Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur High Court: बच्‍चों की हिम्‍मत ने दिलाया दुष्कर्म पीड़‍िता को न्‍याय: आरोपी को हुई आजीवन कारावास को हाईकोर्ट ने रख बरकरार

Bilaspur High Court:

Bilaspur High Court: बच्‍चों की हिम्‍मत ने दिलाया दुष्कर्म पीड़‍िता को न्‍याय: आरोपी को हुई आजीवन कारावास को हाईकोर्ट ने रख बरकरार
X
By Sanjeet Kumar

Bilaspur High Court: बिलासपुर। मानसिक रोगी मूक बधिर दुष्कर्म पीड़िता की विवशता ये कि अदालत के सामने अपने साथ घटित घिनौनी घटना को नहीं बता पा रही थी। गांव के बच्चों ने कोर्ट के सामने सच्चाई बयान किया और पूरी घटना की जानकारी दी। हाई कोर्ट ने पुलिस द्वारा पेश किए गए एफएसएल रिपोर्ट और बच्चों की गवाही को सही ठहराते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

ट्रायल कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को 376 (2) में 10 वर्ष व एट्रोसिटी एक्ट में उम्र कैद व पांच हजार रुपये जुर्माना लगाया था। मामला धमतरी जिले का है। मानसिक रोगी मूक बधिर तीन अगस्त 2019 को दोपहर के समय गांव के अन्य बच्चों के साथ आरोपी चैन सिंह के घर टीवी देख रही थी। 3.30 बजे आरोपी घर आया और पीड़िता का हाथ पकड़ कर खिंचते हुए कमरे के भीतर ले गया। टीवी देख रहे बच्चों ने जब दरवाजा को खोला तो भीतर आरोपी मूकबघिर बच्ची के साथ दुष्कर्म कर रहा था। बच्चों को देखकर आरोपी अपने घर से भाग गया। बच्चों ने इसकी जानकारी पीड़िता की मां को दी। मां ने घटना की जानकारी देते हुए पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।

मेडिकल जांच में डाक्टर ने पीड़िता के मानसिक अस्वस्थ व मूक बधिर होने की रिपोर्ट दी।आरोपी के खिलाफ पुलिस ने चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने भादवि की धारा 376 (2) के तहत आरोपी को 10 वर्ष कैद व पांच हजार रुपये अर्थदंड तथा एट्रोसिटी एक्ट में आजीवन कारावास व पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई । ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपी की अपील को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा को यथावत रखा है।

हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। डिवीजन बेंच ने लिखा है कि पीड़िता मूक-बधिर और मानसिक रूप से अस्वस्थ्य है। वह बोल भी नहीं सकती। इसलिए उससे गवाह के रूप में पूछताछ नहीं की गई। आरोपी को पीड़िता के साथ गलत काम करते बच्चों ने देखा है। इस मामले में बच्चों की गवाही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

Read MoreRead Less

Next Story