Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: किसान की नहीं सुनी फरियाद, बिलासपुर कलेक्टर बढ़ी मुश्किलें: हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस, चल सकता है अवमानना का केस

Bilaspur High Court:

Bilaspur High Court: किसान की नहीं सुनी फरियाद, बिलासपुर कलेक्टर बढ़ी मुश्किलें: हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस, चल सकता है अवमानना का केस
X
By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करना अफसरों के लिए नई बात नहीं है। ऐसे ही एक मामले में अब बिलासपुर कलेक्टर को अवमानना मामले में मुकदमा झेलना पड़ेगा। अभी तो हाईकोर्ट ने आदेश की नाफरमानी को लेकर जवाब मांगा है। कोर्ट कलेक्टर के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो आईएएस कलेक्टर के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीडिंग चलेगी। बता दें क्रिमिनल प्रोसीडिंग में सजा का भी प्रावधान है।

मामला तब और गंभीर हो जाता है जब अन्नदाता से जुड़ा हो। केंद्र व राज्य शासन का पूरा फोकस कृषि और किसान पर है। ऐसे में किसान की जमीन को फर्जी तरीके से कोई किसान पोर्टल में पंजीयन करा ले और उसके हिस्से की जमीन पर समर्थन मूल्य पर धान बेचे तब क्या होगा। अन्नदाता किसान तहसीलदार से लेकर एसडीएम और अंत में कलेक्टर के पास गुहार लगाई। पटवारी का रिपोर्ट पेश किया,जमीन के दस्तावेज दिखाए। तहसीलदार से लेकर कलेक्टर तक किसी का दिल नहीं पसीजा और ना ही किसान की बातों पर भरोसा ही जताया। वह भी तब जब पटवारी ने फर्जीवाड़े को लेकर पूरी रिपोर्ट तहसीलदार के कोर्ट में सौंप दी थी। परेशान किसान ने अंत में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट से राहत भी मिली। कोर्ट ने एक साल पहले दिसंबर 2023 में कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। तब के कलेक्टर ने कोर्ट की नहीं सुनी और फाइल रद्दी की टोकरी में डाल दी। किसान ने तय समय तक इंतजार किया। दोबारा हाईकोर्ट पहुंचा। इस बार न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कलेक्टर सहित राजस्व विभाग के प्रमुख अधिकारियों को पक्षकार बनाया और याचिका दायर कर दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कलेक्टर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता किसान के मामले का निराकरण करने का आदेश दिया था। अचरज की बात ये कि इस पर भी कलेक्टर कार्यालय की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

दूसरी मर्तबे किसान पहुंचा कोर्ट,कलेक्टर की हाईकोर्ट ने ली खबर

दूसरी मर्तबे जब किसान ने हाईकोर्ट में कलेक्टर के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर किया तब हाईकोर्ट ने कलेक्टर बिलासपुर को नोटिस जारी कर पूछा कि कोर्ट के आदेश की अवहेलना क्यों की जा रही है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए और इसी आरोप में कार्रवाई की जाए। जवाब के लिए कोर्ट ने कलेक्टर अवनीश शरण को एक सप्ताह की मोहलत दी है।---------------

ये है मामला

नेवसा में रहने वाले किसान अजय कश्यप ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें बताया था कि वह और उसके भाई-बहन, अंकिता, अभितोष, अंजली, बृहस्पति बाई, राजकुमार, अशोक कुमार, महेंद्र,लेखराम और मेहल पटवारी हल्का नंबर-7 नेक्सा स्थित अलग-अलग कृषि भूमि के सह स्वामी हैं। पुनीतराम कश्यप भी इस जमीन का सह स्वामी है। पुनीतराम ने बिना किसी जानकारी के संयुक्त खाते की कृषि भूमि को किसान पोर्टल में अपने नाम से पंजीकृत करा लिया है। पंजीयन के बाद समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए वह फर्जीवाड़ा कर रहा है। बाजार से धान खरीदकर समिति में बेच रहा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि हमारी जमीन में धान उत्पादन को हम समिति में इसलिए नहीं बेच पा रहे हैं कि उसी खसरा नंबर के जमीन का पंजीयन पुनीतराम ने करा लिया है। बीते दो साल से बाजार से धान खरीदकर समिति में बेच रहा है।

पटवारी ने फर्जीवाड़ की पुष्टि

याचिकाकर्ता किसान ने इसकी शिकायत एसडीएम के यहां की थी। एसडीएम ने पटवारी को जांच कर प्रतिवेदन सौंपने कहा था। जांच के बाद पटवारी ने पुनीतराम द्वारा की जा रही गड़बड़ी को उजागर करते हुए रिपोर्ट एसडीएम को सौंप दी थी। रिपोर्ट के बाद भी किसान पोर्टल से पुनीतराम का नाम डिलिट नहीं किया तब अजय ने कलेक्टर को आवेदन दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर निराकरण का निर्देश कलेक्टर को जारी किया था। आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका लगाई गई थी। हाई कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को कलेक्टर सहित राजस्व अफसरों को एक और अवसर देते हुए आदेश का जल्द पालन करने की हिदायत दी थी। अचरज की बात ये अब तक कोर्ट द्वारा जारी दोनों व आदेश का अब तक पालन नहीं हो सका है।

छह महीने सजा का है प्रावधान,जुर्माना भी

हाईकोर्ट के ताजा निर्देशों पर गौर करें तो न्यायालीयन आदेश की अवहेलना करने के आरोप में संबंधित अफसर को छह महीने की सजा और दो हजार रुपये जुर्माना पटाना होगा। कोर्ट चाहे तो जुर्माना और सजा दोनों साथ-साथ सुना सकता है। जाहिर है कोर्ट की कड़ाई सामने आती है तो कलेक्टर को इस मामले में परेशानी उठानी पड़ सकती है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story