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Bilaspur High Court: चिकित्सा प्रतिपूर्ति कर्मचारी का अधिकार: हाई कोर्ट ने कहा- विभागों और अधिकरियों को बरतनी होगी खास गंभीरता...

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, समय-सारिणी का पालन करने के निर्देश, स्थानीय स्तर 15 दिनों और राज्य स्तर पर अधिकतम 90 दिनों में प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

Bilaspur High Court: चिकित्सा प्रतिपूर्ति कर्मचारी का अधिकार: हाई कोर्ट ने कहा- विभागों और अधिकरियों को बरतनी होगी खास गंभीरता...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक बड़े फैसले में कहा है कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति कर्मचारी का अधिकार है और इसके लिए सभी विभागों और अधिकरियों को खास गंभीरता बरतनी चाहिए। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि सभी सरकारी अधिकारी बिना किसी बाधा के चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए समय-सारिणी का पालन करेंगे। यदि कोई अधिकारी इसका पालन नहीं करता है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।

शासन की ओर से कहा गया है कि इसके लिए सभी विभागों को निर्देश जारी कर दिया है। इसके मुताबिक अधिकतम 15 दिनों में मेडिकल क्षतिपूर्ति का भुगतान स्थानीय स्तर पर करना आवश्यक होगा। साथ ही राज्य स्तर पर अधिकतम 90 दिनों में इसकी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

हाईकोर्ट ने यह आदेश कोरबा निवासी वीरेन्द्र कुमार मनहर की याचिका पर दिया है। याचिकाकर्ता प्राइमरी स्कूल में सहायक शिक्षक (एलबी) के पद पर कार्यरत हैं। उसने भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह रिट याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि उन्होंने अपने बीमार बेटे को इलाज के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था। याचिका में कहा गया कि अपोलो अस्पताल में 12 मई को भर्ती कराया गया और उसे 14 मई 2025 को छुट्टी दे दी गई थी। दायर याचिका में कहा गया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (कोरबा) ने 6 जून को एक प्रमाण पत्र जारी किया। इजिसके अनुसार याचिकाकर्ता ने 88 हजार 14 रुपए का दावा किया। शिक्षा विभाग ने सीजीएचएस दर के अनुसार इसके लिए 68 हजार 380 रुपए स्वीकृत भी कर दिया।

अधिकारियों की लापररवाही के कारण भटकना पड़ा

राशि स्वीकृत होने के बाद, इसे ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, कोरबा को भेज दिया गया था, लेकिन अभी तक अधिकारियों की लापरवाही के कारण राशि नहीं मिली। कई बार मांग के बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। मजबूर होकर याचिकाकर्ता को रिट याचिका दायर करनी पड़ी। हाईकोर्ट की नोटिस के बाद 31 अक्टूबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा यूएस पैंकरा कोर्ट के समक्ष पेश हुए। इसके बाद चिकित्सा प्रतिपूर्ति स्वीकृत करते समय पालन की जाने वाली समय-सारिणी 11 नवंबर को जारी कर दी गई। इसके मुताबिक अधिकतम 15 दिनों में मेडिकल क्षतिपूर्ति का भुगतान स्थानीय स्तर पर करना आवश्यक होगा। साथ ही राज्य स्तर पर अधिकतम 90 दिनों में इसकी प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

परिपत्र के अनुसार याचिका निराकृत की गई

इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पहले ही निर्धारित प्रपत्र में चिकित्सा प्रतिपूर्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत कर दिया है, जिस पर खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा 4 नवंबर 2025 को विचार कर चिकित्सा शिक्षा निदेशक को अग्रेषित कर दिया गया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक ने आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा है कि प्रपत्र में कुछ त्रुटि है, जिसे चिकित्सा प्रतिपूर्ति विभाग द्वारा शीघ्र ही ठीक कर लिया जाएगा। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि यह न्यायालय सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए चिकित्सा व्यय के बिलों के लंबे समय से लंबित रहने के मुद्दे को हल करने में चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. यू.एस. पैंकरा द्वारा किए गए ईमानदार प्रयासों की सराहना करता है। कोर्ट ने कहा कि चूँकि राज्य ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति हेतु निर्धारित कार्यक्रम के संबंध में पहले ही परिपत्र जारी कर दिया है और याचिकाकर्ता की शिकायत का निवारण राज्य द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार किया जाएगा, अत याचिका निराकृत की जाती है।

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