Begin typing your search above and press return to search.

CG PSC और न्याय व्यवस्था: चीफ जस्टिस ने जिन डिप्टी कलेक्टरों की नियुक्ति निरस्त की, वे आईएएस बन गए

CG PSC और न्याय व्यवस्था: चीफ जस्टिस ने जिन डिप्टी कलेक्टरों की नियुक्ति निरस्त की, वे आईएएस बन गए
X
By yogeshwari varma

Chhattisgarh PSC न्यूज़ रायपुर। छत्तीसगढ़ पीएससी में गड़बड़ियों की जब बात आती है, तब 2003 बैच को याद किया जाता है। न्यायिक व्यवस्था को चुनौती देकर इस बैच के कई खटराल डिप्टी कलेक्टर अब आईएएस बन चुके हैं। इस विवाद में तत्कालीन पीएससी चेयरमैन अशोक दरबारी सस्पेंड हुए थे, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद 2003 में गलत प्रक्रिया के तहत सलेक्ट हुए अफसर अभी भी प्रमोशन और तरक्की पा रहे हैं। खैर, 2005 तो काफी पुरानी बात हो गई है। ताजा मसला 2021 की पीएससी का है। इसमें छत्तीसगढ़ पीएससी के अध्यक्ष के करीबी रिश्तेदार, आईएएस-आईपीएस और कांग्रेस नेताओं के बच्चे सलेक्ट हुए हैं। इनकी संख्या 18 है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इसे काफी गंभीर माना है। उन्होंने कहा कि "हम ये नहीं कहते कि किसी के बच्चे सलेक्ट नहीं हो सकते, लेकिन ऐसा क्या संयोग कि पीएससी चेयरमैन की बेटी और करीबी रिश्तेदार सलेक्ट हुए हैं।'

पीएससी 2021 में जिन 18 लोगों के चयन को लेकर विवाद है, उनमें पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के बेटे नीतेश का डिप्टी कलेक्टर, बहू निशा कोसले का डिप्टी कलेक्टर, सोनवानी के बड़े भाई के बेटे साहिल का डीएसपी और बड़े भाई की बहू दीपा अजगले का जिला आबकारी अधिकारी के पद पर चयन हुआ है। इसके अलावा राजभवन के सचिव अमृत खलखो की बेटी नेहा और बेटे निखिल का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है। इस तरह कुल 18 लोगों की सूची है। चीफ जस्टिस ने न सिर्फ इस मामले को गंभीर माना है, बल्कि उनकी नियुक्ति रद्द करने के भी संकेत दिए हैं।

ऐसे समय में एक बार फिर पीएससी 2003 की याद आती है, जब हाईकोर्ट द्वारा नियुक्ति रद्द करने के आदेश और ईओडब्ल्यू में केस दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई तो दूर, उल्टे आईएएस बनकर बैठे हैं। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के सिविल सेवा में शामिल अभ्यर्थी हाईकोर्ट के फैसले से उत्साहित हैं, साथ ही, आशंकित भी हैं कि चीफ जस्टिस के आदेश के बाद कहीं फिर महंगे वकील खड़ा कर सभी सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले लें और होनहार युवाओं के हक की सीट धनबल और राजनीतिक पहुंच वालों को मिल जाए।

हाईकोर्ट से युवाओं को बड़ी उम्मीद

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जिस तरह मामले में त्वरित रूप से निर्णय लेते हुए नियुक्ति पर रोक लगाने के संकेत दिए हैं, उससे युवाओं के मन में बड़ी उम्मीद जागी है, क्योंकि यह मान लिया गया था कि जिन लोगों के सलेक्शन हुए हैं, उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकती, क्योंकि पीएससी चेयरमैन का इस मामले में सीधा इन्वॉल्वमेंट दिख रहा है। इस मामले में बुधवार को फिर सुनवाई होनी है। पीएससी के वकील बताएंगे कि जिन 18 लोगों के नाम याचिका में हैं, उन्हें नियुक्ति पत्र दे दिया गया है, या नहीं। यदि नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया है, तब उन्हें यथास्थिति मेंं डाला जा सकता है।

रिजल्ट के बाद ही शुरू हो गया था विवाद

पीएससी 2021 का परिणाम जारी होने के बाद ही विवाद शुरू हो गया था। लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी का इजहार किया था। लोग इसे 2003 की पीएससी से जोड़कर देख रहे हैं। 2003 बैच के राज्य सेवा के अधिकारी भले ही हरीश साल्वे जैसे देश के शीर्षस्थ वकील को सुप्रीम कोर्ट में खड़ा कर हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे ले आए हैं, लेकिन उनके खिलाफ धोखाधड़ी और चारसौबीसी के मामले दर्ज हुए थे। ईओडब्लू ने 2003 बैच के सभी चयनित अधिकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।

न्याय व्यवस्था को लेकर इसलिए आशंका

न्याय व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ के युवा इसलिए आशंकित हैं, क्योंकि 18 साल बाद भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में तो ढेरों शिकायतें और आरोप हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी से हटाने के आदेश हैं, फिर भी ये सभी नौकरी कर रहे हैं और सेवा पूरी करने के बाद रिटायर हो जा रहे हैं। इसके बाद भी समय पर फैसला नहीं आता। पीएससी-2003 में सलेक्ट अधिकारी भी आने वाले कुछ सालों में रिटायर हो जाएंगे और फैसला नहीं आ पाएगा।

Next Story