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CG BJP ने ये क्या किया...आवाक हैं कार्यकर्ता, मुद्दतों से जिसका विरोध कर रहे उसे बना दिया प्रत्याशी

CG BJP छत्‍तीसगढ़ में भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने 21 प्रत्‍याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इनमें चार को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा चुनाव के लिहाज से नए चेहरे हैं। इन्‍हीं मेंंसे एक का विरोध हो रहा है।

CG BJP ने ये क्या किया...आवाक हैं कार्यकर्ता, मुद्दतों से जिसका विरोध कर रहे उसे बना दिया प्रत्याशी
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By Sanjeet Kumar
  • कार्यकर्ता व समर्थक कह रहे- दिलीप सिंह जूदेव की कलप रही होगी आत्मा
  • पार्टी ने लुंड्रा सीट से मसीही समाज के प्रबोध मिंज को बनाया है प्रत्‍याशी
  • छत्तीगढ़ में आदिवासी और मिशनरी का द्वंद्व पिछले तीन दशक से चल रहा
  • दिलीप सिंह जूदेव धर्मांतरण और आपरेशन घर वापसी कार्यक्रम से बने थे नेशनल हीरो
  • रायगढ़ और जशपुर में पत्थलगड़ी के बाद अब बस्तर में भी आदिवासी वर्सेज मिशनरी में चल रहा संघर्ष

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने 21 प्रत्‍याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। इन 21 नामों में एक नाम ऐसा है जिसे देखकर न केवल बीजेपी के कार्यकर्ता बल्कि पार्टी की रीति-नीति को समझाने वाले भी चौक गए। यही वजह है कि पार्टी के इस फैसला का संगठन के अंदर और बाहर दोनों तरफ से विरोध हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थक कह रहे हैं कि पार्टी ने ये क्‍या कर दिया और फैसला बदलने की मांग कर रहे हैं। ज्ञापन सौंपने से लेकर विरोध प्रदर्शन का भी दौर चल रहा है। आलम यह है कि कार्यकर्ता और समर्थक फैसला न बदलने की स्थिति पार्टी को खामियाजा भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। हालांकि, सरगुजा बीजेपी के एक सीनियर नेता ने पार्टी के इस फैसले की वकालत करते हुए कहा कि प्रबोध मिंज की छबि अच्छी है...उससे सीतापुर जैसे दूसरे सीटों पर लाभ मिलेगा। मगर वे इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि रायगढ़, जशपुर और बस्तर में मिशनरीज के साथ आदिवासियों का जो द्वंद्व चल रहा, उसमें बीजेपी का क्या स्टैंड रहेगा।

बहरहाल, मामला जशपुर जिला की लुंड्रा विधानसभा सीट का है। वहां से पार्टी ने प्रबोध मिंज को प्रत्‍याशी घोषित किया है। मसीही समाज से आने वाले मिंज अंबिकापुर नगर निगम के दो बार मेयर रहे हैं। उनकी गिनती क्षेत्र के बड़े जनाधार वाले नेताओं में होती है। इसके बावजूद न केवल पार्टी के कार्यकर्ता बल्कि समर्थक भी उन्‍हें प्रत्‍याशी बनाए जाने का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसी विरोध की आग की आंच को भांपने पार्टी के प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी नीतीन नबीन और प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव तीन दिन पहले जशुपर पहुंचे थे। सूत्र बता रहे हैं कि माथुर ने जिला संगठन से मिंज के विरोध को लेकर फिडबैक लिया है।

विरोध में जिलाध्‍यक्ष को सौंपा गया है ज्ञापन

मिंज को टिकट दिए जाने का विरोध में जनजाति सुरक्षा मंच व जनजाति गौरव समाज ने झंडा बुलंद कर रखा है। दो दिन पहले समाज के लोग रैली लेकर जिला बीजेपी कार्यालय पहुंचे और अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह बीजेपी के प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के नाम एक पत्र भी सौंपा जिसमें लुंड्रा विधानसभा से प्रत्याशी चयन पर पुर्नविचार करने की मांग की गई है। समाज की ओर से कहा गया है कि यदि शीर्ष नेतृत्व ने मांग पर पुनर्विचार नहीं किया तो समाज के लोग मत देने से पहले निर्णय जरूर लेंगे, इसका नुकसान बीजेपी संगठन को उठाना पड़ सकता है। इस दौरान सनातन धर्म और मूल जनजाति समाज के समर्थन में जोरदार नारेबाजी भी की गई।

इस वजह से विरोधः एक तरफ घर वापसी और दूसरी तरफ टिकट

बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि एक तरफ पार्टी धर्म बदल चुके आदिवासियों की फिर से हिंदु धर्म में लाने के लिए घर वापसी अभियान चला रही है, दूसरी तरफ मसीह समाज को टिकट देकर उनका मनोबल बढ़ा रही है। बताते चले कि सरगुजा संभाग का जशपुर जिला दिलीप सिंह जूदेव का क्षेत्र है। जूदेव ने अपने घर वापसी अभियान की शुरुआत इसी क्षेत्र से की थी। उनके बाद अब जूदेव के बेटे प्रबलप्रताप सिंह और पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने इसकी कमान संभाल रखी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जशपुर क्षेत्र में बीजेपी की पूरी राजनीति चर्च के विरोध पर टिकी हुई है।

