इलेक्ट्रिक कारों की बाढ़: क्या 2025 में डीजल-पेट्रोल गाड़ियां होंगी आउट या बदल जाएगा ऑटोमोबाइल का पूरा खेल? जानें पूरी कहानी
Will Diesel And Petrol Cars Be Banned In 2025 India: 2025 में इलेक्ट्रिक कारों की मांग और बिक्री तेजी से बढ़ रही है। जानें, क्या डीजल-पेट्रोल गाड़ियां आउट होंगी या ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। जानिए ताजा रिपोर्ट्स, बिक्री के आंकड़े और भविष्य की पूरी जानकारी इस लेख में।

Will Diesel And Petrol Cars Be Banned In 2025 India: सोचिए, अगर आपके आसपास की सड़कें सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों से भर जाएं, पेट्रोल पंप खाली नजर आएं और हर कोई अपनी गाड़ी को घर पर ही चार्ज करता दिखे! क्या 2025 में ऐसा सच होने वाला है? क्या डीजल-पेट्रोल गाड़ियां सिर्फ इतिहास बनकर रह जाएंगी, या फिर ऑटोमोबाइल की दुनिया में कोई और बड़ा बदलाव आने वाला है?
आजकल हर जगह यही चर्चा है कि इलेक्ट्रिक कारों की बाढ़ ने बाजार का रुख बदल दिया है। लेकिन क्या यह बदलाव सिर्फ गाड़ियों तक सीमित रहेगा, या फिर पूरी इंडस्ट्री का चेहरा बदल जाएगा? आइए, जानते हैं इस दिलचस्प बदलाव की पूरी कहानी।
इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में नया रिकॉर्ड
2025 में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री ने नया मुकाम छू लिया है। FADA (Federation of Automobile Dealers Associations) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में देश में 35,000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बिकीं। 2023 में पूरे साल 82,000 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 1,10,748 तक पहुंच गया है। यह कुल कार बिक्री का लगभग 4.5% हिस्सा है।
अप्रैल 2025 में टाटा मोटर्स ने 4,436 इलेक्ट्रिक कारें बेचीं, वहीं एमजी मोटर ने 5,829 यूनिट्स की बिक्री की। टाटा मोटर्स ने अब तक कुल 57,616 इलेक्ट्रिक कारें बेची हैं, जो मार्केट का 53% हिस्सा है। एमजी मोटर ने 30,162 यूनिट्स बेचीं (28% मार्केट शेयर) और महिंद्रा ने 8,182 इलेक्ट्रिक कारें बेचीं।
सिर्फ कार ही नहीं, बल्कि पूरे इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में भी जबरदस्त ग्रोथ दिखी है। 2025 में भारत में 20 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स बिके हैं, जिसमें दोपहिया, तिपहिया और कारें शामिल हैं। देश में अब तक कुल 61 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स सड़कों पर उतर चुके हैं।
डीजल-पेट्रोल गाड़ियों का क्या होगा?
बात सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों की नहीं है, बल्कि सवाल यह भी है कि डीजल और पेट्रोल गाड़ियों का क्या होगा? 2025 में ये गाड़ियां पूरी तरह बंद तो नहीं होंगी, लेकिन इनकी बिक्री में गिरावट जरूर आ रही है। SIAM (Society of Indian Automobile Manufacturers) के अनुसार, 2022-23 में डीजल कारों की बिक्री में 10% की गिरावट आई थी, और 2025 में यह ट्रेंड और तेज हो गया है।
कई शहरों में पुराने डीजल-पेट्रोल वाहनों पर सख्ती बढ़ रही है। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में 10-15 साल पुरानी गाड़ियों पर रोक लग चुकी है। कंपनियां भी अब अपने नए मॉडल इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड में लॉन्च कर रही हैं।
टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का नया दौर
इलेक्ट्रिक कारों के साथ-साथ ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में टेक्नोलॉजी का रोल भी बढ़ गया है। अब गाड़ियों में स्मार्ट फीचर्स, ऑटोमेटिक ड्राइव, कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी जैसे इनोवेशन देखने को मिल रहे हैं। कंपनियां सिर्फ फ्यूल टाइप नहीं, बल्कि पूरी ड्राइविंग एक्सपीरियंस बदलने पर ध्यान दे रही हैं। बैटरी की क्वालिटी, चार्जिंग स्पीड और रेंज में भी लगातार सुधार हो रहा है।
कंपनियों की बदलती रणनीति
अब ऑटो कंपनियां सिर्फ डीजल-पेट्रोल गाड़ियां बनाने तक सीमित नहीं हैं। टाटा, महिंद्रा, एमजी, हुंडई जैसी कंपनियां अपने रिसर्च और डेवलपमेंट में भारी निवेश कर रही हैं। वे नए इलेक्ट्रिक मॉडल, बैटरी टेक्नोलॉजी और चार्जिंग नेटवर्क पर काम कर रही हैं। कई कंपनियां तो अपने पुराने पेट्रोल-डीजल मॉडल भी इलेक्ट्रिक वर्जन में बदल रही हैं।
ग्राहक और बाजार की सोच में बदलाव
ग्राहकों की सोच भी तेजी से बदल रही है। लोग अब सिर्फ सस्ती गाड़ी नहीं, बल्कि स्मार्ट, इको-फ्रेंडली और फ्यूचर रेडी गाड़ी चाहते हैं। युवा पीढ़ी पर्यावरण के प्रति ज्यादा जागरूक है और इलेक्ट्रिक कारों को स्टेटस सिंबल भी मानती है। बाजार में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए फाइनेंसिंग और सब्सिडी के विकल्प भी बढ़ गए हैं, जिससे खरीदना आसान हो गया है।
2025: इलेक्ट्रिक कारों के साथ ऑटोमोबाइल का नया युग
अगर यही रफ्तार रही, तो आने वाले कुछ सालों में भारत की सड़कों पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से ज्यादा हो सकती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में बिकने वाली हर 10 में से 4 कारें इलेक्ट्रिक होंगी। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में नई नौकरियां, नई टेक्नोलॉजी और नए बिजनेस मॉडल देखने को मिलेंगे। पेट्रोल पंप की जगह चार्जिंग स्टेशन दिखेंगे और गाड़ियों की सर्विसिंग भी बदल जाएगी।
कुल मिलाकर, 2025 में डीजल-पेट्रोल गाड़ियां पूरी तरह आउट नहीं होंगी, लेकिन उनका दबदबा जरूर कम हो जाएगा। असली बदलाव यह है कि अब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सिर्फ इंजन या फ्यूल टाइप पर नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और पर्यावरण पर फोकस कर रही है। आने वाले समय में इलेक्ट्रिक कारों की बाढ़ के साथ-साथ ऑटोमोबाइल का पूरा खेल ही बदलने वाला है।