अजब-गजब शिक्षा विभाग….. हमेशा की तरह इस बार भी उड़ा दी गई स्कूल शिक्षा सचिव के आदेश की धज्जियां….. जब अधिकारी ही नहीं समझ पाते स्पष्ट आदेश तो अन्य से क्या करें उम्मीद !

Update: 2020-03-13 18:28 GMT

रायपुर 13 मार्च 2020. स्कूल शिक्षा विभाग का भगवान ही मालिक है अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा क्योंकि ऐसा एक बार नहीं कई बार हो चुका है कि उच्च अधिकारी जो आदेश जारी करते हैं नीचे स्तर के अधिकारी उसे समझ ही नहीं पाते हैं या फिर जानबूझकर उस आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अपना आदेश जारी कर देते हैं जो समझ से परे है और हमेशा की तरह स्कूल शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी ऐसे मामले की अनदेखी कर देते हैं जिसके चलते अब यह परंपरा सी बन चुकी है।

अब कोरोना वायरस के ही मामले को ले लीजिए , प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने कल स्पष्ट आदेश जारी किया था जिसमें स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत समस्त शिक्षण संस्थाओं एवं समस्त प्रशिक्षणों को 31 मार्च 2020 तक तत्काल प्रभाव से बंद करने का निर्देश दिया गया था । यह भी बताया गया था कि केवल 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं यथावत रहेंगी और उसके लिए अनिवार्य स्टाफ की व्यवस्था यथावत रहेगी इसका स्पष्ट मतलब था कि केवल उन्हीं शिक्षकों की ड्यूटी लगेगी जो 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं परीक्षा तिथि के दिन संचालित कराएंगे । मामले की गंभीरता को देखते हुए डीपीआई जितेंद्र शुक्ला ने कल व्हाट्सएप पर ही यह मैसेज प्रसारित कर दिया था कि सभी स्कूलों में कल से 31 मार्च तक छुट्टी रहेगा और इस संबंध में आदेश प्रसारित किया जा रहा है इसके कुछ देर बाद आदेश भी प्रसारित हो गया।

लेकिन कल रात से लेकर अभी तक स्कूल शिक्षा विभाग के निचले स्तर के अधिकारियों ने संशय की स्थिति बनाए रखी है कई जिला शिक्षा अधिकारियों ने जहां अपने जिले के ग्रुप में व्हाट्सएप के माध्यम से यह आदेश प्रसारित किया है कि नौवीं ग्यारहवीं की परीक्षाएं यथावत रहेंगी और समस्त शिक्षकों को संस्था में उपस्थिति देना है वही कुछ जगह के अधिकारियों ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए बकायदा लिखित आदेश जारी कर दिया है जो सीधे तौर पर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डीपीआई के आदेश की अवहेलना है।

आदेश जारी करने वालों में दंतेवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी और रायगढ़ के बरमकेला ब्लाक के विकास खंड शिक्षा अधिकारी प्रमुख है जिन्होंने सीधे तौर पर आदेश जारी कर दिया है कि शिक्षकों के लिए अवकाश की कोई पात्रता नहीं होगी, सवाल यह उठता है कि क्या इन अधिकारियों को स्पष्ट तौर पे जारी किया गया आदेश समझ नहीं आया या फिर यह अधिकारी अपने क्षेत्र में अपनी मनमानी करना चाहते हैं कारण चाहे जो भी हो लेकिन विभाग के लिहाज से इसे कहीं से भी सही नहीं माना जा सकता और पर यह पहली बार नहीं हुआ है इसके पहले भी लगातार ऐसी स्थिति बनती आई है जरूरत है इस बात की कि विभाग के उच्च अधिकारी ऐसे अधिकारियों की खबर ले ताकि प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण विभाग में उच्च अधिकारियों के आदेश को लेकर संजीदगी रहे ।

Tags:    

Similar News