Chhattisgarh News: CG 10 प्रतिशत ब्याज के साथ शिक्षकों को कर दिया गया है एरियर्स का भुगतान: हाईकोर्ट में सीईओ ने दी जानकारी
Chhattisgarh News: याचिकाकर्ता शिक्षकों ने संचालक पंचायत और सीईओ जिला पंचायत कोरिया के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में अवमानना याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पंचायत संचालक व सीईओ जिला पंचायत ने कोर्ट को जानकारी दी कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान एरियर्स पर 10 प्रतिशत ब्याज सहित राशि का भुगतान कर दिया है।
Chhattisgarh News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए आठ शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान जारी करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने संचालक पंचायत और सीईओ जिला पंचायत कोरिया के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में अवमानना याचिका दायर की थी। अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पंचायत संचालक व सीईओ जिला पंचायत ने कोर्ट को जानकारी दी कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान एरियर्स पर 10 प्रतिशत ब्याज सहित राशि का भुगतान कर दिया है। पुनरीक्षित वेतनमान को लेकर सबसे पहले अदालती लड़ाई कांकेर की शिक्षिका सोना साहू ने लड़ी थी। उनके मामले में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने आदेश जारी किया था। इसके बाद प्रदेशभर के 150 से अधिक शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की थी।
सोना साहू की याचिका पर हाई कोर्ट के फैसले से छत्तीसगढ़ के 50 हजार शिक्षकों के चेहरे खिल उठे थे। हालांकि सोना साहू सहित उन शिक्षकों को जिन्होंने हाई कोर्ट में क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर याचिका दायर की थी और कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आया था, उनको लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी थी। संबंधित अफसरों के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में अवमानना याचिका दायर करनी पड़ी थी। अवमानना याचिका दायर होने के बाद अब कोर्ट ने अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया तब शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान मिलने का रास्ता साफ हुआ। इसी तरह का एक मामला कोरिया जिले का भी है। अविनाश नामदेव सात अन्य शिक्षकों ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जब उनकोा पुनरीक्षित वेतनमान का भुगतान एरियर्स के साथ नहीं किया तब शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में
संचालक पंचायत व सीईओ जिला पंचायत कोरिया के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य शासन के निर्णय अनुसार पंचायत शिक्षकों को 8 वर्ष में पुनरीक्षित वेतनमान मिलना था, किन्तु उक्त लाभ उन्हें नहीं दिया जा रहा है। याचिका स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने पुनरीक्षित वेतनमान और उसका एरियर्स 90 दिनों के भीतर देने का निर्देश दिया था। तय समय सीमा में राशि का भुगतान ना करने पर कोर्ट ने 10 प्रतिशत ब्याज देने की शर्त रख दी थी। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी जब याचिकाकर्ता शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ एरियर्स के साथ नहीं मिला तब शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि आदेश के बाद पंचायत विभाग ने तकरीबन तीन साल बाद एरियर्स की राशि का भुगतान किया पर ब्याज की राशि नहीं दी है।
हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस,तब किया भुगतान
अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जब संचालक पंचायत और सीईओ जिला पंचायत कोरिया को जवाब पेश करने नोटिस जारी किया तब याचिकाकर्ता शिक्षकों को ब्याज सहित 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया। अफसरों ने कोर्ट के समक्ष भुगतान की जानकारी और दस्तावेज पेश किया। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया है।
बिलासपुर जिले के शिक्षकों ने भी दायर की थी याचिका
बिलासपुर जिले के अंतर्गत तहसील मस्तूरी विकासखंड मस्तूरी के विभिन्न गांव में रहने वाले दिलीप भूषण कुर्रे, बसंत कुमार जायसवाल, चमेली कुर्रे, संतोष कुमार साहू, विकास कुमार निर्णजक सुरेंद्र कुमार डहरिया, प्रेमलाल राय, शांतनु कुमार भार्गव, दीशपाल सिंह ने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा था कि विकासखंड मस्तूरी के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में सहायक शिक्षक तथा प्रधान पाठक के पद पर कार्यरत हैं। याचिका के अनुसार एक ही पद पर कार्य करते हुए 10 वर्ष की सेवावधि पूरी कर ली है। इसके बाद भी शासन के नियमानुसार क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
सोना साहू बनी रोल माडल,खोले क्रमोन्नति वेतनमान के द्वार
याचिकाकर्ता शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा शिक्षिका सोना साहू के प्रकरण में जारी आदेश को न्याय दृष्टांत के रूप में कोर्ट के समक्ष पेश किया है। बता दें कि कांकेर की शिक्षिका सोना साहू की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने 28. फरवरी 2024 को आदेश जारी कर शासन द्वारा जारी 10. मार्च 2017 के सरकुलर के अनुसार क्रमोन्नित वेतनमान का लाभ देने राज्य शासन को निर्देशित किया था। हाई कोर्ट के इसी फैसले को आधार बनाकर याचिकाकर्ता शिक्षिकों ने 10 वर्ष की सेवा पूरी होने पर क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ की मांग को लेकर याचिका दायर की।