Begin typing your search above and press return to search.

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, आपराधिक प्रकरण में दोषमुक्त होने पर पुलिस कर्मी सेवा में बहाली के हैं हकदार

Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आपराधिक प्रकरण में जांच के बाद दोषमुक्त करार दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में पुलिस अफसर और कर्मी दोनों सेवा में बहाली के हकदार हैं। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने बर्खास्त आरक्षक को सेवा में बहाल करने राज्य शासन को आदेश दिया है। तीसरी बटालियन, छग सशस्त्र बल, अमलेश्वर-दुर्ग में आरक्षक के पद पर पदस्थ वीएन.सोरेन ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर दोषमुक्ति के बाद सेवा बहाली की गुहार लगाई थी।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, आपराधिक प्रकरण में दोषमुक्त होने पर पुलिस कर्मी सेवा में बहाली के हैं हकदार
X
By Sandeep Kumar

बिलासपुर। पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है। जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि आपराधिक प्रकरण में विभागीय जांच के बाद पुलिस अधिकारी व कर्मचारी को दोषमुक्त कर दिया जाता है तो दोबारा उसे सेवा में लिया जाना चाहिए। सेवा बहाली का उसे पूरा हक है। हाई कोर्ट में अपने आदेश में पुलिस रेगुलेशन एक्ट में दिए गए प्रावधान का भी हवाला दिया है।

वीएन.सोरेन तीसरी बटालियन, छग सशस्त्र बल, अमलेश्वर-दुर्ग में आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। उक्त पदस्थापना के दौरान उनके विरूद्ध पुलिस थाना कुरूद, जिला - धमतरी में भारतीय दंड विधान की धारा 420, 506 में अपराध पंजीबद्ध होने पर सेनानी, तीसरी बटालियन ने उनके विरूद्ध समान आरोपों पर विभागीय जांच के पश्चात् उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

आपराधिक मामले में संपूर्ण ट्रायल के पश्चात् प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट,कुरूद ने वीएन. सोरेन के विरूद्ध दर्ज आपराधिक मामले में उन्हें पूर्ण रूप से दोषमुक्त कर दिया गया। दोषमुक्ति के पश्चात् भी उन्हें सेवा में बहाल नहीं किया गया। विभाग के इस फैसले के खिलाफ सोरेने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के जरिए छत्तीसगढ़ हाई काेर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने जबलपुर हाईकोर्ट की फुल बेंच द्वारा हरिनारायण दुबे विरूद्ध स्टेट ऑफ मध्यप्रदेश एवं अन्य इसके साथ ही हाई कोर्ट बिलासपुर की सिंगल बेंच द्वारा एमके. साहू विरूद्ध छग शासन एवं अन्य के वाद में पारित निर्देशों का हवाला दिया। अधिवक्ता पांडेय ने विभाग के आला अफसरों पर पुलिस रेगुलेशन एक्ट में दिए गए प्रावधान का पालन नहीं करने और सीधेतौर पर उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है। अधिवक्ता पांडेय ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट और जबलपुर हाई कोर्ट के उस फैसले की भी जानकारी दी जिसमें पुलिस रेगुलेशन के रेगुलेशन 241 के आधार पर याचिका को स्वीकार कर याचिकाकर्ता के विरूद्ध पारित बर्खास्तगी आदेश को निरस्त कर सेवा में बहाल करने का आदेश दिया गया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बहाल करने का आदेश राज्य शासन को दिया है।

0 पुलिस रेगुलेशन एक्ट में है प्रावधान

पुलिस रेगुलेशन 1861 के रेगुलेशन 241 में यह प्रावधान है कि यदि किसी पुलिस अधिकारी, कर्मचारी के विरूद्ध आपराधिक मामला पंजीबद्ध होने के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त किया गया है एवं वह पुलिस अधिकारी, कर्मचारी आपराधिक मामले (क्रिमिनल केस) में पूर्ण रूप से दोषमुक्त हो जाता है इस आधार पर वह सेवा में बहाली एवं अन्य आर्थिक लाभ पाने का हकदार है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

Read MoreRead Less

Next Story