CG PCS Scam: OBC युवक से PSC की ये कैसी नाइंसाफी! शिवम बोले...योग्यता का पैमाना अलग कैसे...कोर्ट जाऊंगा
CG PCS Scam: पीएससी की लिखित परीक्षा में 770 अंक प्राप्त करने के बावजूद शिवम कुमार देवांगन को इंटरव्यू के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया। वहीं, उससे कम अंक वालों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। यह बात सामने आने के बाद अब शिवम कोर्ट जाने की तैयारी में है।
CG PSC Scam: रायपुर। लिखित परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक अभ्यर्थी को 770 अंक हासिल करने के बावजूद सीजी पीएससी (CG PSC) ने साक्षात्कार से वंचित कर दिया। वहीं, इससे कम अंक पाने वालों को न केवल इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, बल्कि कई का चयन भी हो गया। 770 अंक प्राप्त करने के बावजूद इंटरव्यू से बाहर किए गए पाटन के रहने वाले इस अभ्यर्थी शिवम कुमार देवांगन ने इसकी शिकायत की तो पीएससी ने लिखित में सफाई जारी की और बताया कि शिवम ने परीक्षा में पहचान उजागर किया था, इस वजह से उन्हें इंटरव्यू के लिए आयोग्य करार दिया गया है।
सीजी पीएससी की इस सफाई पर सोशल मीडिया में जमकर प्रतिक्रिया आ रही है। कई ऐसे अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका सोशल मीडिया में शेयर की जा रही है, जिन्होंने शिवम कुमार की तरह की किसी न किसी का नाम लिखा है या ऐसे शब्दों का प्रयोग किया है जिससे पहचान उजागर हो रही है। इसके बावजूद न केवल उन्हें इंटरव्यू में शामिल किया गया बल्कि मैरिट लिस्ट में भी उनका नाम है। मैरिट लिस्ट में शामिल एक चयनित ने तो उत्तर ही गलत लिखा है इसके बाद भी उसे नंबर दिया गया है।
अब कोर्ट की शरण में जाएंगे शिवम कुमार देवांगन
लिखित परीक्षा में ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद आयोग्य करार दिए गए शिवम ने NPG.News से चर्चा करते हुए बताया कि वह इससे पहले भी सीजी पीएससी की परीक्षा में शामिल हो चुका है। 2018, 2020 और 2022 में उसने लिखित परीक्षा दी थी। शिवम ने कहा कि हम स्कूल के समय से पढ़ते आ रहे हैं कि उत्तर पुस्तिका में कभी भी अपना नाम नहीं लिखना चाहिए। मैंने भी अपना नाम कहीं नहीं लिखा। पीसीसी की परीक्षा में शिकायती पत्र लिखने के लिए कहा गया था, जिस तरह के मैंने पत्र लिखा है वैसे ही कई लोगों ने लिखा है। इसके बावजूद मुझे अपात्र घोषित कर दिया गया है। शिवम ने बताया कि अब वे इस मामले में कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।
सोशल मीडिया में वारल हो रहे हैं कई अभ्यर्थियों के पत्र
पीएससी की लिखित परीक्षा में प्रश्न क्रमांक-17 (ख) में भ्रष्टाचार के संदर्भ में प्राप्त शिकायतीशिकायती पत्र का प्रतिवेदन स्वास्थ्य विभाग के सचिव को प्रेसित करने के लिए कहा गया था। इसी प्रश्न के नीचे में स्पष्ट निर्देश लिखा था कि अभ्यर्थियों को ज्ञपान में अपना नाम, अनुक्रमांक, पता और शहर का नाम आदि लिखना मना है।
जानिए... क्या लिखा था शिवम कुमार देवांगन ने
इस प्रश्न के उत्तर में शिवम कुमार ने दो नामों का उपयोग किया था। राधे श्याम और राजेश मोहन। इसी तरह कई और अभ्यार्थियों ने पत्र में शिकायतकर्ता और प्रेषक के लिए काल्पनिक नामों का प्रयोग किया था। ऐसी कई उत्तर पुस्तिकाएं सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग को मनरेगा की शिकायत फिर पूरा नंबर
प्रश्न पत्र में स्वास्थ्य विभाग के सचिव को पत्र लिखने के लिए कहा गया था, लेकिन एक अभ्यर्थी ने जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए पत्र लिखा है। इस पत्र में जनपद पंचायत मुंगेली का उल्लेख है। सरपंच भठगांव भी लिखा हुआ है। इसके बावजूद अभ्यर्थी को पूरा अंक दिया गया है। बताया जा रहा है कि यह उत्तर पुस्तिका जिस अभ्यर्थी की है उसका नाम मैरिट सूची में है। इसी तरह एक पत्र में गनियारी गांव का नाम लिखा हुआ है।
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रायपुर। पीएससी 2022 की लिखित परीक्षा में 771 अंक प्राप्त करने के बावजूद इंटरव्यू के लिए एक अभ्यर्थी को नहीं बुलाए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CG PSC) ने सफाई दी है। पीसीसी ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि शिवम कुमार देवांगन ने लिखित परीक्षा में अपनी उत्तर पुस्तिका में पहचान चिन्ह बना दिया था, जो पीएससी के नियमों के वरुद्ध है, इस वजह से शिवम कुमार देवांगान को आयोग्य घोषित कर दिया गया है। इसी कारण उन्हें साक्षात्कार के लिए भी नहीं बुलाया गया। विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
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रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की 2022 की भर्ती परीक्षा पूरी तरह विवादों में आ गई है। अभी तक अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों को नौकरी देने का मामला सामने आया था। अब एक नया मामला उजागार हुआ है। अब पीएससी पर इंटरव्यू में भेदभाव का आरोप लगा है। पीडि़त अभ्यर्थी ने इसकी लिखित शिकायतक की है। विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
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रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CG PSC) भर्ती परिक्षा के परिणाम को लेकर विवादों में हैं। आयोग पर अफसरों और नेताओं के रिश्तेदारों का चयन का आरोप लगा है। यह मामला हाईकोर्ट के विचाराधीन है। विवादों से सीजी पीएससी का रिश्ता पुराना है। पीएससी की चयन सूची पर पहले भी विवाद होते हैं। इनमें 2005 की भर्ती सबसे ज्यादा चर्चित रही। भर्ती में गड़बड़ी के आरोप को लेकर विपक्ष के बढ़ते दबाव के कारण राज्यपाल ने पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक दरबारी को सस्पेंड कर दिया था। आईपीएस दरबारी राज्य के चौथे डीजीपी और पीएससी के दूसरे चेयरमैन थे। दरबारी को सस्पेंड करने के साथ ही सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें