Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के आदेश की ऐसी अनदेखी: एक साल बाद भी नहीं हुआ आदेश का पालन,याचिकाकर्ता ने विधानसभा सचिव को भेजा नोटिस

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट के आदेश की राज्य सरकार के अधिकारी लगातार अवहेलना कर रहे हैं। अनदेखी के चलते याचिकाकर्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐस ही एक मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा का है। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव के नाम भेजे नोटिस में हाई कोर्ट के आदेश का परिपालन नहीं करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता ने नोटिस में लिखा है कि हाई कोर्ट के आदेश का एक साल भी क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। यह सीधेतौर पर न्यायालयीन अवमानना है।

Update: 2025-07-15 06:50 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट में मार्शल भर्ती परीक्षा में बरती गई अनियमितता को लेकर याचिकाकर्ता अबरार अली व अन्य ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव को जरुरी दिशा निर्देश जारी किया था। याचिकाकर्ता का आरोप है कि हाई कोर्ट के आदेश का छत्तीसगढ़ विधानसभा ने परिपालन नहीं किया है। ऐसा कर न्यायालयीन आदेश की अवहेलना की है।



याचिकाकर्ता अबरार अली ने विधानसभा सचिव को भेजे नोटिस में लिखा है कि हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद 24 जून 2024 को आदेश पारित किया था। पारित आदेश के अनुपालन को लेकर विधानसभा गंभीर दिखाई नहीं दे रहा है। याचिकाकर्ता ने विधानसभा सचिव के नाम भेजे नोटिस में लिखा है कि हाई कोर्ट के आदेश के एक साल बाद भी विधानसभा द्वारा जरुरी कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही निर्देशों का पालन किया गया है। लिहाजा यह अंतिम नोटिस है। जवाब ना आने पर हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की बात भी लिखी है। नोटिस में लिखा है कि 24 जून 2024 को हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश में यह स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया था कि याचिकाकर्ता से संबंधित सहायक मार्शल पद हेतु चयन प्रक्रिया को आदेश की प्रति प्राप्ति होने के 4 माह के भीतर पूर्ण किया जाए। उक्त आदेश में आपके विभाग की ओर से यह कथन भी दर्ज है कि चयन प्रक्रिया निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण कर ली जाएगी। किन्तु खेदपूर्वक सूचित करना पड़ रहा है कि आज दिनांक तक इस आदेश का न तो पालन किया गया है और न ही याचिकाकर्ता को किसी प्रकार की सूचना प्रदान की गई है। यह न्यायालय के आदेश की प्रत्यक्ष अवमानना की श्रेणी में आता है। याचिकाकर्ता ने लिखा है कि नोटिस की प्राप्ति के 15 दिवस के भीतर आदेश का पूर्ण पालन करते हुए यथोचित कार्यवाही करें एवं चयन प्रक्रिया पूर्ण कर सूचना उपलब्ध कराए। हाई कोर्ट के आदेश का परिपालन ना करने की स्थिति में अवमानना याचिका दायर करने की बात भी कही गई है।

0 छह महीने की सजा या दो हजार रुपये जुर्माना, दोनों सजा साथ-साथ भी

न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में हाई कोर्ट ने सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। हाई कोर्ट ने इसके लिए कड़ा नियम भी बनाया है। तय प्रावधान के अनुसार न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप सिद्ध होने पर संबंधित व्यक्ति को छह महीने की सजा भुगतनी पड़ेगी या फिर दो हजार रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा। या फिर दोनों सजा साथ-साथ भी भुगतनी पड़ सकती है। हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कांस्टेबल ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से महासमुंद एसपी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता पांडेय ने एसपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग हाई कोर्ट से की है।

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