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Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने ऐसा क्यों कहा-डीएम का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं...

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ की न्यायधानी के रूप में पहचान बनाने वाली बिलासपुर के लोगों के लिए अरपा नदी जीवनदायिनी से कम नहीं है। इसे अंत:सलिला भी कहा जा सकता है। खनन माफियों ने नदी का स्वरुप ही बिगाड़कर रख दिया है। आलम ये कि नदी में जगह-जगह जानलेवा गहरे गड्ढे बन गए हैं। बीत चार साल का पुलिस का आंकड़ा देखें तो बारिश के दौरान अरपा नदी के गहरे गड्ढे में फंसकर एक दर्जन से ज्यादा मासूमों की जान चली गई है। अरपा नदी के संरक्षण ना कर पाने और खनन माफियाओं पर प्रभावी अंकुश ना लगा पाने को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कलेक्टर के कामकाज को लेकर नाराजगी जताई। सीजे ने कहा कि डीएम का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, प्रभावी नीति बनाकर अवैध उत्खनन को रोकना है। पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 22 अप्रैल की तिथि तय की है।

Bilaspur High Court: जो कुछ हो रहा है उसे इग्नोर भी तो नहीं किया जा सकता
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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court- बिलासपुर। अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में दो जनहित याचिका दायर की गई है। दोनों जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है। अरपा के संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन द्वारा प्रभावी कामकाज ना किए जाने और खनिज माफियाओं पर अंकुश ना लगा पाने को लेकर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई। नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि कलेक्टर का काम सफाई नहीं अवैध उत्खनन को रोकना और कानून का पालन ना करने वाले माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे भेजना है। चीफ जस्टिस की नाराजगी यही नहीं रुकी, उन्होंने अरपा नदी के साफ-सफाई को लेकर कलेक्टर के प्रयासों को महज दिखावा बताते हुए अरपा नदी में अवैध उत्खनन पर अब तक क्यों रोक नहीं लग पा रही है, माफियाओं पर कार्रवाई को लेकर जवाब-तलब किया। डिवीजन बेंच ने अरपा नदी के सूखने और लगातार अवैध उत्खनन को लेकर नाराजगी के साथ ही चिंता भी जताई।

0 डिवीजन बेंच की नाराजगी से आला अफसरों में मचा हड़कंप

पीआईएल की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि जिला प्रशासन को अपना काम करने में क्या परेशानी आ रही है। अवैध उत्खनन और परिवहन क्यों नहीं रोक पा रहे हैं। नाराज डिवीजन बेंच ने कहा कि जिला प्रशासन का काम पूरी तरहर फैल्युअर है। चीफ जस्टिस ने कलेक्टर के कामकाज को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि डीएम का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, बल्कि प्रभावी नीति बनाकर अवैध उत्खनन को रोकना है।

0 एजी ने सरकार की ओर से रखा पक्ष

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने डिवीजन बेंच को बताया कि राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए प्रभावी नीति बनाई है। नियमों का परिपालन के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारियों को शामिल किया गया है। समिति 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के प्रावधानों में जरुरी संशोधन और बदलाव किए जाएंगे।

0 डीपीआर को लेकर निगम ने दी जानकारी

नगर निगम की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आरएस मरहास ने डिवीजन बेंच को बताया कि स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, पुणे की कंपनी से नदी पुनर्जीवन परियोजना की डीपीआर प्राप्त हो चुकी है। अधिवक्ता मरहास ने कोर्ट को बताया कि सीई पीएचई विभाग से तकनीकी रिपोर्ट लेने के बाद इसे अंतिम रूप देने के साथ ही टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। डिवीजन बेंच ने नगर निगम बिलासपुर के कमिश्नर को नोटिस जारीर कर शपथ पत्र के साथ विस्तृत जानकारी पेश करने का निर्देश दिया है।

0 माइनिंग सिकरेट्री को शपथ पत्र के साथ देना होगा जवाब

राज्य शासन और नगर निगम की ओर पेश जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने माइनिंग सिकरेट्री को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। अवैध उत्खनन और परिवहन पर रोक लगाने के लिए राज्य शासन को सख्त कानून लाने की बात कही। डिवीजन बेंच ने दोटूक कहा कि अवैध उत्खनन और परिवहन की घटनाएं हो रही है तो संबंधित अधिकारियों और जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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