झीरम न्यायिक जाँच आयोग के सामने अतिरिक्त गवाहों का परीक्षण कराने की राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज की

Update: 2020-09-29 08:59 GMT

नई दिल्ली,29 सितंबर 2020। सुप्रीम कोर्ट ने झीरम घाटी न्यायिक जाँच आयोग में अतिरिक्त गवाहों का बयान दर्ज कराने और उनका परीक्षण कराने की राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका ख़ारिज कर दी है। राज्य सरकार हाईकोर्ट में याचिका ख़ारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुँची थी।
जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने यह अपील ख़ारिज की। राज्य की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया –
“यह इतनी महत्वपूर्ण घटना है..वे पाँच गवाहों के परीक्षण क्यों नही कर सकते .. यह पत्थर में उकेरी लकीर नही है”

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
“जब आयोग ने लोगों को परीक्षण में शामिल होने के लिए शपथ पत्र दाखिल करने के लिए आमंत्रित किया तो ऐसा नही किया गया.. अब उनकी जाँच कैसे की जा सकती है.. हो सकता है आपने आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया हो लेकिन आयोग अपनी कार्यवाही पूरी कर चुका है”
झीरम न्यायिक जाँच आयोग 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में घटी उस नक्सली घटना को लेकर गठित हुआ था जिसमें तत्कालीन पीसीसी चीफ नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ला, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा समेत 29 लोग मारे गए थे।

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