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Chhattisgarh PSC स्कैमः राजभवन मौन रहा, सरकार के हाथ बंधे हुए, खलको, अल्मा का खेला कर PSC चेयरमैन रिटायर हो सुरक्षित घर चले गए

Chhattisgarh PSC स्कैमः राजभवन मौन रहा, सरकार के हाथ बंधे हुए, खलको, अल्मा का खेला कर PSC चेयरमैन रिटायर हो सुरक्षित घर चले गए
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By Sandeep Kumar Kadukar

Chhattisgarh PSC Scam रायपुर। रिजल्ट में भाई-भतीजावाद को लेकर पीएससी एक बार फिर विवादों में है। इसमें अनेक सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़ा घोटाला हुआ तो कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई...? पीएससी चेयरमैन का पद संवैधानिक पद है...उनके खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा?

पीएससी चेयरमैन के खिलाफ राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। उसे हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत चाहिए। अधिक-से-अधिक ये नियुक्तिकर्ता की हैसियत से राज्यपाल फौरी तौर पर सस्पेंड कर सकते हैं। जैसे 2005 में जब पीएससी घोटाला हुआ था तो तत्कालीन राज्यपाल केएम सेठ ने पीएससी प्रमुख अशोक दरबारी को सस्पेंड कर दिया था। मगर इस बार पीएससी 2021 में घोटालों का भंडाफोड़ हुआ तो राजभवन मौन ओढ़े रहा। दरअसल, राजभवन के सचिव अमृत खलको के दोनों बेटे-बेटी का डिप्टी कलेक्टर में सलेक्शन हुआ है। सो, राजभवन के मौन पर बहुतेरे सवाल खड़े हो रहे हैं।

सुरक्षित रिटायर

पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी ने पीएससी 2021 में खलको और अपने नाते-रिश्तेदारों की नियुक्ति का खेला किया ही, 2022 में भी बेमेतरा कलेक्टर पीएस एल्मा के बेटे उस बेटे को डिप्टी कलेक्टर बना दिया जिसे इसरो का फुल फार्म नहीं मालूम।

इतना बड़ा स्कैम कि चीफ जस्टिस को बोलना पड़ा कि ये संयोग नहीं हो सकता कि पीएससी चेयरमैन के नाते-रिश्तेदार सलेक्ट हो जाएं। उन्होंने वकील से पूछा, आपने पीएससी चेयरमैन को पार्टी क्यों नहीं बनाया। इस पर वकील ने बताया कि धारा 351 के तहत पीएससी चेयरमैन का पद संवैधानिक होने की वजह से पार्टी नहीं बनाया जा सकता।

उधर, टामन सिंह खलको, अल्मा और अपने रिश्तेदारों को बड़े-बड़े पदों पर भर्ती कर 8 सितंबर को सुरक्षित रिटायर हो गए। चूकि अशाके दरबार रिटायर नहीं हुए थे इसलिए राज्यपाल ने सस्पेंड कर दिया। सोनवानी का अब कुछ भी नहीं हो सकता। जानकारों का कहना है, क्रीमिनल केस होने की स्थिति में ही चेयरमैन लपेटे में आएंगे। मगर इस मामले में कांग्रेस, भाजपा भाई-भाई है। 2003 पीएससी बीजेपी के समय का है, उस समय के डिप्टी कलेक्टर गंभीर आरोपों के बाद भी आईएएस बन गए।

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न्यूज़ रायपुर। छत्तीसगढ़ पीएससी में गड़बड़ियों की जब बात आती है, तब 2003 बैच को याद किया जाता है। न्यायिक व्यवस्था को चुनौती देकर इस बैच के कई खटराल डिप्टी कलेक्टर अब आईएएस बन चुके हैं। इस विवाद में तत्कालीन पीएससी चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए थे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 2003 में गलत प्रक्रिया के तहत सलेक्ट हुए अफसर अभी भी प्रमोशन और तरक्की पा रहे हैं। खैर, 2005 तो काफी पुरानी बात हो गई है। पढ़ें पूरी खबर...

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Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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