Bilaspur High Court: 58 लाख 92 हजार की वसूली पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक: पंचायत विभाग ने सेवानिवृत्‍त ईई के खिलाफ निकाला था वसूली का आदेश

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता के विरुद्ध वसूली के लिए जारी कारण बताओं नोटिस और ग्रेच्युटी को रोकने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया।

Update: 2024-07-05 12:08 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। जांजगीर चांपा संभाग के ग्रामीण यंत्रिकी सेवा में पदस्थ डीके जोध 31 अगस्त 2017 को सेवानिवृत हुए। सेवानिवृत्ति के बाद संयुक्त सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 12 फरवरी 2018 को निर्माण कार्यों में अनियमित भुगतान 58 लाख 92 हजार 195 रुपऐ का आरोप लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। मुख्य अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के आदेश 24 मार्च 2018 के द्वारा डी के जोध सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता ग्रेच्युटी राशि भुगतान को लंबित रखने का आदेश जारी किया गया।

उपरोक्त दोनों आदेशों से परिवेदित होकर डीके जोध ने हाई अधिवक्ता मतिन सिद्दीकी के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 21 अगस्त 2018 को शासन द्वारा जारी दोनों आदेश कारण बताओं नोटिस और उपादान राशि रोके जाने संबंधित आदेश को माननीय न्यायालय ने रोक लगा दी।

याचिकाकर्ता कार्यपालन अभियंता के पद पर वर्ष 2015 में जांजगीर-चांपा जिले में पदस्थ थे। पदस्थ अवधि में 3 मार्च 2015 से 5 मार्च 2015 के मध्य अनियमितता का आरोप लगाते हुए प्रारंभिक जांच की गई थी, जिस पर याचिकाकर्ता द्वारा 26 मार्च 2015 और 5 अक्टूबर 2016 को अपना स्पष्टीकरण विभाग के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति 31 अगस्त 2017 को हुई सेवानिवृत्ति के पूर्व विभाग द्वारा याचिकाकर्ता के फेवर में ना मांग ना जाच प्रमाण पत्र जारी किया गया था।

बढ़ा हुआ वेतनमान भी प्रदान किया गया था, किंतु याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति के बाद संयुक्त सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 12 फरवरी 2018 को 58,92,195/-रुपए वित्तीय अनियमितता के लिए याचिका कर्ता को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया तथा मुख्य अभियंता ग्रामीण यंत्रीकी सेवा द्वारा 24 मार्च 2018 के आदेश के तहत याचिकाकर्ता के ग्रेच्युटी राशि को लंबित रखने का आदेश पारित किया गया।

जिसके अंतिम सुनवाई राकेश मोहन पांडे के यहां 25 जून 2024 को हुई। याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी द्वारा यह आधार लिया गया कि नियम 9 (2)b(i) छत्तीसगढ़ सिविल सर्विसेज पेंशन नियम 1976 के तहत पेंशन को रोकने अथवा वापस लेने का अधिकार केवल राज्यपाल को है, विभागीय कार्यवाहियां जब शासकीय सेवक सेवा में था चाहे उसकी सेवानिवृत्ति के पहले या उसकी पुनःनियुक्ति के दौरान की गई हो तो राज्यपाल की मंजूरी के बिना नहीं की जाएगी। उपरोक्त सभी दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने याचिकाकता के विरुद्ध रिकवरी के लिए जारी नोटिस और ग्रेच्युटी राशि लंबित रखने के छत्तीसगढ़ शासन के आदेश को न्यायालय ने निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता के याचिका को स्वीकार कर लिया गया।

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