आरआर लाईन के एसपी

Update: 2021-09-11 17:00 GMT

संजय के दीक्षित
तरकश, 12 सितंबर 2021
आईबी में तीन साल के डेपुटेशन कर छत्तीसगढ़ लौटे आईपीएस बद्रीनारायण मीणा को राज्य सरकार ने दुर्ग का एसएसपी अपाइंट किया है। दुर्ग की कप्तानी संभालने के साथ ही मीणा ने एसपी का न केवल अपना पुराना रिकार्ड ब्रेक किया बल्कि उन्होंने आरआर लाईन कंप्लीट कर लिया है। मई 2018 में आईबी में प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले मीणा आठ जिलों के एसपी रह चुके थे। दुर्ग उनका नौंवा जिला है। छत्तीसगढ़ में किसी और आईपीएस को ऐसा मौका नहीं मिला है। अब आएं आरआर लाईन पर। आईपीएस में पोस्टिंग की दृष्टि से आरआर लाईन का बड़ा क्रेज रहता है। कह सकते हैं…अमूमन आईपीएस का सपना होता है आरआर लाईन कंप्लीट नही ंतो कम-से-कम आधा तो हो ही जाए। आरआर लाईन रायगढ़ से लेकर राजनांदगांव को बोलते हैं। बद्री रायगढ़, जांजगीर, बिलासपुर, रायपुर और राजनांदगांव के एसपी रह चुके हैं। उनका सिर्फ दुर्ग छूटा था। वो भी अब पूरा हो गया। छत्तीसगढ़ में किसी भी आईपीएस ने आआर लाईन को कंप्लीट नहीं किया है। अशोक जुनेजा और दिपांशु काबरा का एक-एक जिला बच गया। हां…रायपुर कप्तान प्रशांत अग्रवाल जरूर बड़ी तेजी से बद्री का पीछा कर रहे हैं। प्रशांत जांजगीर, राजनांदगांव, बिलासपुर, दुर्ग होते हुए रायपुर पहुंचे हैं। उनका अब केवल एक जिला बच गया है, वो है रायगढ़। आईपीएस लॉबी में समझा जाता है बद्री का रिकार्ड प्रशांत तोड़ेंगे। लेकिन, इसके बाद कोई नहीं। क्योंकि, अब आईपीएस कैडर में संख्या बढ़ती जा रही है। अब तीन-चार जिले की कप्तानी मिल गई तो बहुत है।

केके लाइन

केके लाईन कांकेर से लेकर किरंदूल यानी दंतेवाड़़ा को बोला जाता है। हालांकि, अब तो आईपीएस की पहली पोस्टिंग आमतौर पर बस्तर में हो रही है या फिर शुरू में एकाध जिला बस्तर दिया जा रहा है। पहले के कई आईपीएस ऐसे हैं, जो बस्तर कभी गइबे नहीं किए….आरआर लाईन पर अपनी कप्तानी पूरी कर ली। बहरहाल, केके लाईन में डॉ0 अभिषेक पल्लव का नाम सबसे उपर है। कोंडागांव के बाद वे पिछले साढ़े तीन साल से दंतेवाड़ा में फंसे हुए हैं। यहां से कब निकलेंगे, अब वे भी सोचना बंद कर दिए होंगे। केके लाईन वाले आईपीएस में संतोष सिंह, अभिषेक मीणा, जीतेंद्र शुक्ला, केएल ध्रुव जैसे नाम भी थे। लेकिन, फिलहाल ये सभी केके लाईन से निकल गए हैं। इनमें से क्रीज पर सिर्फ अभिषेक मीणा और संतोष सिंह हैं। अभिषेक बिलासपुर, कोरबा के बाद रायगढ़ के कप्तान हैं। केके लाईन के बाद आरआर लाईन पर भी अभिषेक ने अच्छी रफ्तार पकड़ लिए हैं।

