CG High Court News: जनता के प्रति पुलिस के व्यवहार को सहीं रखने के लिए डीजीपी को अदालत ने दिए निर्देश, पीड़ित परिवार से दुर्व्यवहार पर डीजीपी को मेमो भेजने के निर्देश...
CG High Court News : बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के एक मामले में अग्रिम जमानत के मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस के व्यवहार पर कड़ी टिप्पणी की है। साथ ही अदालत ने जनता के प्रति पुलिस को सही व्यवहार रखने की हिदायत देते हुए पीड़ित परिवार से दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त नाराजगी जताकर दोषी पुलिसकर्मियों की जांच वह कार्यवाही करने के निर्देश डीजीपी को दिए हैं। इस बाबत सरकारी वकील को उसके आदेश की प्रति आवश्यक कार्रवाई हेतु डीजीपी को प्रेषित करने को कहा है। अदालत ने मेमो जारी कर डीजीपी को आदेश दिया है कि किसी भी मामले के अन्वेषण के दौरान पुलिस का व्यवहार संभ्रांत नागरिकों के प्रति कैसा होना चाहिए।
रायगढ़ के सुशील अग्रवाल के खिलाफ भूमि विवाद में पैसों के लेनदेन पर रायगढ़ के सिटी कोतवाली थाने में अपराध क्रमांक 227/2022 धारा 420, 34 भादवि का अपराध दर्ज हुआ था। उक्त मामले की जांच के बहाने 4 अक्टूबर 2022 को दोपहर 2:30 बजे 10-12 पुलिस वाले आवेदक के घर में घुसकर परिवार वाले से अमर्यादित व्यवहार करने लगे। इस दौरान 1 घंटे से अधिक समय तक प्रार्थी के निवास के अंदर घुस कर छानबीन के बहाने परिवार वालों को डराया धमकाया। परिवार के सदस्य भयभीत होकर बैठे रहे जो कि घर में लगे सीसीटीवी फुटेज में कवर हो गया। जिसके बाद प्रार्थी ने उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। जिसमें याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनिल तावड़कर ने पुलिसकर्मियों के अदालत के सामने लाया साथ ही इसके फोटोग्राफ पेश किए।
मामले की सुनवाई जस्टिस दीपक तिवारी की बेंच में हुई। पुलिसकर्मियों के इस प्रकार के कृत्यों से अदालत ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए डीजीपी को निर्देशित किया कि टीम के सभी पुलिस कर्मियों के व्यवहार की जांच कर स्पष्ट करें एवं यदि आवश्यकता हो तो अनुशासनात्मक कार्यवाही भी करें। उच्च न्यायालय द्वारा पुलिस महानिदेशक को यह भी निर्देशित किया कि पुलिस की छवि जनता और आम नागरिकों के प्रति सही होनी चाहिए। एवं पब्लिक का विश्वास से फोर्स से नहीं टूटे एवं विभाग की इमेज जनमामस के बीच सही बनी रहे। अदालत ने डीजीपी को निर्देशित किया कि आवश्यकतानुसार दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही सुनिश्चित की जावे। यदि निर्धारित दिशानिर्देशों के उल्लंघन पाए जाते हैं तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। साथ ही अदालत ने डीजीपी को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि राज्य के किसी भी नागरिक के विरुद्ध इस प्रकार के कृत्यों की पुनरावृत्ति ना हो। अदालत ने शासकीय अभिभाषक को उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति एवं प्रकरण में प्रस्तुत फोटोग्राफ को आवश्यक कार्यवाही हेतु पुलिस महानिदेशक को आवश्यक कार्यवाही हेतु अग्रेषित करने के लिए कहा।