Bilaspur High Court- पदोन्नति के संबंध में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, पढ़िए डिवीजन बेंच ने क्या कहा...
Bilaspur High Court: वन विभाग में राज्य शासन द्वारा प्रमुख पद पर की गई पदोन्नति को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एनके व्यास की डिवीजन ने याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में लिखा है कि पदोन्नति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करना और उनका विकास करना है, जबकि चयन का लक्ष्य पात्र उम्मीदवारों में से रिक्त पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार को खोजना है।

Bilaspur High Court
Bilaspur High Court बिलासपुर। वन विभाग में शीर्ष पद पर पदोन्नति को चुनौती देने वाली रिट याचिका की सुनवाई के बाद बिलासपुर हाई काेर्ट के डिवीजन बेंच ने महत्वपूर्ण टिप्पणी के साथ याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एनके व्यास की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय का भी हवाला दिया है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में लिखा है कि पदोन्नति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करना और उनका विकास करना है, जबकि चयन का लक्ष्य पात्र उम्मीदवारों में से रिक्त पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार को खोजना है।
पीसीसीएफ शीर्ष स्केल के पद पर नियुक्ति चयन पद है। क्योंकि चयन के लिए चयन समिति का गठन किया गया है और चयन के मापदंडों में यह भी प्रावधान है कि उम्मीदवार में पद के लिए उत्कृष्ट योग्यता, क्षमता, पूर्ण निष्ठा और उपयुक्तता होनी चाहिए।
सुधीर कुमार अग्रवाल प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने पीसीसीएफ के पद पर वीएस राव की पदोन्नति को चुनौती देते पहले केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण जबलपुर में आवेदन पेश किया था। न्यायाधिकरण से आवेदन खारिज होने के बाद ट्रिब्यूनल के फैसल को चुनौती देते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सचिव पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली, राज्य शासन, प्रिंसिपल सिकरेट्री वन व पीसीसीएफ वीएस राव को प्रमुख पक्षकार बनाया था।
याचिकाकर्ता सुधीर कुमार अग्रवाल प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने रिट याचिका के माध्यम से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण जबलपुर द्वारा 26.06.2024 को पारित आदेश को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ राज्य, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रिंसिपिल सिकरेट्री द्वारा 04.09.2023 को पारित
आदेश को रद्द करने के लिए आवेदन पेश किया था। पेश आवेदन में उन्होंने वीएस राव को प्रधान मुख्य वन संरक्षक एपेक्स स्केल के पद पर पदोन्नति देने को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जबलपुर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें मुख्य रूप से तर्क दिया कि उनका चयन भारतीय वन सेवा (आईएफएस), 1988 बैच में हुआ था। वीएस राव 1990 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। वे उनसे जूनियर है और अचानक, भेदभावपूर्ण तरीके से पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) एपेक्स स्केल के पद पर पदोन्नति दे दी गई है। ऐसा कर राज्य सरकार ने उनकी वरिष्ठता और अनुभव को दरकिनार कर दिया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद के लिए 'शीर्ष स्केल' पर एक समिति गठित की जानी है और राज्य कैडर में पीसीसीएफ का पद धारण करने वाले अधिकारियों को एचएजी + 75500-80,000 रुपये के स्केल में, चयन के लिए मानदंड उत्कृष्ट योग्यता, क्षमता, पूर्ण निष्ठा और पद के लिए विशिष्ट उपयुक्तता है।
भारतीय वन सेवा (वेतन) नियम, 2016 के अनुसार शीर्ष वेतनमान का पद सुपर टाइम स्केल से ऊपर है और यह वेतन मैट्रिक्स में लेवल 17 में है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वीएस राव ने वेतनमान स्तर 16 में न्यूनतम सेवा का एक वर्ष पूरा नहीं किया है, इसलिए उन्हें स्तर 17 यानी पीसीसीएफ, शीर्ष वेतनमान के पद पर पदोन्नति के लिए विचार नहीं किया जा सकता है।
0 ट्रिब्यूनल ने खारिज किया आवेदन
न्यायाधिकरण ने 26.06.2024 के आदेश के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विशेष चयन समिति (एसएससी) ने वीएस राव के नाम की सिफारिश पूरी तरह से योग्यता के आधार पर की थी जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया था। जिसके परिणामस्वरूप वीएस राव को प्रधान मुख्य संरक्षक के पद पर पदोन्नत किया गया था। उनका चयन योग्यता के आधार पर किया गया है, न कि भारतीय वन सेवा (वेतन) नियम, 2016 में निहित प्रावधानों के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर। ट्रिब्यूनल ने जरुरी टिप्पणी के साथ आवेदन को खारिज कर दिया था। ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने बिलासपुर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।
