CG Right to Education Act: RTE में ड्राप आउट पर मंथन: कलेक्टर ने जताई चिंता, विद्यार्थियों की लगातार मॉनिटरिंग के निर्देश
CG Right to Education Act: शिक्षा का अधिकार (आरटीई) वाले बच्चों के स्कूल छोड़ने (ड्राप आउट) को लेकर सरकार के निर्देश के बाद जिला स्तर पर मंथन का दौर शुरू हो गया है। रायपुर में आज कलेक्टर ने प्राइवेट स्कूल संचालकों की क्लास ली। इसमें ड्राप आउट के आंकड़ों पर चिंता जाहिर करते हुए विद्यार्थियों की मौनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं।
CG Right to Education Act: रायपुर। सरकार के निर्देश पर आरटीई को लेकर जिला स्तर पर समीक्षा का दौर शुरू हो गया है। रायपुर में आज कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने प्राइवेट स्कूलों की बैठक ली। मेडिकल कॉलेज स्थित अटल बिहारी वाजपेयी सभाग्रह में हुई इस बैठक में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों और उसकी समस्याओं मुख्यतः ड्रॉप आउट को लेकर एक समीक्षा की गई।
समीक्षा बैठक में कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह , जिला पंचायत सीईओ विश्व दीपक, जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल और प्राइवेट स्कूल के प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता तथा लगभग 100 नोडल प्रिंसिपल एवं जिले के निजी स्कूल संचालक उपस्थित थे।
समीक्षा बैठक में ड्रॉप आउट को लेकर चिंता जाहिर की गई और इसे रोकने के तमाम प्रयासों पर चर्चा की गई। कलेक्टर ने शिक्षा के अधिकारी के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों की लगातार मॉनिटरिंग के निर्देश दिए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर ने रायपुर जिला के तमाम निजी स्कूलों में प्रवेशित और अध्यनरत विद्यार्थियों के आंकड़े और स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इन विद्यार्थियों की शिक्षा से जुड़े रखने के प्रयासों पर प्रकाश डाला। निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने जिला प्रशासन से निवेदन किया कि बगैर टीसी हो रहे प्रवेश को रोकने का प्रयास किया जाए जिससे ड्रॉप आउट का वास्तविक आंकड़ा और विद्यार्थियों का शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों की मॉनिटरिंग की जा सके। पूरे जिले के आंकड़े एवं ड्राप आउट विद्यार्थियों के नाम की जानकारी उपलब्ध होने के तुरंत बाद रायपुर जिला प्रशासन प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचेगा और उन्हें शिक्षा से वापस जोड़ेगा ।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत हर साल हजारों गरीब परिवार के बच्चों का प्राइवेट स्कूलों में दाखिला होता है। इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करती है। इसके बावजूद ज्यादातर बच्चे एक या दो साल में पढ़ाई छोड़ देते (ड्राप आउट) हैं। यह मामला अब सरकार के संज्ञान में आया है। पता चला है कि ऐसा बड़े और नामी स्कूलों में ज्यादा हो रहा है। वहां पहले साल तो बच्चों का दाखिला होता जाता है, लेकिन आगे की क्लास में बच्चे नहीं पढ़ते हैं। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। एक दिन पहले स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को पत्र जारी करके आरटीई के बच्चों की ड्राप आउट पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कलेक्टरों को पूरे पांच साल की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए कहा है। इस खबर को विस्तार से पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें
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रायपुर। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के मामले में मनमानी करने वाले प्राइवेट स्कूलों की अब खैर नहीं है। प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार शिक्षा सत्र की शुरुआत में ही आरटीई को लेकर सख्ती शुरू कर दी है। स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर आरटीई वाले बच्चों की ड्राप आउट रिपोर्ट तलब की है। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें