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Bilaspur Hjgh Court: हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: कर्मचारियों को मिली राहत, जानिए प्रिंसिपल की याचिका पर क्या कहा अदालत ने

प्रिंसिपल की याचिका पर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तबादला आदेश पर रोक लगा दिया है। राज्य शासन के आदेश को चुनौती देते हुए प्रिंसिपल अनिल कुमार टेंभेकर ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सामान्य प्रशासन विभाग के सरकुलर का हवाला दिया। कोर्ट ने तबादला आदेश पर रोक लगा दी है।

फाइल फोटो
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Bilaspur Highcourt: 

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। दुर्ग जिले के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रिंसिपल के पद पर पदस्थ अनिल कुमार टेंभेकर का स्थानांतरणआईटीआई दुर्ग से आईटीआई जिला कांकेर कर दिया गया था। तबादला आदेश के बाद प्रिंसिपल ने संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था। अभ्यावेदन की सुनवाई के बाद संचालक ने इसे खारिज कर दिया। अभ्यावेदन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच ने राज्य शासन के आदेश पर रोक लगा दिया है।

औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान दुर्ग में प्राचार्य के पद पर पदस्थ अनिल कुमार टेंभेकर का स्थानांतरण आईटीआई दुर्ग से आईटीआई अंतागढ़ जिला कांकेर कर दिया। तबादला आदेश को चुनौती देते हुए प्राचार्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्राचार्य को 10 दिनों के भीतर सक्षम अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने कहा था। याचिकाकर्ता द्वारा पेश अभ्यावेदन पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश राज्य शासन को दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का परीक्षण करने के बाद संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण ने स्थानांतरण नीति का उल्लंघन नहीं होने का हवाला देते हुए खारिज कर दिया।

संचालक रोजगार एवं प्रशिक्षण के फैसले को चुनौती देते हुए प्रिंसिपल टेंभेकर ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका की सुनवाई जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच में हुई।

अधिवक्ता सिद्धीकी ने जीएडी के सरकुलर का दिया हवाला-

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी ने कोर्ट को जीएडी के नियमों व मापदंडों की जानकारी दी। अधिवक्ता ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के सर्कुलर 3 जून 2015 की कंडिका 1.5 के अनुसार 55 वर्ष से अधिक के कर्मचारियों को यथासंभव दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थापना से मुक्त रखने का उल्लेख है। सर्कुलर की कंडिका 1.3 में भी यह उल्लेखित किया गया है की प्रथम नियुक्ति के समय कर्मचारियों को दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में कम से कम 2 वर्ष के लिए अथवा सामान्य अनुसूचित क्षेत्र में कम से कम 3 वर्ष के लिए पदस्थ किया जाए। शासकीय सेवक द्वारा अनुसूचित क्षेत्र में की गई सेवा अवधि के अनुसार उसकी पदस्थापना गैर अनुसूचित क्षेत्र में करने पर विचार करने का उल्लेख है।

विभाग द्वारा याचिकाकर्ता के अनुसूचित क्षेत्र में की गई सेवा को ध्यान में नहीं रखते हुए पुनः दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र आईटीआई अंतागढ़ जिला कांकेर किया जाना पूर्णतया गलत है। याचिकाकर्ता पूर्व में अनुसूचित क्षेत्र सरगुजा अंबिकापुर में वर्ष 1998 से 2006 तक अपनी सेवाएं दे चुका है।

वरिष्ठ सचिवों की समिति करेगी निर्णय-

अधिवक्ता सिद्धीकी ने कोर्ट को जानकारी दी कि याचिकाकर्ता वर्तमान में 57 वर्ष के हैं। जीएडी के सरकुलर में साफ लिखा है कि 55 वर्ष से अधिक के कर्मचारियों को यथासंभव दुर्गम अनुसूचित क्षेत्र में पदस्थापना से मुक्त रखने का रखा जाएगा। याचिकाकर्ता के मामले में विभागीय अधिकारियों ने सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों व निर्देशों का खुलेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने पदस्थापना आदेश पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को राज्य शासन द्वारा गठित कमेटी के समक्ष 10 दिनों के भीतर अभ्यावेदन पेश करने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ सचिवों की समिति याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर 20 दिनाें के भीतर अपना निर्णय देगी।

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