छत्तीसगढ़ में स्कूलों का क्या होगा ?…..कोरोना के बढ़े संक्रमण और बच्चों में बढ़े खतरे पर क्या बोले हैं अब तक मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री , रमन सिंह क्या बोले… पढ़िये
रायपुर 23 फरवरी 2021। छत्तीसगढ़ में क्या फिर से स्कूल बंद किया जायेगा ?…क्या स्कूलों को खोलने पर कोरोना संक्रमण बढ़ जायेगा ?……स्कूल खुले अभी 5 दिन ही हुए हैं, लेकिन जिस तरह से तीन से चार जिलों से कोरोना संक्रमण की खबरें आ चुकी है, उसने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी है। इधर स्कूलों में कोरोना संक्रमण के खतरे को लेकर राज्य सरकार की तरफ से मिले संकेतों से भी साफ है कि अगर संक्रमण ज्यादा बढ़ा तो फिर सरकार फैसले पर फिर से विचार करेगी।
असम से लौटे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि जिन स्कूलों में मामले आये हैं, उसे बंद किया गया है, अभी देखते हैं कहां-कहां ऐसे मामले आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि…
“विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए स्कूलों को खोलने का फैसला हुआ है। खासकर के ऐसे विद्यार्थी जिनके पाठ्यक्रम में प्रैक्टिकल है। अब बिना क्लास अटेंड किए ऑनलाइन प्रैक्टिकल तो होगा नहीं। बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर ही स्कूल खोलने का फैसला लिया गया था। अब देखते हैं कि कहां-कहां से ऐसे मामले आ रहे हैं। जिन क्षेत्रों में मामले आ रहे हैं, उन स्कूलों को बंद तो रखा ही जाएगा।”
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्कूल खोलने के निर्णय को रिस्क बताया था। उन्होंने कहा था कि सबकुछ जानते हुए भी रिस्क लेकर स्कूल खोला गया, क्योंकि बच्चों की पढ़ाई खराब ना हो…स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा कि …..
“ये रिस्क है, लेकिन सोच समझकर ये रिस्क लिया गया, कि ऐसा हो सकता है, लेकिन क्या करें, एक तरफ कहा जा रहा है बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है, दूसरी तरफ कोरोना के संक्रमण की बात है, इस बीच एक कठिन निर्णय कैबिनेट ने लिया, कि 9वीं, 10वीं. 11वीं, 12वीं का चालू किया जाये, वो भी स्वैच्छिक, कि माता-पिता अगर रिश्क महसूस नहीं करते हैं तो बच्चों को भेज सकते हैं, नहीं भेजने में भी सरकार पर ये दवाब था कि बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही है, भेजने में भी दवाब था कि संक्रमण फैल रहा है, इनसब के बीच बच्चों की पढ़ाई को देखते हुए, निर्णय लिया गया। ऐहितियात के अलावा इस परिस्थिति में कोई और विकल्प नहीं है टेस्टिस जरूरी है, जितने भी शिक्षक हैं उनका कोरोना टेस्ट किया जाना चाहिये, जो संस्था हैं उसे हर टीचर की टेस्टिंग करा लेनी चाहिये, जो बच्चे आ रहे हैं, उनमें कुछ भी अगर लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें स्कूल आने से रोकना चाहिये और उनकी टेस्टिंग करा लेनी चाहिये, ये तो उनके साथ होगा जो सेंटोमैटिक होंगे, जो अन सेंटोमैटिक होंगे, उनके लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाना ही बचाव होगा।”
वहीं शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने भी स्कूल में कोरोना संक्रमण के मामले को लेकर कहा है कि अगर स्थिति बिगड़ी तो फिर से विचार किया जायेगा। उन्होंने कहा है कि स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि गाइड-लाइन का पालन करें। स्कूलों में बिना मास्क कोई नहीं आएगा। सेनिटाइजर का प्रयोग करेंगे। हाथ निरंतर धोते रहेंगे। सोशल व फिजिकल डिस्टेंस बनाकर रखेंगे। सरकारी स्कूलों में इसका इंतजाम किया गया है। वहां गाइड-लाइनों का पालन हो रहा है। आदेश दिए गए हैं कि सर्दी-खांसी भी हो तो कोई स्कूल न आएं।
“पहले बड़े बच्चों यानी नवीं से 12वीं तक के बच्चों को बुलाया गया है। मोहल्ला कक्षाओं में पालक बच्चों को भेजते ही थे।पढ़ाई तो निरंतर चल ही रही है। स्कूल खोले हैं इसका मतलब सबको आना है, जरूरी नहीं हैं। जो चाहें वे स्कूल आ सकते हैं, जो नहीं आएंगे, उनकी गैरहाजिरी भी नहीं लगेगी। यानी अटेंडेंस की दिक्कत नहीं है। पढ़ाई की प्रायोरिटी ऑनलाइन ही है। महीनेभर में तो स्कूल फिर से बंद हो जाएंगे। स्कूलों में परीक्षाएं होंगी। राजनांदगांव में जो पाजीटिव मिले हैं वे तो उसी कैंपस में ही थे। बाहर से नहीं आए। आखिर बोर्ड परीक्षाएं होंगी तो क्या पालक बच्चों को इसके लिए सेंटर नहीं भेजेंगे? स्कूल तो कई राज्यों ने खोले हैं, बंद किसने किए? अब तो कोरोना की वैक्सीन भी आ गई हैं। इसके बावजूद यदि स्थिति बिगड़ती लगी या पालकों ने चाहा तो हम अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगे।”
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी स्कूलों को खोलने और छात्रों के संक्रमण को लेकर प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि ….
“स्कूलों को खोलने से मैं भी सहमत हूं, स्कूलों को खोला जाना चाहिये, लेकिन स्कूलों में कोरोना को लेकर दिये गये गाइडलाइन का पालन करना जरूरी चाहिये, सेनेटाइज, सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी है, कोरोना से बचाव के साथ स्कूल का संचालन किया जाना चाहिये”