7 महीना…7 रिमाइंडर और जांच रिपोर्ट जीरो ……. कलेक्टर की सख्ती की धज्जियां उड़ा रहे है आदिवासी विभाग के अफसर!

Update: 2020-01-20 14:28 GMT

कोरबा 20 जनवरी 2020। अफसर किस हद तक बेलगाम है, इसकी बानगी कोरबा में देखी जा सकती है। ताजा मामला आदिवासी विभाग में करोड़ो रूपये की खरीदी में हुए भ्रष्टाचार और उसके जांच से जुड़ा है। दरअसल अपने कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला आदिवासी विभाग एक बार फिर अपनी मनमानियों को लेकर चर्चा में है। पूरा मामला आदिवासी विभाग में नियम कानूनों को दरकिनार कर छात्रावासो के लिए किये गये खरीदी से जुड़ा हुआ है। आदिवासी विभाग के तात्कालीन सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे के कार्यकाल में लेखापाल सुखदेव आदित्य ने छात्रावासों के लिए किये गये खरीदी में जमकर धांधली की थी।

मामले की शिकायत के बाद 29 जून 2019 को कलेक्टर शिकायत शाखा से जांच का आदेश जिला कोषालय अधिकारी जी.एस.जागृति को सौंपी गयी। लेकिन सात महीने बाद भी जिला कोषालय अधिकारी की जांच अधूरी है। इस पूरे प्रकरण पर जिला कोषालय अधिकारी की माने तो उन्होने पिछले 7 महीने में 7 बार आदिवासी विकास विभाग को दस्तावेज उपलब्द्ध कराने के लिए रिर्माइंडर जारी किया गया। लेकिन अपनी मनमानियों के लिए चर्चित आदिवासी विभाग के अफसर और जवाबदार लेखापाल सुखदेव आदित्य ने जरूरी दस्तावेज जांच के लिए कोषालय अधिकारी के समक्ष प्र्र्र्रस्तुत न कर सिर्फ एक पन्ने की जानकारी दी गयी है।

लिहाजा आदिवासी विभाग में हुए भ्रष्टाचार की जांच आज भी विभाग की मनमानियों के कारण अधूरा पड़ा हुआ है। गौरतलब है कि कलेक्टर किरण कौशल के सख्त निर्देशो के बाद भी आदिवासी विभाग के अफसरो की मनमानी नही थम रही है, ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि समाचार प्रकाशन के बाद आदिवासी विभाग की मनमानी और दोषियों पर समय रहते कार्रवाई होती है या फिर कलेक्टर को गुमराह कर भ्रष्टाचार के इस सनसनीखेज मामले पर पर्दा डाल दिया जाता है ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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