CG Principal Promotion News: E संवर्ग के 1378 शिक्षकों का प्राचार्य बनने का रास्ता साफ, राज्य शासन के मापदंडों व नियमों को हाई कोर्ट ने ठहराया सही, रिटायर्ड शिक्षक की याचिका खारिज
CG Principal Promotion News: बिलासपुर हाई कोर्ट ने व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय कैडर व मापदंडों को सही ठहराते हुए शिक्षक की याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद ई संवर्ग के 1378 व्याख्याताओं को प्राचार्य के पद पर पदाेन्नति का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि याचिका पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 5 अगस्त 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

CG Principal Promotion News: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने व्याख्याता के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय कैडर व मापदंडों को सही ठहराते हुए शिक्षक की याचिका को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद ई संवर्ग के 1378 व्याख्याताओं को प्राचार्य के पद पर पदाेन्नति का रास्ता साफ हो गया है। बता दें कि याचिका पर सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने 5 अगस्त 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाई कोर्ट में इस तरह चली सुनवाई
समर वेकेशन के बाद सोमवार 10 जून को बिलासपुर हाई कोर्ट में नियमित कामकाज प्रारंभ हुआ। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई प्रारंभ हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जवाब दावा पेश करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी। डिवीजन बेंच ने एक दिन का समय देते हुए सुनवाई के लिए 11 जून की तिथि तय कर दी थी।
सभी याचिकाएं क्लब, एक साथ सुनवाई का निर्देश
प्राचार्य पदोन्नति मामले को लेकर कई शिक्षक और संगठन हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं। अखिलेश त्रिपाठी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इस विषय पर अलग-अलग बेंचों में याचिकाएं लंबित हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने इस पर सभी याचिकाओं को एक साथ क्लब कर सुनवाई की मांग की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अब इन सभी याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई डिवीजन बेंच में की जाएगी।
भर्ती पदोन्नति नियम 2019 भी विवादों में
प्राचार्य पदोन्नति को लेकर भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 भी अदालत की जांच के दायरे में आ चुका है। इसी संदर्भ में पुरुषोत्तम सिंह यदु की ओर से भी एक याचिका चीफ जस्टिस की बेंच में लगाई गई, जो 1 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन नियमों की वैधता पर भी एक साथ विचार किया जाएगा।
बीएड व डीएलएडी डिग्रीधारकों को लेकर लगी याचिका
प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए नियमों को चुनौती देते हुए पी गलिक राव, लक्ष्मी प्रसाद रबेठ, दूज राम खरे, संजय कुमार वखारिया, रूपनारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू,कोमल प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम सिंह यदु ने अपने अधिवक्ताओं के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें शिक्षकों ने कहा था कि लेक्चरर से प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की डिग्री को ही मान्य किया जाए। डीएलएड डिप्लोमाधारक शिक्षकों को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए अयोग्य ठहराया जाए। शिक्षकों के अलावा फोरम की ओर से एक शिक्षक ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर याचिकाकर्ता शिक्षकों की मांग का विरोध किया थ। हस्तक्षेप याचिका में कहा था कि राज्य शासन ने समय-समय पर पहले आदिवासी और फिर पंचायत विभाग के अंतर्गत नियुक्ति दी गई शिक्षा कर्मियों को शिक्षा विभाग में संविलियन किया है। लिहाजा ये शिक्षक भी पदोन्नति के हकदार हैं। हस्तक्षेप याचिका में इस बात का जिक्र किया था कि प्राचार्य का पद प्रशासनिक है।
शिक्षकों की ज्वाइनिंग पर हाई कोर्ट हुआ था नाराज
