Bilaspur High Court: कानूनी लड़ाई लड़ते - लड़ते पिता की हो गई मौत, बेटे ने दिलाया न्याय, जाने पूरा मामला
Bilaspur High Court: रेलवे के अफसरों ने अपने एक कर्मचारी को सिर्फ इसलिए सेवा से बर्खास्त कर दिया कि बिना बताए अनुपस्थित हैं।
बिलासपुर। रेलवे के अफसरों ने अपने एक कर्मचारी को सिर्फ इसलिए सेवा से बर्खास्त कर दिया कि बिना बताए अनुपस्थित हैं। रेलवे के इस निर्णय के खिलाफ रेल कर्मचारी ने कैट में मामला दायर किया। कानूनी लड़ाई लड़ते मौत हो गई। पिता को न्याय दिलाने बेटा आगे आया। हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिवंगत पिता को न्याय की गुहार लगाई। डीविजन बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए रेल्वेको जरूरी निर्देश जारी किया है।
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में मामला लंबित रहने के दौरान वर्ष 2020 में याचिकाकर्ता के पिता रेल कमर्चारी की मौत हो गई थी। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डीविजन बेंच ने SECR प्रबंधन को चार माह के भीतर सभी सेवा लाभ देने का निर्देश जारी किया है।
बिलासपुर के NE Colony निवासी मोहम्मद खान रेलवे में पोर्टर/ SEY के पद पर कार्य कर रहे थे। उनकी पोस्टिंग बिलासपुर में थी। 6 जनवरी 2014 को रेलवे ने आरोप पत्र सौंपते हुए आरोप लगाया कि वे 11 दिसंबर 2012 से लेकर 26 दिसंबर 2013 तक सेवा से अनधिकृत रूप से बिना किसी जानकारी के अनुपस्थित थे। विभाग ने इसे रेलवे सेवा (आचरण) नियम के नियम 3.1 (ii) और (iii) का उल्लंघन माना। आरोप पत्र के बाद अफसरों ने विभागीय जांच की और सेवामुक्त करते हुते आदेश थमा दिया एसईसीआर द्वारा 11 फरवरी 2016 को की गई बर्खास्तगी की कार्रवाई के खिलाफ रेलकर्मी ने अपील पेश की। सुनवाई के बाद विभागने 19 दिसंबर 2016 को अपील खारिज कर दी।
राष्ट्रपति के पास भेजी दया अर्जी भेजी, अफसरों ने फाइल रोक दी
एसईसीआर के फैसले के खिलाफ रेल कर्मी ने 9 मार्च 2018 को राष्ट्रपति के समक्ष दया अपील पेश की। विभाग ने 1 मई 2018 को जानकारी दी गई कि सक्षम प्राधिकारी ने राष्ट्रपति को भेजी गई दया अपील को रोकने का निर्णय लिया है।
कैट से भी नहीं मिली राहत
रेलवे के निर्णय के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में मामला प्रस्तुत किया । मामला लंबित रहने के दौरान ही रेलकर्मी की 24 मई 2020 को मौत हो गई। इस बीच कैट ने 4 जुलाई 2023 को रेलवे के फैसले को सही ठहराते हुए आवेदन खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट में लगाई गुहार, मिला न्याय
कैट के फैसले को चुनौती देते हुए अधिवक्ता एवी श्रीधर के जरिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई। मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने फैसला सुनाया। डीविजन बेंच ने कहा कि बर्खास्तगी से पहले रेलकर्मी को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने रेलवे के आदेश और केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के फैसले को निरस्त कर दिया है।