Delhi Services Bill : राज्यसभा में आज पेश किया जाएगा दिल्ली सेवा विधेयक, विरोध में विपक्षी पार्टियां

Delhi Services Bill : आज राज्यसभा में पेश होने जा रहे दिल्ली सेवा विधेयक के मामले में नाना प्रकार की चर्चाएँ और तनातनियाँ देखने को मिल रही हैं। यह विधेयक विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच पेश किया गया है

Update: 2023-08-07 07:01 GMT

Delhi Services Bill: आज राज्यसभा में पेश होने जा रहे दिल्ली सेवा विधेयक के मामले में नाना प्रकार की चर्चाएँ और तनातनियाँ देखने को मिल रही हैं। यह विधेयक विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच पेश किया गया है, लेकिन इसके पास समर्थन की उम्मीद भी है, विशेष रूप से नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) और जगन मोहन रेड्डी की युवजन श्रमिका रायथू कांग्रेस पार्टी (YSR कांग्रेस) के समर्थन के साथ।

इस विवादास्पद विधेयक का मूल मुद्दा दिल्ली सरकार के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर केंद्र सरकार की हस्तक्षेप की अनुमति देने का प्रावधान है, जिससे दिल्ली सरकार के अधिकार कम हो जाते हैं। यह विधेयक उपराज्यपाल (LG) को यह अधिकार देता है और इसका मतलब है कि दिल्ली सरकार को अधिकारियों के अपने आदर्श के बिना ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में कोई निर्णय नहीं लेने का होता है।

लोकसभा में पेश होने वाले दिल्ली सेवा विधेयक को केंद्र सरकार ने ध्वनि मत से पारित कर दिया था, जो विपक्षी पार्टियों और दिल्ली सरकार के बीच तनाव की बढ़ती हुई आवश्यकताओं के साथ पेश किया गया था। इसके साथ ही, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस विधेयक के खिलाफ असंवैधानिक घोषणाएँ की थीं और उन्होंने विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा।

विपक्षी गठबंधन INDIA के 104 सांसदों के समर्थन के साथ इस विधेयक को राज्यसभा में पारित करने की प्रयासशीलता दिखा रहा है, जबकि भाजपा को इसे पारित करने के लिए अपने समर्थन संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान में, राज्यसभा में कुल 237 सदस्य हैं और बहुमत के लिए 119 सदस्यों की आवश्यकता होती है, जो भाजपा के पास पूरी तरह से नहीं है।

इस विवादित मामले में दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनाव देखने को मिल रहा है, जहाँ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए विपक्षी पार्टियों से समर्थन मांगा और उन्हें विधेयक के खिलाफ आवाज उठाने की आवश्यकता है।

विधेयक की दिशा का निर्णय राज्यसभा में चर्चा और मतदान के बाद होगा और इसका परिणाम दिल्ली की राजनीति को बदल सकता है। विधेयक के पारित होने से दिल्ली सरकार के अधिकारों में कमी हो सकती है और उपराज्यपाल को अधिकारियों के नियुक्तियों पर अधिक हस्तक्षेप की अनुमति मिल सकती है। विपक्ष की ओर से समर्थन मिलने से विधेयक के पारित होने की संभावना बढ़ सकती है, जो इस मामले की विवादास्पदता को और भी बढ़ा देगा।

Full View

Tags:    

Similar News