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिक्षकों की ज्वाइनिंग का मुद्दा भी याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने जोर-शोर ने उठाया था। बताया कि व्याख्याता से प्राचार्य पद की पदोन्नति पर सात मई तक रोक थी। इसके बाद भी कई जिलों में ज्वाइनिंग जारी रही। हाई कोर्ट ने रोक के बाद भी ज्वाइनिंग को गलत बताया और शासन से पूरी रिपोर्ट मांगी थी। बता दें कि 30 अप्रैल को ही प्राचार्य पदोन्नित की सूची जारी की गई थी। इसके तहत छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के ई संवर्ग एवं टी संवर्ग के 2,925 प्राचार्य के पदों पर स्कूल शिक्षा एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के व्याख्याता नियमित, व्याख्याता एलबी तथा प्रधान पाठक माध्यमिक विद्यालय को पदोन्नति देकर प्राचार्य बनाया था।
30 अप्रैल को जारी कर दी थी पदोन्नति सूची
प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाई कोर्ट में कई याचिकाएं लगी हैं। एक मामला 2019 से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा प्रकरण 2025 और बीएड-डीएलएड से जुड़ा है। 28 मार्च 2025 को जब हाई कोर्ट की पिछली सुनवाई हुई थी, तो राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वस्त किया गया था कि अगली सुनवाई तक प्राचार्य पदोन्नित का आदेश जारी नहीं किया जाएगा। कोर्ट का आश्वस्त करने के बाद भी 30 अप्रैल को पदोन्नति सूची जारी कर दी गई। अगले दिन एक मई को हाई कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।जस्टिस रविंद्र कुमार ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। इससे पहले इन्टरविनर अधिवक्ता अनूप मजूमदार ने पक्ष रखा था। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट ने अहम फैसले में राज्य सरकार के बनाए गए नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध माना है।
राज्य शासन के पक्ष में आया डिवीजन बेंच का फैसला
प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय मापदंड को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया था। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस अमितेंद्र कुमार प्रसाद की डिविज़न बेंच ने राज्य शासन के पक्ष को सही माना था। शिक्षा विभाग के अलावा आदिवासी विभाग से आए शिक्षकों को भी इसका लाभ मिलेगा। डिवीजन बेंच के फैसले के बाद शिक्षा विभाग ने टी संवर्ग के व्याख्याताओं को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति देने के साथ ही पदस्थापना आदेश जारी कर दिया है।
एक यााचिका ने अटकाई 1378 लेक्चसर्स का प्रमोशन
नारायण प्रकाश तिवारी ने याचिका दायर कर प्राचार्य पद पर 65% की बजाय 100% पद ई संवर्ग को देने की मांग की थी। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए बनाए गए नियमों को लेकर डिवीजन बेंच में पहले ही विस्तार से सुनवाई हो चुकी है। 9 जून से 17 जून तक चली सुनवाई में सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार के नियमों को वैध करार दिया गया। कोर्ट ने 30 अप्रैल को जारी प्राचार्य की सूची पर लगी रोक को हटाते हुए इसे बहाल कर दिया है। डिवीजन बेंच ने प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए 65% 'ई संवर्ग, 25% लोकल बॉडी संवर्ग और 10% सीधी भर्ती का कोटा मान्य बताया है।
सिंगल बेंच ने फैसला रख लिया था सुरक्षित
याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने 5 अगस्त 2025 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य पदोन्नति को लेकर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अहम फैसले में राज्य सरकार के बनाए गए नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध माना है। डिवीजन बेंच ने इस संबंध में लगाई गई आधा दर्जन याचिकाओं को पहले ही खारिज कर दिया था।
फैक्ट फाइल
छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग ने अप्रैल 2025 में 2813 शिक्षकों को प्राचार्य पद पर प्रमोशन देने की सूची जारी की थी, सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पदोन्नति के लिए कैडर के आधार पर तय किए कोटे व मापदंडों को सही बताते हुए सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार को प्रक्रिया प्रारंभ करने की अनुमति दे दी थी।
दुर्ग के रिटायर्ड शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने याचिका दायर कर 65% कोटा को चुनौती दी और 100% ई संवर्ग को पोस्टिंग देने की मांग। इसके पहले डिवीजन बेंच ने राज्य शासन द्वारा तय कोटे को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सिंगल में सुनवाई के बाद ई संवर्ग के व्याख्याताओं का प्रमोशन का मामला अटका रहा।