0 2.29 करोड़ रुपये की गड़बड़ी की जांच है लंबित
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि वीएस राव के खिलाफ 2.29 करोड़ रुपये का मामला लंबित है, इसलिए एसएससी की सिफारिश नियम, 2009 के विपरीत है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि पदोन्नति के लिए 16.04.2009 को वीएस राव की सिफारिश पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के विरुद्ध है। जिस दिन विशेष चयन समिति बुलाई गई थी उस दिन वीएस राव पीसीसीएफ (वन बल प्रमुख) एपेक्स स्केल के पद पर पदोन्नति के लिए पात्र नहीं थे। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह खुद 1988 बैच के आईएफएस हैं जबकि वीएस राव 1990 बैच के आईएफएस हैं। लिहाजा वह उनसे काफी जूनियर हैं।
0 असिस्टेंट सालिसिटर जनरल ने ये कहा
केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि न्यायाधिकरण द्वारा पारित आदेश उचित और न्यायसंगत है। शीर्ष वेतनमान में नियुक्ति पदोन्नति के माध्यम से नहीं बल्कि चयन के माध्यम से होती है, इसलिए याचिकाकर्ता का यह दावा कि वह वीएस राव से वरिष्ठ है, खारिज किए जाने योग्य है। वीएस राव को चयन प्रक्रिया में योग्य घोषित किया गया है। महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा कि वीएस राव का शीर्ष वेतनमान में चयन एसएससी की सिफारिश के आधार पर किया गया है। भारतीय वन सेवा (वेतन) नियम, 2016 और 16.04.2009 के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गया है। शीर्ष वेतनमान पद के चयन पर वरिष्ठता के बजाय योग्यता के आधार पर जोर देता है। वीएस राव को शीर्ष वेतनमान में अनुशंसित करते समय पिछले 5 वर्षों की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) पर विचार किया गया है। याचिकाकर्ता के मामले में 5 वर्षों के लिए कुल एपीएआर ग्रेड 48/50 था, जबकि वीएस राव के लिए एपीएआर ग्रेड 49.62/50 था।
0 डीपीसी से संबंधित नियम व निर्देश विशेष चयन समिति (एसएससी) पर नहीं होता लागू
पीसीसीएफ वीएस राव के अधिवक्ता ने कहा कि 29.08.2023 के एजेंडा में कहा गया था कि शीर्ष स्केल के पद के लिए एक अधिकारी का चयन किया जाना था। एसएससी ने योग्यता, पूर्ण निष्ठा और विशिष्ट उपयुक्तता और एपीएआर डेटा के आधार पर योग्यता पर विचार किया। इस प्रक्रिया में वरिष्ठता कभी भी मापदंड नहीं होती है। उन्होंने आगे कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा 08.02.2002 के ज्ञापन का संदर्भ देना इस न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास है। क्योंकि यह विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) से संबंधित है। यह विशेष चयन समिति (एसएससी) पर लागू नहीं होता। शीर्ष वेतनमान का पद भारतीय वन सेवा (वेतन) नियम, 2008 के नियम 3डी(iii) तथा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के परामर्श से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 16.04.2009 को जारी किए गए विशिष्ट दिशा-निर्देशों के अनुसार है। शीर्ष वेतनमान चयन आधारित विशेष पद है, जिसे वर्ष 2008-09 में सृजित किया गया था। जो वरिष्ठता आधारित पदोन्नति से अलग है।
0 डिवीजन बेंच ने दो विषयों पर किया विचार
0 क्या पीसीसीएफ, शीर्ष वेतनमान के पद पर नियुक्ति चयन पद है या पदोन्नति पद है और यदि यह चयन पद है तो प्रिंसिपल सिकरेट्री द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया कानूनी और न्यायोचित है और क्या इस न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किया जाना उचित है या नहीं?
0 क्या न्यायाधिकरण द्वारा मूल आवेदन को खारिज करने का निर्णय कानूनी एवं न्यायोचित है?
0 हाई कोर्ट ने इस टिप्प्णी के साथ याचिका को किया खारिज
जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एनके व्यास की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि 16.04.2009 के दिशा-निर्देशों से यह स्पष्ट है कि पीसीसीएफ शीर्ष स्केल के पद पर नियुक्ति चयन पद है। क्योंकि चयन के लिए चयन समिति का गठन किया गया है और चयन के मापदंडों में यह भी प्रावधान है कि उम्मीदवार में पद के लिए उत्कृष्ट योग्यता, क्षमता, पूर्ण निष्ठा और उपयुक्तता होनी चाहिए। नियम 2016 का नियम 3 जो वेतन मैट्रिक्स में स्तर और इनमें नियुक्ति प्रदान करता है। पदोन्नति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करना और उनका विकास करना है, जबकि चयन का लक्ष्य पात्र उम्मीदवारों में से रिक्त पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार को खोजना है।