सरगुजा से बस्‍तर तक विरोध

बीजेपी धर्म की रक्षा के नाम पर सरगुजा से लेकर बस्‍तर तक मिशनरी के खिलाफ खड़ी रहती है। पार्टी के नेताओं के अनुसार इसका असर यह हुआ है कि आदिवासी अब अपने धर्म के प्रति जागरुक हुआ हैं। बस्‍तर संभाग में अलग-अलग जिलों में इसका असर भी दिख रहा है। सरगुजा संभाग में पत्‍थगड़ी और बड़े पैमाने पर आदिवासियों की हिंदु धर्म में वापसी हो रही है। सवाल यह हो रहा है कि ऐसे में पार्टी एक सीट के चक्कर में अपनी रीति-नीति से समझौता कैसे कर सकती है।

29 सीटों पर असर

2018 के विधानसभा चुनाव के बाद बस्तर के आदिवासी इलाकों में पिछले दो सालों से बीजेपी का प्रभाव बढ़ा है, इसकी एक बडी वजह धर्मांतरण से आदिवासियों में उपजी नाराजगी भी है। राजनीतिक विश्‍लेषकों की राय में लुंड्रा में हो रहे प्रत्‍याशी के विरोध का मामला यदि बीजेपी सही तरीके ने हैंड नहीं कर पाई तो इसका सीधा असर आदिवासी (एसटी) आरक्षित सभी 29 सीटों पर पड़ सकता है। इसके अलावे 15 से 20 सीटों पर आदिवासियों की संख्या अच्छी खासी है। वैसे भी 2018 के विधानसभा चुनाव में एसटी सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन अच्‍छा नहीं रहा था। 29 में से बीजेपी केवल 3 ही एसटी आरक्षित सीट जीत पाई थी। इनमें रामपुर, बिंद्रानवागढ़ और दंतेवाड़ा शामिल है। इनमें से भी दंतेवाड़ा सीट उपचुनाव में पार्टी हार गई।

यह भी पढ़ें- लुंड्रा विधानसभा: कांग्रेस के डॉ. प्रीतम राम ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की, सबसे छोटी जीत भाजपा के विजयनाथ के नाम

रायपुर। सरगुजा संभाग के लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस शुरू से मजबूत रही है। ये हम नहीं, इस विधानसभा चुनाव में अब तक हुए विधानसभा चुनाव में जीत और हार के आंकड़े बता रहे हैं। लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र में अब तक हुए कुल 13 विधानसभा चुनाव में से 9 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। यही नहीं इस विधानसभा से यदि सबसे बड़ी जीत की बात करें तो यह रिकॉर्ड भी कांग्रेस के नाम पर ही है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के डॉ प्रीतम राम 22179 वोट के अंतर से चुनाव जीता था। लेकिन सबसे कम वोट के अंतर से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भाजपा के पास है। साल 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विनयनाथ सिंह ने कांग्रेस के रामदेव को महज 42 वोट के अंतर से हराया था।

भोला सिंह सबसे सफल विधायकलुंड्रा विधानसभा सीट में अब तक कुल 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन चुनावों की बात करें तो सबसे सफल रहे हैं कांग्रेस के भोला सिंह। भोला सिंह ने इस विधानसभा से 3 बार चुनाव जीता है, वो भी अच्छे वोट के साथ। भोला सिंह पहली बार 1980 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। उनके सामने पूर्व विधायक और भाजपा प्रत्याशी असन राम थे। वोटिंग के बाद जब परिणाम आया तो भोला सिंह को 14045 वोट मिले, जबकि असन राम को केवल 5270 वोट। वोट प्रतिशन के हिसाब से देखें तो भोला सिंह ने यह चुनाव 34.59 वोट से जीता था, जिसे आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है। इसके बाद 1985 और 1993 के विधानसभा चुनाव में भोला सिंह ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा और जीते भी। विस्‍तार से पढ़नें के लिए यहां क्‍लीक करें

यह भी पढ़ें- लुंड्रा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रबोध मिंज का जीवन परिचय

अंबिकापुर। प्रबोध मिंज को सरगुजा जिले की लुंड्रा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। वे इसाई समाज से भाजपा के प्रत्याशी बने है। वह पहले कांग्रेस में थे फिर एनसीपी आए। उसके बाद फिर भाजपा में शामिल होकर वर्ष 2003 के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के अभेद्य गढ़ अंबिकापुर नगर निगम में दो बार महापौर का चुनाव भाजपा के लिए जीता। पूर्व में प्रबोध मिंज ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से की। 90 के दशक में वे कांग्रेस में रहते हुए सरपंच से लेकर जनपद अध्यक्ष तक रहे। उन्होंने 2003 में लुंड्रा, सीतापुर और अंबिकापुर से टिकट के लिए कांग्रेस से दावा किया था। पर कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने एनसीपी में प्रवेश कर लिया था। फिर भाजपा में प्रवेश किया। वे निगम की राजनीति में सक्रिय रहें। वर्तमान में वो भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का प्रदेश स्तरीय पद संभाल रहे हैं। विस्‍तार से पढ़नें के लिए यहां क्‍लीक करें


Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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