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Bilaspur High Court: हाईकोर्ट पहुंचा सूखत का मामला: कोर्ट ने पूछा क्‍या है इसकी गणना का आधार, मार्कफेड ने बताया...

Bilaspur High Court: धान खरीदी साइड इफैक्ट 46 समितियों की याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने पूछा मार्कफेड से पूछा धान में कितने फीसद तक सूखत (dryness) की गणना होती है।

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट पहुंचा सूखत का मामला: कोर्ट ने पूछा क्‍या है इसकी गणना का आधार, मार्कफेड ने बताया...
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By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बाद समितियों से तय समय पर धान संग्रहण केंद्र ना पहुंचने पर सूखत के बाद राज्य शासन द्वारा समितियों पर कार्रवाई करती है। शासन के इस फैसले के खिलाफ प्रदेश के अलग-अलग जिलों के करीब 46 समिति प्रभारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है। इनका कहना है कि मार्कफेड द्वारा तय समय पर धान का उठाव व ट्रांसपोर्टिंग ना कराए जाने के कारण धान में सूखत के कारण वजन घट जाता है। रिकवरी समितियों से की जाती है। मार्कफेड अफसरों की लापरवाही का खामियाजा हम क्यों भुगते।

जस्टिस एनके चंद्रवंशी के कोर्ट में सभी याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य शासन व मार्कफेड के अफसरों से पूछा कि dryness का क्या मापदंड है। प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग नियम बनाए गए हैं क्या। इस पर मार्कफेड के अफसर ने कहा कि सूखत के लिए शासन स्तर पर कोई मानक व मापदंड तय नहीं किया गया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान मार्कफेड के एमडी ने शपथ पत्र के साथ कोर्ट को जानकारी दी कि इस तरह का कोई मापदंड तय नहीं किया गया है। कोर्ट ने राज्य शासन को तीन सप्ताह की मोहलत दी है। तब तक सूखत के नाम पर समितियों पर किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगी रहेगी।

24 मार्च को पहली सुनवाई,यह है याचिका

समितियों में डंप पड़े धान और सूखत की आशंका को लेकर परेशान सहकारी समितियों के प्रभारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर धान का उठाव शीघ्र करने की मांग की है। याचिकाकर्ता समितियों का कहना है कि राज्य विपणन संघ के अधिकारी राज्य शासन के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। सूखत आने की स्थिति में रिकवरी की जाएगी और राशि की वसूली के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई भी संभव है। हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 30 दिनों के भीतर समितियों से धान का उठाव करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता समितियों को सूखत के संबंध में अभ्यावेदन पेश करने और इस पर 30 दिनों के भीतर निराकरण करने का निर्देश दिया था।

अफसरों ने नियमों का नहीं किया पालन

अक्टूबर-नवंबर 2023 के महीनों में राज्य विपणन संघ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक लिमिटेड और प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के बीच त्रिपक्षी समझौता किया गया। धान खरीदी केन्द्रों में अनुबंध के नियम एवं शर्तों का पालन करते हुए राज्य विपणन संघ को 72 घंटे के भीतर या 28 फरवरी 2024 तक बफर स्टाक उठाना था। धान खरीदी की अंतिम तिथि चार फरवरी 2024 थी। भंडारण, क्रय प्रक्रिया, कंप्यूटरीकरण आदि का कार्य प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों द्वारा किया जाना था। याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि संबंधित धान उपार्जन केंद्रों द्वारा बफर स्टाक तो खरीद लिया गया, लेकिन राज्य विपणन संघ ने राज्य शासन द्वारा तय समयावधि में धान का उठाव नहीं किया गया। धान न उठाने से धान की मात्रा में कमी हो सकती है और आशंका है कि राज्य शासन के अधिकारी उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संबंधित अधिकारियों को विभिन्न अभ्यावेदन दिए गए लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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