Pandit Hariram Dwivedi: मशहूर कवि पं. हरिराम द्विवेदी का निधन, भोजपुरी जगत में था बड़ा नाम

Pandit Hariram Dwivedi: सोमवार दोपहर 2:30 बजे हिंदी के प्रसिद्ध कवि पंडित हरिराम का 87 वर्ष के उम्र में मोती झील आवास पर निधन हो गया. हरिराम द्विवेदी हिंदी और भोजपुरी के मशहूर कवि थे. इनके निधन से कवि और साहित्यकारों में शोक का माहौल है.

Update: 2024-01-08 13:09 GMT

Pandit Hariram Dwivedi: सोमवार दोपहर 2:30 बजे हिंदी के प्रसिद्ध कवि पंडित हरिराम का 87 वर्ष के उम्र में मोती झील आवास पर निधन हो गया. हरिराम द्विवेदी हिंदी और भोजपुरी के मशहूर कवि थे. इनके निधन से कवि और साहित्यकारों में शोक का माहौल है.

जानकारी के मुताबिक़ पंडित हरिराम काफी समय से बीमार थे. कल मंगलवार को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर पंडित हरिराम जी का अंतिम संस्कार होगा. वहीं इनकी मौत से काशी के साथ साथ पूरे देश के विद्वानों में शोक का माहौल है. इनके निधन से देश ने एक महान कवि खो दिया है. 

कवि पंडित हरिराम द्विवेदी का जन्म 12 मार्च 1936 को मिर्जापुर के शेरवा गांव में हुआ था. इन्हे प्यार से लोग "हरि भैया" कहते थे. हरिराम द्विवेदी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय से स्नातक व बीएड, काशी विद्यापीठ वाराणसी से स्नातकोत्तर की डीग्री हासिल करने के बाद मई 1965 आकाशवाणी इलाहाबाद में उदघोषक, 1967 मे आकाशवाणी वाराणसी के साथ साथ रामपुर, गोरखपुर आकाशवाणी में 30 साल काम किया. हरिराम द्विवेदी की साहित्यिक, सांस्कृतिक, हिन्दी व भोजपूरी में लेखन काफी मशहूर रही है. जिनकी कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है.

इन्हें साहित्य अकादमी भाषा सम्मान, राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार. साहित्य भूषण, साहित्य सारस्वत सम्मान, सहित कई अन्य पुरस्कार प्राप्त हुए थे. कवि पंडित हरिराम द्विवेदी के कुछ रचनाएं अंगनइया, आंगन में पलना, फुलवारी, नदियों गइल दुबराय, दोहावली, नारी, जीवन दायिनी गंगा, पातरि पीर, हाशिए का दर्द, बैन फकिरा, हे देखा हो और काशी महिमा काफी मशहूर रही है. 


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