आईएएस एसोसियेशन

प्रिंसिपल सिकरेट्री मनोज पिंगुआ को आईएएस एसोसियेशन का नया प्रेसिडेंट चुना गया है। सीके खेतान के रिटायरमेंट के बाद प्रेसिडेंट का पद 31 जुलाई से रिक्त था। कुछ दिन पहले आईएएस एसोसियेशन की बैठक में पिंगुआ को प्रेसिडेंट घोषित किया गया। प्रमुख सचिव रहते एसोसियेशन का अध्यक्ष बनने वाले वे छत्तीसगढ़ के पहले आईएएस हैं। आमतौर पर इस पद पर चीफ सिकरेट्री के समकक्ष अफसरों को बिठाया जाता है। खेतान से पहले एन बैजेंद्र कुमार और बीके एस रे एसीएस थे। पिंगुआ से सीनियर हालांकि, रेणु पिल्ले और सुब्रत साहू हैं। लेकिन, हो सकता है वे दोनों इंटरेस्ट नहीं दिखाए होंगे। वैसे भी छत्तीसगढ़ में एक बड़ा अजीब मिथक स्थापित हो गया है…जो आईएएस एसोसियेशन का अध्यक्ष बनता है वह मुख्य सचिव नहीं बन पाता। दरअसल, एन बैजेंद्र कुमार और सीके खेतान के साथ ऐसा हुआ। हालांकि, मनोज पिंगुआ का अभी लंबा सफर है। 2024 में वे एसीएस बनेंगे। उसके बाद 2029 तक उनकी सर्विस है। इसलिए, हो सकता है वे इस मिथक के प्रभाव से बच जाएं।

आईएएस की …….!

सोशल मीडिया की गैर जिम्मेदारानापन की शायद ये पराकाष्ठा होगी…दो दिन पहले अचानक सोशल मीडिया में छत्तीसगढ़ के एक महिला आईएएस अधिकारी के साथ अनिष्ट की खबरें वायरल होने लगी। चूकि आईएएस का मामला था, लिहाजा उत्सुकतावश लोग एक-दूसरे को लगे फोन खड़खड़ाने। जबकि, वास्तविकता यह है थी कि महिला आईएएस एकदम स्वस्थ्य हैं…और खबर वायरल के एक दिन पहले ही वे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में शरीक हुई थीं। अभी कुछ महीने पहिले बिना तहकीकात किए एक महिला आईएएस के बेटे की गुंडागर्दी की खबरें सोशल मीडिया ने चला दी थी। बाद में पता चला किसी दूसरी महिला आफिसर का मामला था। मगर नाम एक होने के कारण सोशल मीडिया ने उसे लपक लिया। वाकई! ये बेहद गंभीर है।

विधायकों की किस्मत

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की आंधी में जब पार्टी को 90 में से एकतरफा 68 सीटें मिली तो सरकार बनने के बाद भी विधायकों में मायूसी झलक रही थी कि इतनी भीड़ में उन्हें पूछेगा कौन? लेकिन, ठभ्क ही कहा गया है…आदमी नहीं, वक्त बड़ा होता है। विधानसभा चुनाव के कुछ अरसा बाद ही विधायकों की किस्मत ऐसी पलटी कि पूछिए मत! विधायकों के कोई काम नहीं रुकते। पिछले एक साल में कलेक्टर, एसपी के ट्रांसफर में भी विधायकों के पसंद, नापसंद को वेटेज दिया जा रहा।

झूम रहा छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों से सियासी नारा चल रहा है…डोल रहा है छत्तीसगढ़, अड़ा हुआ है छत्तीसगढ़। लेकिन, देखने में ऐसा लगता नहीं। सूबे की दोनों बड़ी पार्टियों को देखकर लगता नहीं कि छत्तीसगढ़ डोल रहा या कोई सियासी उलझन है। पहले जगदलपुर में भाजपा नेता ये पान वाला बाबू पर जमकर थिरके तो मुख्यमंत्री निवास में तीजा कार्यक्रम में रायपुर के भाटो पर मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता, कार्यकर्ता सभी झूमे ही दिल्ली से इस अवसर पर रायपुर आईं कांग्रेस नेत्रियां भी अपने को रोक नहीं सकीं। तो फिर ये क्यों नहीं कहना चाहिए…झूम रहा है छत्तीसगढ़।

अंत में दो सवाल आपसे
1. किस जिले के पुलिस अधीक्षक का विकेट उड़ते-उड़ते बच गया?
2. एक मंत्री का नाम बताइये, जो दो तरफा निष्ठा दिखाने की कोशिश में अपना नंबर कम करते जा रहे हैं?

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