Bilaspur High Court: अपने ही न्यायालय में फरियादी बनकर पहुंचा हाई कोर्ट: सिविल जज की बर्खास्तगी का मामला, डीबी ने सुरक्षित रखा फैसला
Bilaspur High Court:
Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक रोचक मामला आया है। हाई कोर्ट अपने ही न्यायालय में फरियादी बनकर पहुंचा है। मामला सात पहले का है। हाई कोर्ट की अनुशंसा पर विधि विधायी विभाग ने एक सिविल जज को बर्खास्त कर दिया था। बर्खास्तगी के खिलाफ सिविल जज ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच ने विधि विधायी के आदेश को रद कर दिया था। सिंगल बेंच के फैसले को हाई कोर्ट ने डीबी में चुनौती दी है। दूसरी तरफ बर्खास्त सिविल जज ने भी सिंगल बेंच के फैसले के उस हिस्से को चुनौती दी है जिसमें सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता को बैक वेजेस के बगैर सिविल जज वर्ग दो के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश दिया था। दोनों मामलों की चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई हो रही है। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
अपनी तरह के इस रोचक मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हो रही है। दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। डिवीजन बेंच की तरफ से अब कभी भी फैसले का ऐलान किया जा सकता है।
वर्ष 2013 में नौकरी ज्वाइन करने वाली सिविल जज को शिकायत के आधार पर वर्ष 2017 में स्थायी समिति की सिफारिश के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। स्थायी समिति के फैसले को चुनौती देते हुए बर्खास्तगी आदेश को सिविल जज ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। सिविल जज ने वर्ष 2017 में याचिका दायर कर दी थी। इस बीच सिंगल बेंच का फैसला आया। इस फैसले से दोनों ही पक्ष ने ऐतराज जताया। हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए और याचिकाकर्ता सिविल जज ने फैसले के उस हिस्से को चुनौती दी थी जिससे उसकी सेवाएं प्रभावित हो रही थी।
ये था सिंगल बेंच का फैसला
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद मई 2004 में अपना फैसला सुनाया था। ने 31 जनवरी 2017 को कमेटी की अनुशंसा और 9 फरवरी 2017 को जारी बर्खास्तगी के आदेश को रद कर दिया था। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बैक वेजेस के बगैर सिविल जज वर्ग दो के पद पर वरिष्ठता के साथ बहाल करने का आदेश दिया था। इस फैसले के साथ सिंगल बेंच ने विधि विधायी विभाग और हाई कोर्ट को तय नियमों के अनुसार कार्रवाई की छूट दी थी। हाई कोर्ट और सिविल जज ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच ने अपील पेश की थी।
इसलिए हुई बड़ी कार्रवाई
बिलासपुर निवासी आकांक्षा भारद्वाज का वर्ष 2012-13 में सिविल जज प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयन हुआ था। 27 दिसंबर 2013 को पदभार ग्रहण किया। उसने आरोप लगाया कि इस दौरान एक वरिष्ठ न्यायाधिक अधिकारी ने उसके साथ अनुचित व्यवहार किया। शिकायत में यह भी कहा कि नई ज्वाइनिंग होने के कारण विवाद में ना पड़ने के कारण शिकायत नहीं की। प्रशिक्षण के बाद अगस्त 2014 में अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद पर ज्वाइनिंग देते हुए स्वतंत्र प्रभार दिया गया। इस बीच अंबिकापुर से अधिकांश वरिष्ठ न्यायिक अफसरों का तबादला हो गया था। चार सिविल जज एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी के अधीन कार्य कर रहे थे। सिविल जज ने दोबारा आरोप लगाया कि जब वे वरिष्ठ न्यायिक अफसर के पास न्यायिक प्रकरणों के संबंध में मार्गदर्शन के लिए जब-जब जाती थी उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जाता था। सिविल जज ने आला अधिकारियों से पहले मौखिक और उसके बाद लिखित में शिकायत दर्ज कराई।
हाई कोर्ट ने कराई जांच
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए हाई कोर्ट ने आंतरिक शिकायत कमेटी को जांच का निर्देश दिया। जांच के बाद रिपोर्ट पेश करने की बात कही। हाई कोर्ट के निर्देश पर आंतरिक जांच कमेटी ने जांच के बाद 6 अप्रैल 2016 को रिपोर्ट की कापी हाई कोर्ट के समक्ष पेश की। पेश रिपोर्ट में आंतरिक जांच कमेटी ने वरिष्ठ न्यायिक अफसर के खिलाफ की गई शिकायत को निराधार पाई। कमेटी की रिपोर्ट के बाद शोकाज नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। इस बीच सिविल जज ने कमेटी की रिपोर्ट के खिलाफ अपील पेश की। जिसे 5 जनवरी 2017 को खारिज कर दिया गया। रिपोर्ट खारिज करने के साथ ही बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया।