Bilaspur High Court: कर्मचारियों के पक्ष में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कोर्ट ने तृतीय वर्ग कर्मचारी के ट्रांसफर पर लगाई रोक, कहा...
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का यह फैसला प्रदेश के अधिकारी व कर्मचारियों के लिए बनेगा न्याय दृष्टांत, पढ़िए हाई कोर्ट ने एक तृतीय वर्ग के कर्मचारी के स्थानांतरण आदेश पर अपने महत्वपूर्ण फैसले में राज्य शासन को कहा है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। नगरपालिका बेमेतरा में तृतीय वर्ग कर्मचारी योगेंद्र साहू ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तबादला आदेश को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। जस्टिस साहू ने अपने फैसले में लिखा है कि यदि सेवा की अनिवार्यता तत्काल नहीं है तो तबादला आदेश जारी करने से पहले राज्य शासन के अफसरों को मानवीय पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। जरुरी टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए तबादला आदेश पर रोक लगा दी है।
राज्य शासन ने 12.9.2023 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता, जो सहायक ग्रेड तीन के पद पर कार्यरत है,नगर पालिका परिषद बेमेतरा से नगर पालिका परिषद कुम्हारी स्थानांतरित कर दिया था। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन का स्थानांतरण का आदेश 12.9.2023 का है, लेकिन याचिकाकर्ता को 21.8.2024 से पहले इसकी तामील नहीं कराई गई।
याचिकाकर्ता कम वेतन वाला कर्मचारी है। उसकी सबसे बड़ी बेटी कॉलेज में पढ़ रही है, दूसरी बेटी कक्षा 10 वीं की पढ़ाई कर रही है, जो एक बोर्ड परीक्षा है। छोटी बेटी कक्षा चौथी में पढ़ रही है। याचिकाकर्ता को बेटियों के शैक्षणिक सत्र के बीच में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया है, जो उसकी बेटियों की पढ़ाई को प्रभावित करेगा, क्योंकि इस स्तर पर जब शैक्षणिक सत्र के लगभग पांच महीने पूरे हो चुके हैं, तो उनके लिए उनके लिए स्कूल/कॉलेज में दाखिला लेना संभव नहीं होगा। इसलिए स्थानांतरित करने के आदेश पर रोक लगाई जाए।
स्थानांतरण आदेश एक साल पुराना, प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर हुआ था तबादला
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने कहा कि स्थानांतरण आदेश लगभग एक वर्ष पुराना है, जो प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर जारी किया गया था। नगर पालिका बेमेतरा के सीएमओ ने हलफनामा पेश कर अपने जवाब में बताया कि कोर्ट के 04.10.2024 को पारित आदेश के अनुसरण में कार्यालय रिकॉर्ड के अनुसार 12.9.2023 का स्थानांतरण आदेश याचिकाकर्ता को तभी दिया गया जब वर्तमान कर्मचारी ने ज्वाइनिंग कर लिया। ज्वाइनिंग के बाद याचिकाकर्ता का रिलीविंग आदेश 21.8.2024 को जारी किया गया।
कोर्ट ने कहा- अफसर यह बताने में विफल रहे हैं कि तबादले की इतनी जल्दबाजी क्यों थी
जस्टिस साहू ने अपने फैसले में लिखा है कि स्थानांतरण करते समय, इस तथ्य को उचित महत्व दिया जाना चाहिए कि कर्मचारी के बच्चे पढ़ रहे हैं, यदि सेवा की अनिवार्यताएं तत्काल नहीं हैं। राज्य शाासन और नगर पालिका बेमेतरा के अधिकारी यह बताने में विफल रहे हैं कि वर्तमान मामले में ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं थी कि कर्मचारी को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के अंत तक समायोजित नहीं किया जा सकता था। कोर्ट ने राज्य शासन के स्थानांतरण आदेश को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष के अंत तक स्थानांतरण नहीं करना चाहिए।