Akhlaq Dadri Lynching Update: अखलाक लिंचिंग केस में यूपी सरकार को बड़ा झटका, केस वापस लेने की अर्जी कोर्ट से खारिज, जानिए क्या है पूरा मामला?

Akhlaq Dadri Lynching Update: सूरजपुर कोर्ट ने अखलाक हत्याकांड में यूपी सरकार की केस वापस लेने की याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।

Update: 2025-12-23 11:20 GMT

Akhlaq Dadri Lynching Update: उत्तर प्रदेश के दादरी में 2015 में हुई अखलाक की हत्या के मामले में मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है।गौतम बुद्ध नगर की सूरजपुर कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मामले में अभियोजन की ओर से लगाई गई अर्जी को महत्वहीन और आधारहीन मानते हुए निरस्त किया है। केस वापसी की अनुमति के लिए राज्य सरकार ने आवेदन दायर किया था।

क्या है मामला?
वर्ष 2015 में गौतम बुद्ध नगर के दादरी इलाके में अखलाक की भीड़ ने गौमांस खाने के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। भीड़ का आरोप था कि अखलाक ने ईद के दौरान गोमांस खाया था और उसे बाद में खाने के लिए फ्रिज में भी जमा किया था। पुलिस ने मामले में 3 नाबालिगों समेत कुल 18 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें एक की 2016 में मौत हो गई थी। बाकी 14 आरोपी फिलहाल जमानत पर हैं।
याचिका पर कोर्ट ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हत्याकांड में आरोपित की सजा माफी की याचिका नवंबर में दायर की थी, जिसमें सरकारी वकील के द्वारा सरकार की तरफ से पक्ष रखा गया था, जिसमें आज सुनवाई हुई है। सरकार की याचिका पर कोर्ट ने कहा कि धारा 321 में सरकारी पक्ष के वकील द्वारा कोई भी तथ्य या कोई भी ग्राउंड नहीं दिया है, जिस पर विचार किया जा सके। आरोप तय हो चुके हैं. उसमें चार्जशीट भी दाखिल हुई है, उन सारी बातों पर ध्यान देते हुए कोर्ट ने आधारहीन और तथ्यहीन मानते हुए सरकार की याचिका को खारिज किया।
क्या कहती है धारा 321?
CrPC की धारा 321 में यह बताया गया है कि पब्लिक प्रॉसिक्यूटर या असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर कोर्ट की सहमति से मुकदमा वापस लेने के लिए एप्लीकेशन दे सकते हैं। इस मामले के लिए कोर्ट की सहमति ज़रूरी है. धारा 321 के तहत, कोर्ट के पास यह तय करने की शक्ति है कि प्रॉसिक्यूटर द्वारा मांगा गया मुकदमा वापस लेना सही है या नहीं और क्या इससे न्याय में कोई गड़बड़ी होगी। इस बीच, अखलाक की पत्नी ने हाई कोर्ट में भी याचिका दायर कर सरकार और प्रशासनिक आदेशों को रद्द करने की मांग की है, जो विड्रॉल एप्लीकेशन से संबंधित हैं।
अभियोजन पक्ष ने क्या कहा था?
अभियोजन पक्ष ने अपनी याचिका में कहा कि गवाहों के लिखित बयान सेक्शन 161 CrPC के तहत रिकॉर्ड किए गए थे, जिसमें आरोपियों की संख्या दस बताई गई थी। जांच के दौरान 13.10.2015 को बयान रिकॉर्ड किए गए। अभियोजन पक्ष के गवाहों ने किसी भी आरोपी का नाम नहीं लिया।
गवाहों के बयानों में कथित विसंगतियों को उजागर करते हुए अभियोजन पक्ष की याचिका में कहा गया कि गवाहों के बयानों में आरोपियों की संख्या में बदलाव किया गया है। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष के गवाह और आरोपी दोनों एक ही गांव के रहने वाले हैं। एक ही गांव के रहने वाले होने के बावजूद, शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों ने अपने बयानों में आरोपियों की संख्या में बदलाव किया है।
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