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Bilaspur High Court: एक छत के नीचे रहना और अलग-अलग कमरे में सोना, हाई कोर्ट ने कहा - यह तो पति के साथ क्रूरता

Bilaspur High Court: पति-पत्नी के सम्बन्धों में खटास के बाद पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की गुहार लगाई थी। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क को सुनने के बाद डीविजन बेंच ने पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी है

Bilaspur High Court: एक छत के नीचे रहना और अलग-अलग कमरे में सोना, हाई कोर्ट ने कहा - यह तो पति के साथ क्रूरता
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By Neha Yadav

Bilaspur High Court: बिलासपुर। पति-पत्नी के सम्बन्धों में खटास के बाद पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की गुहार लगाई थी। दोनों पक्षों के वकीलों के तर्क को सुनने के बाद डीविजन बेंच ने पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी है। तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए डीविजन बेंच ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि एक ही छत के नीचे साथ रहने के बावजूद बिना किसी पर्याप्त कारण के पत्नी द्वारा घर के अलग कमरे में सोना भी पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। डीविजन बेंच ने बेमेतरा के फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

बेमेतरा के फैमिली कोर्ट ने नवंबर 2022 में पति के तर्कों से सहमत होते हुए उसके पक्ष में तलाक की डिक्री मंजूर की थी। बेमेतरा निवासी पुरुष और महिला की शादी अप्रैल 2021 में दुर्ग में हुई थी। पत्नी ने शादी के बाद यह कहते हुए विवाद किया और पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया कि उसका किसी अन्य महिला से संबंध है। पति और घर वालों की समझाइश के बाद पत्नी राजी तो हो गई। कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इनकार कर दिया। इस पर परिजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई। कोई हल नहीं निकला और सुलह भी नही हुआ। मनमुटाव के चलते पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग- अलग कमरों में रहने लगे।

समझाइश के बाद भी नहीं बदला व्यवहार

पति पत्नी के बीच विवाद को सुलझाने के लिए घर वालों ने पहल करते हुए दोनों पक्षो की कई बार बैठकें बुलाई। आखिर में कहा गया कि दोनों बेमेतरा में जाकर रहें। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। जनवरी 2022 से दोनों साथ रहने लगे, लेकिन पत्नी यहां भी अलग कमरे में सोती थी। पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री के लिए फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया।

पत्नी ने कहा- पति के आरोप बेबुनियाद

पत्नी ने अपने लिखित बयान में आरोपों से इनकार किया और पति का मामला खारिज करने की मांग की। पत्नीने कोर्ट को बताया कि शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने। शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक वह और उसके पति ने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया। दोनों साथ रहते थे। जिरह के दौरान पत्नी ने बताया कि उसने पति को कहा था कि उसकी ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया। लेकिन यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया। पति ने कहा है कि पत्नी को उसकी भाभी के साथ भी उसके संबंधों पर संदेह था। ऐसे आरोप सभ्य व्यक्ति के लिए सहनीय नहीं कहे जा सकते। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद डीविजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ पत्नी की याचिका खारिज कर दी है।

Neha Yadav

नेहा यादव रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। पिछले 6 सालों से विभिन्न मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग करने के बाद NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहीं है।

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