का नंबर 28/2024 है। इन दोनों एफआईआर में सीजी पीएससी के तत्‍कालीन अफसरों के साथ कथित तौर पर रिश्‍तेदारों को नौकरी दिलाने वाले प्रशासनिक और पुलिस सेवा के अफसरों के साथ ही जनप्रतिन‍िधि (नेता) भी शामिल हैं।

एसीबी-ईओडब्‍ल्‍यू के एफआईआर में पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी व तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव नामजद हैं। एफआईआर के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा वर्ष 2021 जो 170 पदों के लिए ली गई थी और जिसके परिणाम 11 मई 2021 को जारी किए जाने के पश्चात् राज्य लोकसेवा आयोग पर अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ननकीराम कंवर व अन्य के माध्यमों से शिकायतें प्राप्त हुई थी।

शिकायती पत्र के आधार पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी, तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक एवं शासन तथा आयोग में तत्समय पदस्थ संलिप्त लोक सेवकगण और संबंधित राजनेतागण एवं अन्य के द्वारा अपने-अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तथा राजनैतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की चयन प्रक्रिया वर्ष 2020 एवं 2021 तथा असिस्टेंट प्रोफेसर चयन परीक्षा में नियम विरूद्ध तरीके से आपराधिक षड़यंत्र करते हुए अपने पुत्र, पुत्री व रिश्तेदारों को कई पात्र योग्य अभ्यार्थियों के बदले इनका चयन शासकीय पदों पर करते हुए शासन एवं उन योग्य अभ्यार्थियों के साथ भ्रष्ट आचरण करते हुये छल कारित किया गया है, जो कि धारा 120 बी, 420, भादवि एवं धारा 7, 7 (क), एवं 12 भ्र.नि.अ. 1998 यथा संशो. 2018 के तहत अपराध कारित किया जाना पाया गया है, अतः अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।






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